सीएम का नोएडा जाना माना जाता था अपशगुन, योगी गये और रच दिया इतिहास

लखनऊ। UP में कोई पार्टी दोबारा सत्ता में नहीं आई… मैं इस रिकॉर्ड को तोड़ दूंगा। ये शब्द योगी आदित्यनाथ के हैं। चुनाव के दौरान एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने यह बात कही थी। हुआ भी ऐसा ही। UP में भाजपा की पूर्ण बहुमत की दोबारा सरकार बनी। यह 37 साल बाद हुआ। इसके पहले 1980 और 1985 में कांग्रेस ने लगातार दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार UP में बनी थी।

तीन दशक से एक मिथक बना

UP की सियासत में पिछले तीन दशक से एक मिथक बना हुआ है। कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है। नोएडा को लेकर मिथक 1988 से बना हुआ है। तब पहली बार तब के CM वीर बहादुर सिंह नोएडा आए और अगला चुनाव हार गए। उनके बाद नारायण दत्‍त तिवारी CM बने और 1989 में नोएडा आए। इसके कुछ समय बाद उनकी कुर्सी चली गई।

मायावती भी नोएडा गईं और सरकार गवाई

इसके बाद कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ कि वे नोएडा आए और हाथ से CM पद चला गया। 2011 में मायावती भी नोएडा गईं और अगले चुनाव में उनकी सरकार चली गई। सियासी गलियारों में चर्चा है कि इसी कारण से CM रहते हुए अखिलेश यादव नोएडा नहीं गए। हालांकि फिर भी वह सरकार रिपीट नहीं कर पाए थे।

मैं मिथक तोड़ने ही राजनीति में आया हूं-योगी आदित्यनाथ

CM बनकर योगी आदित्यनाथ ने नोएडा के 22 से ज्यादा दौरे किए और पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रहे। नोएडा को लेकर जब योगी से एक इंटरव्यू में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि मैं मिथक तोड़ने ही राजनीति में आया हूं।

योगी ने ली सीएम पद की शपथ

योगी सरकार का पहला शपथ ग्रहण समारोह 19 मार्च 2017 को हुआ था। शुभ मुहूर्त का वह दिन रविवार का था। हालांकि इसके बाद से योगी ने पहली दो बैठकें मंगलवार को ली थीं। योगी कैबिनेट की पहली बैठक 4 अप्रैल 2017 रामनवमी पर हुई थी। इसमें 9 फैसले लिए गए थे। इसमें अहम फैसला किसानों की कर्ज माफी का था।

योगी कैबिनेट की दूसरी बैठक 11 अप्रैल 2017 हनुमान जयंती पर हुई थी। इसके बाद अहम दौरे और ज्यादातर कैबिनेट की बैठक मंगलवार को ही होती रही है। इसे लेकर राजनीतिक गलियारे में चर्चा होती रही है। कोई कहता था कि योगी इस दिन को शुभ मानते हैं। कोई इसके एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन बताता था। हालांकि अब दूसरी बार शपथ ग्रहण योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को नहीं, बल्कि शुक्रवार यानी कि 25 मार्च 2022 को ली।

मिथक भी योगी के सामने नहीं टिक सका

UP की राजनीति से एक्सप्रेस-वे का भी एक मिथक हाल में जुड़ गया। कहा जाता था कि जिस मुख्यमंत्री के कार्यकाल में एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास और उद्घाटन होता है, वह सत्ता में वापसी नहीं कर पाता है। 2002 में मायावती ने ताज एक्सप्रेस-वे की शुरुआत की। शिलान्यास के बाद ही उनकी सरकार गिर गई।

इसके बाद 2012 में अखिलेश की सरकार बनी। उन्होंने ताज एक्सप्रेस-वे को पूरा कराया। नया नाम यमुना एक्सप्रेस-वे दिया। इसके बाद आगरा एक्सप्रेस-वे का भी लोकार्पण किया। 2017 में अखिलेश यादव की सरकार नहीं बनी। ऐसे में UP में यह मिथक और भी मजबूत होता चला गया।

इसके बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस-वे दिए। 2022 के चुनाव नतीजों ने इस मिथक को भी गलत साबित कर दिया। योगी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है।

चुनाव लड़ा भी और लड़वाकर CM की कुर्सी तक पहुंचे

UP की सियासत में एक मिथक विधानसभा चुनाव लड़ने से भी जुड़ा हुआ है। ज्यादातर नेता विधानसभा चुनाव नहीं लड़ते हैं। MLC होकर CM की कुर्सी तक पहुंचते हैं। 2022 से पहले मायावती, अखिलेश और योगी आदित्यनाथ इसी तरह से CM की कुर्सी तक पहुंचते रहे हैं। आखिरी बार सपा पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने गुन्नौर सीट से विधानसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। UP के CM भी बने थे।

योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चुनाव मैदान में आए

2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव करहल से, जबकि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चुनाव मैदान में आए। जीते भी, लेकिन सरकार भाजपा की प्रदेश में आई है। अब योगी आदित्यनाथ CM पद की शपथ ले रहे हैं। यहीं नहीं, इसी के इर्द-गिर्द एक और मिथक यह भी रहा है कि जो नेता मुख्यमंत्री रहते चुनाव करवाता है, वह अगले चुनाव में सत्ता में नहीं आता या लगातार मुख्यमंत्री नहीं बन पाता है। योगी ने इस मिथक को भी UP से अलविदा कर दिया है।

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