चैत्र नवरात्र : ऐसे करें अपने राशि अनुसार दुर्गा स्वरूपनी की आराधना, होगी आप पर विशेष कृपा

इस चैत्र नवरात्रि में अपनी राशि अनुसार कैसे करें मां दुर्गा को प्रसन्न...?

मातारानी के दिन यानि नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू हो रहा है। . इस दौरान भक्त मातारानी के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना करते हैं और उन्हें खुश करने के लिए व्रत भी रखते हैं चैत्र नवरात्र की तैयारियां  देवी मंदिरों के साथ घरों में चल रही है,  आठ दिन का चैत्र नवरात्र 06 अप्रैल से प्रारम्भ हो रहा है। आठ दिवसीय नवरात्र में आठवें दिन ही महागौरी व नवम सिद्धिदात्री का दर्शन पूजन एक साथ होगा। ज्योतिषविद मनोज उपाध्याय ने बताया कि चैत्र नवरात्र में घट और कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त पूर्वान्ह 11.35 से अपरान्ह 12.24 बजे तक कुल 59 मिनट का ही है। नवरात्र में महानिशा पूजन 12-13 अप्रैल की रात होगा। 13 अप्रैल को रामनवमी है। नवरात्र में नौ दिन का व्रत रखने वाले श्रद्धालु व्रत का पारण 14 अप्रैल को करेंगे।

ज्योतिषाचार्य   ने बताया कि नवरात्र में माता का आगमन अश्व पर और गमन भैंसा पर होगा। भगवती का आगमन और गमन इस बात का सूचक है कि देश पर विपत्ति आ सकती है। इसमें किसी बड़े राजनेता का निधन, प्राकृतिक आपदा सहित शोक-रोग आदि की संभावना बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि चैत्र नवरात्र में दो शनिवार भी पड़ रहे हैं, जिसके प्रभाव से देश में खुशहाली बढ़ेगी। देश उन्नति करेगा। हालांकि देश में बड़े राजनीतिक और आर्थिक बदलाव होने के भी योग बन रहे हैं।

चैत्र नवरात्र में पहले दिन गायघाट स्थित मुख निर्मालिका गौरी और अलईपुर स्थित शैलपुत्री के दर्शन पूजन का विधान है। माना जाता है कि मां के गौरी स्वरूप के दर्शन से वर्ष भर घर में मंगल और कल्याण होता है।

देवी मन्त्र :-
ॐ अम्बे अम्बिकेम्बालिके न मा नयति कश्चन। ससस्त्यश्वक:सुभद्रिकां काम्पिलवासिनीम।।

हेमाद्रितनयां देवीं वरदां शङ्कर प्रियाम। लम्बोदरस्य जननीं गौरीमावाहयाम्यहम।।

नवरात्रि में भगवती महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती की आराधना विशेष रूप से की जाती है। इसी के साथ माता के 9 रूपों की नवदुर्गा अर्थार्त नवदेवी की आराधना इन दिनों में भक्तगण करते हैं। इन नवरूप के साथ ही दुर्गा माँ ने अनेक रूप धारण किए हैं व समय-समय पर भक्तों के मनोरथ पूर्ण किए हैं।

ऐसे करें राशि अनुसार दुर्गा स्वरूपनी की आराधना

सर्वप्रथम देवी मां का आवाहन करें…
आगच्छ त्वं महादेवि, स्थाने चात्र स्थिरा भव। यावत पूजां करिष्यामि, तावत त्वं सन्निधौ भव।।
आवाहन के बाद आप देवी की आराधना करें।

मेष :-
मेष राशि वाले भवानी स्वरूप की आराधना करें। माता को लाल फूल चढ़ाएं लाल वस्त्र पहनकर पूजा करें। लाल चंदन की माला से देवी मंत्रों का जाप करें। नैवेद्य में गुड़, लाल रंग की मिठाई चढ़ा सकते हैं। नवार्ण मंत्र इनके लिए लाभदायी रहेगा।

वृषभ :-
वृषभ राशि वाले सरस्वती देवी की आराधना करें। श्वेत वस्त्र धारण करें श्वेत पुष्प पुष्प अर्पित करें और सफेद चंदन या स्फटिक की माला से कोई भी दुर्गा जी का मंत्र जप कर नैवेद्य में सफेद बर्फी या मिश्री का भोग लगा सकते हैं।

मिथुन :-
मिथुन राशि वाले भुवनेश्वरी देवी की आराधना करें हरा वस्त्र पहनकर हरे आसन पर बैठकर पत्ती युक्त पुष्प अर्पित करें। और तुलसी की माला से जप कर गायत्री या दुर्गा मंत्रों का जाप कर सकते हैं। नैवेद्य में खीर का भोग लगाएं।

कर्क :-
कर्क राशि वाले भैरवी स्वरूप की आराधना करें। अक्षत और दही चढ़ाएं मिश्री का भोग लगाएं श्वेत वस्त्र पहने। सफेद चंदन या स्फटिक की माला से जप करें और नैवेद्य में दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।

सिंह :-
सिंह राशि वाले जया स्वरूप की आराधना करें और गुलाबी य हल्के लाल रंग के पुष्प आदि से पूजन करें गुलाबी आसन पर बैठे। गुलाबी हकीक की माला सिद्धकर धारण करें नैवेद्य में कोई भी मिठाई अर्पण कर सकते हैं।

कन्या :-
राशि वाले चन्द्रघंटा स्वरूप की आराधना करें। हरा वस्त्र पहनकर हरे आसन पर बैठकर पत्ती युक्त पुष्प अर्पित करें। तुलसी की माला से जप कर गायत्री दुर्गा मंत्रों का जाप कर सकते हैं। और नैवेद्य में खीर का भोग लगाएं।

तुला :-
तुला राशि वाले लक्ष्मीजी की आराधना करें। श्वेत वस्त्र धारण करें श्वेत पुष्प पुष्प अर्पित करें और सफेद चंदन या स्फटिक की माला से कोई भी दुर्गा जी का मंत्र जप कर नैवेद्य में सफेद बर्फी या मिश्री का भोग लगा सकते हैं।

वृश्चिक :-
वृश्चिक राशि वाले कालरात्रि की आराधना करें। माता को लाल फूल चढ़ाएं लाल वस्त्र पहनकर पूजा करें और लाल चंदन की माला से देवी मंत्रों का जाप करें। नैवेद्य में गुड़, लाल रंग की मिठाई चढ़ा सकते हैं। नवार्ण मंत्र इनके लिए लाभदायी रहेगा।

धनु :-
धनु राशि वाले देवी के मातंगी स्वरूप की आराधना करें। पीताम्बरी वस्त्र धारण करें पीले पुष्पों से पूजा करें माता को हल्दी चढ़ाएं। हल्दी की माला से बगुलामुखी या दुर्गा जी का कोई भी मंत्र का जप ध्यान कर लाभ पा सकते हैं। नैवेद्य हेतु पीली मिठाई व केले चढ़ाएं।

मकर :-
मकर राशि वाले शारदा देवी की आराधना करें और आसमानी रंग के आसन पर बैठकर नीले फूलों से पूजा करें। नीले पुष्प व नीलमणि की माला से जाप कर नैवेद्य में उड़द से बनी मिठाई या हलवा चढ़ाएं।

कुंभ :-
कुंभ राशि वाले कालिकाजी की आराधना करें और नीले रंग के आसन पर बैठकर नीले फूलों से पूजा करें। नीले पुष्प व नीलमणि की माला से जाप कर नैवेद्य में उड़द से बनी मिठाई या हलवा चढ़ाएं।

मीन :-
मीन राशि वाले गौरीजी की आराधना करें। पीले वस्त्र धारण करें पीले पुष्पों से पूजा करें देवी को हल्दी चढ़ाएं। हल्दी की माला से बगुलामुखी या दुर्गा जी का कोई भी मंत्र का जप ध्यान कर लाभ पा सकते है। नैवेद्य हेतु पीली मिठाई व केले चढ़ाएं।