चंपावत : दलित भोजनमाता के हाथ का खाना खाने को लेकर फिर हुआ विवाद

चंपावत। आज जाति व्यवस्था का मुद्दा देश लगातार सामना कर रहा है। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जो बहुत ही आम समस्या बनकर रह गई है। कुछ लोग इस व्यवस्था के खिलाफ तो कुछ इसके मुखालफत में है। लगता यही है कि जातिवाद की जड़ों में दरार डालने में अभी कई युगों का समय लग सकता है। इन दिनों उत्तराखंड के चर्चित जिले चंपावत के सूखीढांग में कुछ माह पूर्व एक स्कूल में दलित भोजन माता के हाथों बने भोजन को कुछ सवर्ण बच्चों ने खाने से मना कर दिया था। वहीं एससीएसटी आयोग ने इस मामले को लेकर नियमों के बावजूद सुनीता देवी की नियुक्ति नहीं किये जाने का आरोप लगाया।

डीएम भंडारी ने स्कूल पहुंच बच्चों के साथ किया सामूहिक भोजन

अंततः विभाग ने संज्ञान लिया ओर सुनीता देवी को नियुक्ति मिली। यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना रहा। मामला खत्म होने के बाद फिर से इस मामले ने फिर नया मोड़ ले लिया है। आरोप है कि सवर्ण बच्चों ने फिर दलित भोजन माता के हाथ से भोजन खाने को मना कर दिया है। आपको बता दें कि वर्तमान में स्कूल में दो सवर्ण तथा एक दलित भोजन माता मिड डे मिल में कार्यरत हैं। स्कूली प्रशासन द्वारा समझाने के बाद भी बच्चे भोजन खाने को तैयार नहीं हैं।

राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग के प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने बताया कि स्कूल के सिस्टम में यह विवाद सामाजिक सौहार्द को लेकर ठीक नहीं है। अभिभावकों को बुलाकर बैठक के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है। इस मामले को लेकर उन्होंने उच्च अधिकारियों को सूचना दे दी है।

इस मामले की जानकारी जब डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी को मिली तो वह शुक्रवार को स्कूल पहुंचे ओर स्कूली प्रशासन के साथ बैठक कर कारणों की जानकारी जुटाई। साथ ही मामले को जल्द सुलझाने के लिए उन्होंने कहा कि जल्द विद्यालय प्रबंध समिति के साथ बैठक कर इस विवाद को सुलझाया जाए। डीएम भंडारी ने सभी बच्चों के साथ बैठकर स्वयं भोजन भी किया ओर अभिभावकों से भी वार्ता कर इस प्रकार की जातीय भेदभाव को समाज के हित के लिए कलंक बताया। वहीं अभिभावकों ने जिला अधिकारी को बताया कि विद्यालय में मध्याह्न भोजन न करने का कोई भी प्रकरण नहीं है। सभी बच्चे मध्याह्न भोजन कर रहे हैं। कुछ बच्चे चावल कम खाते हैं, इसी कारण चावल नहीं खा रहे हैं।

अभिभावकों से बातचीत के बाद भी नहीं निकल पाया हल

वहीं जिलाधिकारी ने कहा कि जो बच्चे चावल नहीं खाते हैं, वह दाल अवश्य लें, ताकि विद्यालय में समानता का व्यवहार बना रहे। अभिभावकों ने कहा कि मुख्य समस्या विद्यालय के एक अध्यापक द्वारा कक्षा 10वीं की दो छात्राओं को थप्पड़ माने का है, जिस कारण बच्चे उनसे डरे हुए हैं और विद्यालय आने से डर रहे हैं। डीएम ने प्रकरण को गंभीरतापूर्वक लेते मुख्य शिक्षा अधिकारी चंपावत को तत्काल जांच कर संबंधित अध्यापक के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

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