रूपईडीहा/बहराइच। कोविड 19 की महामारी से जहां पूरा विश्व कराह रहा है। इस इण्डो नेपाल बार्डर पर आम नागरिकों को भारी दुख झेलने पड़ रहे है। बीते दिनों लाखों की संख्या मे नेपाली इस रूपईडीहा बार्डर से नेपाल चले गये। रोटी बेटी के सम्बंधों के नाते लोग अपनी जरूरतों के लिए नेपाल व भारत आने जाने के लिए मजबूर है। उच्चाधिकारियों के आदेशानुसार भारतीय नागरिक आईडी दिखाकर नेपाल से भारत व नेपाली नागरिक आईडी दिखाकर भारत से नेपाल जा सकते है। परन्तु 42वीं वाहिनी एसएसबी की रूपईडीहा बीओपी पर जवान आये दिन नेपाली नागरिकों की आईडी देखने के बावजूद नेपाल जाने नही दे रही है। ऐसी ही स्थिति नेपाल से भारत आने वाले भारतीय नागरिकों के लिए बनी हुई है। भारतीय नागरिकों को रूपईडीहा आने के लिए नेपाली थाना जमुनहां मे भी तंग किया जाता है। कुछ ऐसे भी भारतीय मजदूर नेपाल मे फंसे हुए है। जिनका आधार ही नही बना है। उनके सामने भारी समस्या आ खड़ी हुई है। ये समस्याए बहराइच व नेपाली जिला बांके के डीएम एसपी तक पहुंच ही नही रही है। दोनों ओर वर्दी धारी सुरक्षाकर्मी ऐसे लोगों को डांट फटकार कर घण्टों खड़ा रखते है। नेपालगंज निवासी देवी दयाल अपनी पत्नी सुमन के साथ अपनी छोटी बेटी का प्लास्टर बंधवाने भारतीय क्षेत्र मे आया था। नेपाली आईडी दिखाने के बावजूद उसे नही जाने दिया गया। कस्बे से सटा नेपाली गांव जमुनहां है। वहां की निवासिनी शबनम भी एसएसबी की बैरियर पर घंटों खड़ी अपनी नेपाली आईडी दिखाते हुए मिन्नते करती रही। देवी दयाल ने पूछने पर बताया कि मै शुक्रवार की सुबह 10 बजे से नेपालगंज जाने के लिए खड़ा हूं। दिनभर खड़ा रहने के बाद उसे रात 11 बजे छोड़ा गया। उसी के साथ शबनम भी चली गयी। आये दिन इस प्रकार की घटनाए एसएसबी के जवान रौब झाड़ते हुए तमाशा बनाये रखते है। दोनों देशों के अधिकारियों को सीमा पर खड़े इन लोगों को नागरिको से विनम्रता सिखानी होगी।
क्या कहते है असिस्टेंट कमांडेंट- इस संबंध मे जब रूपईडीहा की एसएसबी बीओपी के इंचार्ज सुकुमार देव वर्मन से बात की गयी तो उन्होने सफाई पेश करते हुए कहा कि यह आरोप सरासर गलत है। किसी को रोका नही जाता। आईडी देखने के बाद लोगों को छोड़ दिया जाता है। उन्होने यह भी कहा कि मेरे पास कोई आता ही नही। जबकि बैरियर्स से उनका आफिस दूर है। लोग वहां तक पहुंच नही पाते। जवान बैरियर पर लोगों को परेशान करते देखे जाते है।