
प्रदेश सरकार के पैसे का बंटाधार
भास्कर समाचार सेवा
गाजियाबाद। जहां एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विकास की गंगा को प्रदेश में बहाने का कार्य कर रहे हैं। वहीं सभी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत में स्थित बनी मार्केट और कार्य का लेखा-जोखा भी लेकर वित्त विभाग सरकार के राज्यसव को बढ़ाने में कार्य करते दिखाई दे रहे है। मगर इसके विपरीत डासना नगर पंचायत की घोर लापरवाही भी देखने को मिली है। जनता की सहूलियत के लिए बनी मार्किट बदहाली के आंसू बहा रही है। वहीं डासना नगर पंचायत की एक बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है। डासना नगर पंचायत द्वारा नेशनल हाईवे डासना में 2006 में बनाई गई 39 दुकानों की नीलामी 2008 में की गई थी। जिनका पैसा बोलीदाताओ द्वारा नहीं जमा कराया गया। केवल 4 दुकानों का पैसा जमा कराया गया। बाकी की 35 दुकाने अपनी बदहाली के आंसू बहा रही हैं। यानी कि सरकार के करोड़ों रुपए का बंटाधार भी होता हुआ नगर पंचायत में दिखाई दिया है। बॉक्स(नगर पंचायत की बड़ी लापरवाही)जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि डासना नगर पंचायत के द्वारा नेशनल हाईवे पर 39 दुकानों का निर्माण सन 2006 में किया गया था। दुकानों के निर्माण के उपरांत 2008 में इनकी नीलामी की गई थी और नीलामी में कीमत ढाई लाख रुपए से अधिक की रखी गई थी। लिहाजा बोलीदाताओं द्वारा नीलामी में भाग लेकर बोली कि राशि को जमा किया गया था। और दुकानों को आवंटित नगर पंचायत द्वारा कर दिया गया। हालांकि केवल 4 लोगों द्वारा दुकान के पैसे को जमा किया गया। बाकी की दुकानों के पैसे जमा नहीं किए गए और 17 साल से डासना नगर पंचायत की लापरवाही के कारण डासना नगर पंचायत को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यानी कि सरकार द्वारा राजस्व को बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई मार्केट का बंटाधार भी नगर पंचायत की लापरवाही से हुआ। डासना नगर पंचायत की बड़ी लापरवाही की वजह से डासना नगर पंचायत को तो राजस्व का नुकसान हुआ ही बल्कि सरकार के करोड़ों रुपए की लागत से बनी मार्केट का भी हाल बेहाल नजर आया है। बॉक्स(किसी भी चेयरमैन ने नगर पंचायत के राज्यसव को बढ़ाने की जहमत नही उठाई)2006 में चेयरमैन बने हाफिज अताउल्ला अंसारी के कार्यकाल में बनी यह दुकाने डासना नगर पंचायत को सौगात के रूप में मिली थी। मगर नगर पंचायत चेयरमैनो और अधिकारियों की लापरवाही की वजह से दुकान परवान नहीं चढ़ पाई और किसी भी बोलीदाता को नोटिस नहीं दिया गया। जिससे की डासना नगर पंचायत के राजस्व में बढ़ोतरी हो सके। 17 साल से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही दुकाने जहां सरकार के पैसे का बंटाधार करती हुई दिखाई दे रही हैं। वही डासना नगर पंचायत के राज्यस्व को भी मुंह चिढ़ाती हुई दिखाई दी है। आखिर क्या वजह रही कि डासना के चेयरमैनो और अधिकारियो ने कोई जहमत तक नही उठाई। आज भी मार्किट अपनी बदहाली के आंसू बहाती हुई दिखाई दे रही है। बॉक्स(क्या कहते है पूर्व चेयरमैन पति)हाजी आरिफ ने बताया कि हमारे कार्यकाल से पहले यह मार्केट बनी हुई थी और हमारे द्वारा इन दुकानों के निरस्तीकरण को लेकर भी बातचीत की गई थी। लिहाजा बातचीत परवान नहीं चढ़ पाई। जिस कारण से मार्केट पुराने ही ढर्रे पर चलती रही। कुछ लोगों द्वारा मार्केट पर कब्जा भी किया गया है और कुछ दुकानों को कब्जाने का कार्य किया गया। इस मामले में उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराने का कार्य किया गया था। लिहाजा मार्केट के सही रूप से कार्य करने पर या बोलीदाताओं जिनको दुकान आवंटित हुई थी। पूरे पैसे जमा हो जाते तो डासना नगर पंचायत के राजस्व में बढ़ोतरी होती और महावार किराया भी आना शुरू हो जाता। लिहाजा कहीं ना कहीं अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। बॉक्स(वर्तमान चेयरमैन पति ने क्या कहा)वर्तमान चेयरमैन बागे जहां के पति मुजाहिद हुसैन उर्फ बाबू भाई ने बताया कि अभी कुछ ही समय पूर्व शपथ ली गई है और पहली बोर्ड मीटिंग में कई अहम मुद्दे होंगे। जिन को लेकर रवि नव नियुक्त सभासदों के साथ मार्केट सहित कई मुद्दों पर बातचीत की जाएगी और कई ऐसे एजेंडे है जो डासना कस्बे में लागू होने हैं। जिनको लेकर एजेंडे पर बातचीत भी की जानी है। हालांकि मार्किट और सरकारी संपत्ति पर कब्जे को लेकर भी बातचीत की जाएगी और जितनी भी सरकारी संपत्ति है। उन पर अवैध कब्जे हैं। उनको लेकर अधिकारियों के साथ मीटिंग में तय किया जाएगा कि क्या करना है और कैसे करना है। क्योंकि सभी सरकारी संपत्तियों को खाली कराना भी पहली प्राथमिकता में है और दुकानों को लेकर भी दिल्ली बोर्ड मीटिंग में एजेंडे में यह रखा जाएगा हालांकि जल्द ही पहली बोर्ड मीटिंग होने के लिए तैयारियां की जा रही हैं और उसमें कई अहम मुद्दे होंगे। डासना नगर पंचायत कस्बे को कैसे विकास की गति देनी है और नगर पंचायत कस्बे में क्या-क्या कार्य ऐसे होने हैं। जिनको लेकर जनता ने नई बॉडी का चयन किया है। फिलहाल इस मामले में अधिकारियों से बातचीत कर इस मामले का कोई समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। बॉक्स(क्या कहते है नगर पंचायत अधिकारी)वर्तमान अधिशासी अधिकारी मनोज मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि मेरे कार्यकाल से पहले दुकानें बनी थी और पूर्व में किस ने क्या किया उसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। नगर पंचायत की बनी मार्केट में 39 दुकानें बनी हैं। जिनमें चार आवंटित द्वारा पैसा जमा करा दिया गया था। 35 दुकानों का पैसा जमा नहीं हुआ है और उनको कई बार नोटिस दिया गया था। लिहाजा कोई भी सुनवाई नहीं हुई। जिसको लेकर बोर्ड मीटिंग में तय होना था कि एक बार फिर उन्हें मौका दिया जाए और पैसे को जमा कराने को लेकर बातचीत की जानी तय हुई थी। मगर बॉडी मीटिंग में बात आगे नहीं बढ़ पाई और किन्ही कारणों से आवंटियो को नोटिस नहीं दिया जा सका। फिलहाल दुकानों को लेकर निरस्त को लेकर जिला प्रशासन को अवगत कराने का कार्य किया जाएगा और दोबारा से मार्केट को नए रंग रूप में शामिल कर दुकानों को नीलाम किया जाएगा। क्योंकि 17 साल का समय बहुत बड़ा समय होता है और 17 साल में जो अब तक दुकानों के पैसे जमा नहीं कर पाए वह अब आगे क्या जमा कर पाएंगे। इसको लेकर भी जिला प्रशासन को पत्र लिखकर पूरे मामले से अवगत कराने का कार्य किया जाएगा।