देश ही नहीं पूरे विश्व की निगाहें अब सात सितंबर पर टिकी हैं जब चंद्रयान-2 लैंडर ‘विक्रम’ अपने साथ रोवर ‘प्रज्ञान’ को लेकर रात डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इस अभियान के सफल होने पर रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चाँद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा और चाँद के अब तक अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुँचने वाला पहला राष्ट्र बन जाएगा।
लैंडर के उतरने के लगभग चार घंटे बाद इसके भीतर से रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चाँद की सतह पर एक चंद्र दिन (धरती के 14 दिन के बराबर) तक वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा।
चार घंटे बाद बाहर आएगा रोवर
चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद विक्रम के भीतर से रोवर प्रज्ञान सात सितंबर की सुबह साढ़े पांच बजे से साढ़े छह के बीच चांद पर चहलकदमी शुरू करेगा। रोवर एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के 14 दिन के बराबर) तक चंद्रमा की सतह पर रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा।
15 मिनट की होगी सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया
1:30 से 2:30 बजे के बीच होगी साफ्ट लैंडिंग
3:55 लैंडर से रोवर बाहर निकलेगा।
5:30 से 6:30 बजे रोवर चंद्रमा पर उतर जाएगा।
कहां देखें
– इसरो की आधिकारिक वेबसाइट पर चंद्रयान-2 लैंडिंग की लाइव स्ट्रीमिंग होगी।
– पीआईबी अपने यूट्यूब पेज पर लाइव स्ट्रिमिंग दिखाएगा ।
देश-विदेश की नजरें
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा समेत पूरे विश्व की निगाहें चंद्रयान-2 के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने पर टिकी हैं।
क्या है खास
– चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा।
– अभियान की सफलता के साथ भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
– चंद्रयान में इस्तेमाल किए गए सभी उपकरण भी स्वदेशी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी भी लाइव देखेंगे
इस ऐतिहासिक क्षण को नजरभर देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देश भर से आए करीब 70 छात्र-छात्राएं इसरो के बेंगलुरु स्थित केंद्र में मौजूद रहेंगी।
आगे क्या होगा
– छह पहियों वाला रोबोटिक उपकरण प्रज्ञान (रोवर) 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।
– ऑर्बिटर एक साल तक चांद की परिक्रमा कर इसरो को जानकारियां भेजता रहेगा।
लैंडर से रोवर को निकालने में कितना समय लगेगा?
लैंडर के अंदर ही रोवर (प्रज्ञान) रहेगा। यह प्रति 1 सेंटीमीटर/सेकंड की रफ्तार से लैंडर से बाहर निकलेगा। इसे निकलने में 4 घंटे लगेंगे। बाहर आने के बाद यह चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। यह चंद्रमा पर 1 दिन (पृथ्वी के 14 दिन) काम करेगा। इसके साथ 2 पेलोड जा रहे हैं। इनका उद्देश्य लैंडिंग साइट के पास तत्वों की मौजूदगी और चांद की चट्टानों-मिट्टी की मौलिक संरचना का पता लगाना होगा। पेलोड के जरिए रोवर ये डेटा जुटाकर लैंडर को भेजेगा, जिसके बाद लैंडर यह डेटा इसरो तक पहुंचाएगा।
चांद की धूल से सुरक्षा अहम
वैज्ञानिकों के मुताबिक- चंद्रमा की धूल भी चिंता का विषय है, यह लैंडर को कवर कर उसकी कार्यप्रणाली को बाधित कर सकती है। इसके लिए लैंडिंग के दौरान चार प्रक्षेपक स्वत: बंद हो जाएंगे, केवल एक चालू रहेगा। इससे धूल के उड़ने और उसके लैंडर को कवर करने का खतरा कम हो जाएगा।