सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती सारदा, वीणा वादिनी और भाग्य देवी के रूप में भी होती है पूजा
वरुण सिंह/ वरुण सिंह
आजमगढ़ जनपद के सगड़ी तहसील क्षेत्र स्थित वेदांता इंटरनेशनल स्कूल बनकट में वसंत पन्चमी के शुभोप्लक्ष पर माँ विणावाणी का मंत्रो उच्चारण के साथ भव्य पूजन किया गया I भारतीय हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार नए ऋतू के प्रारंभ दिवस एवं होली उत्सव के समीप जाने का संकेत वसंत पंचमी का उत्सव करता है |
वसंत पंचमी माँ वाद्यदेवी के जन्मदिवस के रूप में भी वाणीपुत्रों के द्वारा मनाया जाता है | पूजन करवा रहे ब्राह्मण देवता ने बताया कि सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ।
प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।
विद्यालय के प्रबंधक शिव गोविंद सिंह ने संकलप एवं आचमन कर पूजन के समापन पर सरस्वती आरती की । विद्यालय प्राचार्य आर एस शर्मा ने मा वीणा वाणी को सृष्टि सर्जना में निहित मानस रूपरेखा का आधार बताया।
विद्यालय प्रांगन में सभी शिक्षक एवं शिक्ष्नेत्तर सहित प्रसासनिक महकमा पीले वश्त्र धारण कर माँ सरस्वती की आराधना किया |