
नई दिल्ली । बुराड़ी में एक साथ 11 लोगों की सामूहिक आत्महत्या कांड को लोग शायद कभी भूल नही पाएंगे। संतनगर, बुराड़ी के मकान में हुई दर्दनाक वारदात के बाद इस मकान पर ऐसा दाग लगा कि लोग इसके सामने से भी गुजरने से कतराने लगे। कुछ लोगों ने तो इसे भूतिया घर का नाम भी दे दिया। वारदात के बाद से लगातार न तो कोई तो मकान खरीदने को तैयार था और न ही कोई किराएदार बनकर इसमें आना चाहता था। अब सारी अफवाहों को दरकिनार कर एक डॉक्टर का परिवार आज (रविवार) से किराएदार के रूप में यहां रहना शुरू करेगा। पैथलॉजी लैब चलाने वाले डॉक्टर यहां रहने के साथ ही अपना लैब चलाएंगे। मकान में शिफ्ट होने से पूर्व परिवार रविवार सुबह 11 बजे हवन व पूजा-पाठ करा रहा है।
बुराड़ी निवासी वीरेंद्र त्यागी बताते हैं कि उनका मकान उसी गली में है जहां 11 लोगों ने एक साथ आत्महत्या की थी। उनके कहने पर ही डॉक्टर मोहन सिंह कश्यप ने दिनेश सिंह चूंडावत के मकान को 25 हजार रुपये महीना किराए पर लिया है।
मूलरूप से उत्तराखंड के रुद्रपुर के रहने वाले मोहन सिंह का परिवार फिलहाल उत्तर-पूर्वी दिल्ली के भजनपुरा इलाके में रहता था। इनके परिवार में पत्नी कृष्णा देवी, एक 11 और पांच साल की दो बेटी व आठ साल का एक बेटे के अलावा एक भाई सोनू (26) है। पिछले कई सालों से मोहन सिंह बुराड़ी इलाके में ध्रुव पैथालॉजी के नाम से अपना लैब चलाते हैं। मोहन के तीन बच्चे भी बुराड़ी के नालंदा पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं। मोहन सिंह का कहना है कि वह किसी अंधविश्वास को नही मानते हैं।
नवंबर में उन्होंने मकान को देखा और उसको लेने का मन बना लिया। हालांकि कई लोगों ने उनसे मकान न लेने के लिए कहा, लेकिन वह और उनके परिवार ने मन बना लिया। मोहन का कहना है कि उनके बच्चे इस मकान से पहले से परिचित है। उनके बच्चे ललित की बहन प्रतिभा की बेटी प्रियंका से ट्यूशन पढऩे जाती थी। 11 लोगों के आत्महत्या के बाद पुलिस ने कई माह जांच के लिए मकान को सील करके रखा। बाद में इकलौते बचे ललित व भूपी के भाई दिनेश सिंह चूंडावत को मकान सौंप दिया गया। उसके बाद दिनेश ने मकान बेचने व किराए पर देने का खूब प्रयास किया, लेकिन कोई भी मकान न तो खरीदने और न किराए पर आने के लिए तैयार हुआ। अब बड़ी मशक्कत के बाद डेढ़ साल में पहली बार दिनेश को किराएदार मिला है।