सुलतानपुर में प्रत्याशियों को याद आया लोटा, धोती और जनेऊ

सुलतानपुर। जिन दलों के प्रत्याशियों को अपनी जातियों के वोटों से जीत का भरोसा था, वे अब ‘‘लोटा, धोती और जनेऊ’’ को अपने पाले में करके जीत सुनिश्चित करना चाह रहे हैं। ‘लोटा, धोती और जनेऊ का आशय ‘ब्राम्हणों’ से है। इन्हें केवल चुनाव में महत्व मिलता है। चुनाव के दौरान सारी पार्टियों द्वारा जातीय गणित बैठाकर टिकट दिया जाता है लेकिन चुनाव में सभी की निगाहें ब्राम्हणों पर रहती हैं।

187 इसौली विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी ने मो0 ताहिर खान को उतारा है तो बसपा यशभद्र सिंह मोनू को टिकट देकर इसौली से जीत दर्ज कराना चाहती है। अन्तिम क्षणों में भाजपा ने ब्राम्हण उम्मीदवार भाजपा नेता ओम प्रकाश पाण्डेय बजरंगी को पुनः मैदान में उतारकर ब्राम्हण कार्ड खेला है। तो 188 सुलतानपुर में बसपा से डा0 डीएस मिश्र ब्राम्हणों और दलितों के सहारे विधानसभा की डेहरी लांघना चाहते हैं। जबकि डा0 डीएस मिश्र से ब्राम्हण मतदाता नाराज बताया जा रहा है। ब्राम्हणों के नाराजगी का कारण साफ है कि डा0डीएस मिश्र ने अपने कैरियर में जिले के किसी ब्राम्हण का हित नहीं किया है। सिवाय नेताओं के यहां परिक्रमा करने या फिर बड़े नेताओं को मुकुट पहनाने के अलावा इनका कोई सामाजिक कार्य नहीं दिखाई देता है। सच बात तो यह है कि ब्राम्हण डा0 डीएस मिश्र के नाम से ही बिदगता है। यहां देखना यह दिलचस्प होगा कि बसपा प्रत्याशी डा0डीएस मिश्र ‘लोटा धोती और जनेऊ’ को अपने पाले में कैसे ला पाते हैं और अपना विश्वास और प्रभाव ‘लोटा धोती और जनेऊ’ पर कितना जमा पाते हैं। सदर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ रहे निषाद पार्टी के प्रत्याशी राज प्रसाद उर्फ राजबाबू उपाध्याय ब्राम्हण वोटरों के सहारे मैदान में हैं। हालांकि राज बाबू उपाध्याय इसके पहले भी दो बार इसी क्षेत्र से चुनाव लड़कर हार चुके हैं। फिर भी उन्हें ‘‘लोटा, धोती और जनेऊ’’ के सहारे जीत का भरोसा हैं। यही हाल 190-लम्भुआ विधानसभा क्षेत्र का है। जो ब्राम्हण बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। भगवान परशुराम की विशाल प्रतिमा बनवाकर चर्चा में रहते हुए सपा का टिकट हासिल करने में सफल रहे संतोष पाण्डेय को लोटा धोती और जनेऊ का ही भरोसा है। हालांकि उनके 2012 से 2017 तक के कार्यकाल में विधायक संतोष पाण्डेय को ब्राम्हणों की नाराजगी के कारण 2017 में हार का मुंह देखना पड़ा था। लेकिन इस बार उन्हें ब्राम्हणों के एकतरफा वोटो ंके सहारे चुनावी नैया पार कर लेने का भरोसा है। यही हाल कादीपुर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र का भी है। बसपा छोड़कर इस बार सपा टिकट पर लड़ रहे भगेलूराम को भी ब्राम्हण वोटरों का ही सहारा है, जबकि भाजपा के उम्मीदवार राजेश गौतम को पूरा यकीन है कि ब्राम्हणों का एकमुश्त वोट भाजपा को ही मिलेगा जिससे उन्हें जीत हासिल होगी। जो भी हो इस विधानसभा चुनाव में सभी प्रत्याशियों को लोटा धोती और जनेऊ याद आने लगा है।  

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