जरूरत मंदो की बेबसी को अब और कितना शर्मशार करोगे भाई !

 

“मुफलिसी तू मेरे बच्चों को हिकारत से न देख”
“हौसला मंद है हर बोझ उठा लेते है”

शायर जमील खैराबादी का ये शेर उन मजलूमों के साथ जिस तरह से खिल्ली उड़ाकर मानवता को शर्मसार कर उनकी फोटो(इमदाद)की चन्द टुकड़ो की थैलियों को पकड़ाकर लोग वायरल कर रहे हैं किसी हिकारत से तो कम कतई नही है भाई ये कैसी राजनीति है ? कुछ तो शर्म करो

अशोक सोनी/ क़ुतुब अन्सारी
जरवल/बहराइच। कोरोना वायरस का एक ओर काल चक्र हर किसी खासो आम उनकी दिनचर्या पर ब्रेक सा लगा रखा है तो दूसरी तरफ लॉक डाउन के कारण घरो मे दुबके बैठे लोगों के लिए जो मुसीबत आन पड़ी है उसमे गरीब व मध्यम वर्ग के परिवार के सामने जिंदगी भी पहाड़ जैसी लगने लगी है एसे मे जनप्रतिनिधियों के सेवादारो समेत तमाम सामाजिक संघठनो के साथ सरकारी मिशनरी के लोग गरीबो की मदद मे जिस तरह आगे आकर लोगो की मदद कर हमदर्दी जता रहे हैं बेशक काबिले तारीफ है पर इमदाद की कतार मे खड़े लोगो की जिस तरह से लोग उनकी बेबसी की तस्वीरे वायरल कर रहे हैं मानवता को पूरी तरह शर्मशार भी कर उनका जिस तरह मजाक उड़ा कर शर्मिंदा किया जा रहा है मानवता भी चीख उठी है बताते चले जब से कोरोना वायरस के बढ़ते दावानल को लेकर लोग लॉक डाउन मे अपने घरों में बैठे हैं उनमे गरीब खासकर मध्यम वर्ग के लोगो के सामने रोजी रोटी का ज़रिया जरूर छीन गया है जिनकी मदद के लिए बढ़ रहे हाथ और उनके हाथों मे मदद की चुटकी भर राहत सामग्री के साथ मजलूमो के हाथों मे थमाई जा सामग्री के साथ वायरल की जा रही फोटो उन मजलूमो को बेमौत जरूर मार रही है उन तस्वीरों के तंदूर पर राजनीति की सेकना मानवता को जिस तरह शर्मसार कर रहा है उस पर प्रशासन को रोक लगाना ही चाहिए जिसके लिए हर कोई धर्म भी इजाजत नही देता की इमदाद का भी सोहरा आम हो।