आचार्य चाणक्य गिना गए वो 4 काम, जिनको करने के बाद जरूरी है स्नान

प्रतिदिन सभी स्नान करते है. कुछ लोग ऐसे होते है जो सिर्फ सुबह के समय स्नान कर लेते है और फिर दिन में किसी भी समय स्नान को महत्व नही देते है. किन्तु सुबह उठने के पश्चात तो सभी स्नान करते हैं, किन्तु आचार्य चाणक्य ने इसके अतिरिक्त कुछ और ऐसी स्थितियां बताई हैं, जिनमें जरुर नहाना चाहिए.

आचार्य चाणक्य के अनुसार-
तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।
चाणक्य के अनुसार किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा धन उसका अच्छा स्वास्थ्य होता है. और हम देखते है की इसी कारण से स्वास्थ्य के संबंध में कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं. अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छे खान-पान के साथ अच्छा रहन-सहन और अच्छी आदतों का होना भी बहुत जरूरी होता है. रहन-सहन का भी हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है. बहुत सी बीमारियां तो ऐसी होती है जो केवल नहाने से ही दूर हो जाती है. आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में ऐसे 4 प्रकार के काम बताए हैं, जिनको करने के बाद सभी व्यक्ति को नहाना चाहिए.

1. तेल से मालिश के बाद स्नान करना

आचार्य चाणक्य के अनुसार हमारे शरीर को स्वस्थ और चमकदार त्वचा बनाने के लिए सप्ताह में एक बार हमें पूरे शरीर पर तेल से मालिश करनी चाहिए. क्योंकि तेल से मालिश करने के बाद हमारे शरीर के रोम छिद्र के खुल जाने से रोम छिद्र का मेल बाहर हो जाता है. और हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है साथ ही त्वचा भी दमकने लगती है. तेल मालिश होने के तुरंत बाद हमें नहाना चाहिए. नहाने से शरीर पर लगा समस्त मेल और तेल साफ हो जाता है. तेल मालिश करने के बाद यदि कोई भी व्यक्ति बिना नहाए घर से बाहर जाता है तो अशुभ माना जाता है.

2. शवयात्रा से लौटकर स्नान करना
जब किसी व्यक्ति या संबंधी की मृत्यु हो जाती है तो उसे अंतिम संस्कार के लिए शमशान ले जाया जाता है. तो हम भी उसकी अंतिम यात्रा में सम्मिलित होते है. अंतिम यात्रा और शमशान जाने पर वहां से वापस आने पर तुरंत बाद नहा लेना चाहिए. क्योंकि श्मशान के वातावरण में कई प्रकार के जीवाणु और कीटाणु होते हैं जो कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. शमशान में जाने पर ये कीटाणु हमारे बालों में और कपड़ों पर लग जाते हैं, यदि इन कीटाणुओं को साफ नही किया जाए तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. अत: शमशान से घर आने के तुरंत बाद नहा लेना चाहिए.

3. स्त्री प्रसंग के बाद स्नान

कोई भी स्त्री या पुरुष किसी स्त्री या पुरुष के साथ प्रेम-प्रसंग(काम क्रिया) करता है तो उसके बाद उसे नहा लेना चाहिए. क्योंकि काम क्रिया के बाद स्त्री और पुरुष दोनों ही अपवित्र हो जाते हैं. काम क्रिया या संभोग के बाद जब तक व्यक्ति नहाता नही है, तब तक वह किसी भी धार्मिक आयोजन में सम्मिलित होने योग्य नहीं होता है. आचार्य चाणक्य कहते है की काम क्रिया के बाद बिना नहाए, घर से बाहर भी नहीं जाना चाहिए.
4. बाल कटवाने के बाद
चाणक्य के अनुसार हजामत अर्थात बाल कटवाने के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए. जब हम हमारे सिर के बाल कटवाते है तो बाल कटवाने के बाद छोटे-छोटे बाल हमारे पुरे शरीर पर चिपक जाते हैं जो सिर्फ नहाने के बाद ही हमारे शरीर से साफ होते है. अत: हमें सदैव बाल कटवाने के बाद नहाना चाहिए.

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