बॉम्बे हाईकोर्ट ने हेमंग शाह की गिरफ्तारी को बताया गैरकानूनी, पुलिस को ‘जल्दबाज़ी’ के लिए लगाई फटकार

भास्कर समाचार सेवा

नई दिल्ली /बॉम्बे हाईकोर्ट ने एंकर ग्रुप के निदेशक हेमंग शाह की गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार देते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि शाह की गिरफ्तारी न तो जरूरी थी और न ही न्याय प्रक्रिया के हित में, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य एक विवादित राशि की वसूली प्रतीत होता है।

कोर्ट ने मामले की तात्कालिकता पर चिंता जताते हुए कहा कि 14 मई की तड़के 2:14 बजे शिकायत दर्ज की गई और उसी दिन लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी कर दिया गया, जो बताता है कि प्रक्रिया में अत्यधिक जल्दबाज़ी दिखाई गई और आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया।

हेमंग शाह को 17 मई को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मस्कट रवाना होने के दौरान हिरासत में लिया गया। LOC के आधार पर उन्हें रोका गया और मुंबई लाया गया। शिकायत उनके बड़े भाई मेहुल शाह द्वारा मालाबार हिल पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई थी, जिसमें वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे।

शाह ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनके पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता रवि प्रकाश, मुनाफ़ विरजी, आदित्य दीवान, देबोप्रिय मौलिक और सागर शेट्टी की टीम AMR Law और हृतुराज सिंह ने पैरवी की। याचिका में कहा गया कि यह मामला पारिवारिक वित्तीय विवाद का है, जिसे मध्यस्थता के ज़रिए सुलझाया जा रहा था। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि शाह की गिरफ्तारी के तुरंत बाद, उनके भाई की पत्नी ने उनकी पत्नी से संपर्क कर चेकबुक लेकर आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के दफ्तर आने का दबाव डाला। कोर्ट में इससे संबंधित चैट मैसेज भी प्रस्तुत किए गए।

कोर्ट ने इन संदेशों की समीक्षा के बाद कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि गिरफ्तारी का मकसद कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि विवादित रकम की वसूली के लिए दबाव बनाना था।

शाह ने यह भी कहा कि उन्हें 17 मई को शाम करीब 5:30 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया गया, लेकिन उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष 18 मई की रात 10:45 बजे पेश किया गया—जो कि 24 घंटे से अधिक की हिरासत है और कानून के विपरीत है। उनकी कानूनी टीम ने यह भी बताया कि गिरफ्तारी की सूचना न तो किसी परिजन और न ही किसी मित्र को दी गई, जिससे यह प्रतीत होता है कि उन्हें जानबूझकर अलग-थलग कर दबाव में लाया गया।

अभियोजन पक्ष का कहना था कि शाह और EOW की टीम 18 मई की सुबह 10:30 बजे मुंबई पहुंचे, जहां प्रारंभिक पूछताछ के बाद उन्हें शाम 7:30 बजे गिरफ्तार किया गया और उसी रात कोर्ट में पेश किया गया। अभियोजन ने यह भी कहा कि शाह के पिता को गिरफ्तारी की सूचना दी गई थी।

हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि चूंकि शाह के पिता स्वयं इस मामले में शिकायतकर्ता हैं, इसलिए उन्हें सूचित करना कानून के अनुरूप नहीं माना जा सकता। न्यायमूर्ति ने अभियोजन के तर्क को “चौंकाने वाला” बताया और कहा कि इससे उनकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

इस फैसले ने आर्थिक अपराध मामलों में मुंबई पुलिस की भूमिका पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं और यह इंगित किया है कि सिविल या कारोबारी विवादों में गिरफ्तारी की शक्ति का दुरुपयोग हो रहा है।

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