
भास्कर समाचार सेवा।
बिजनौर | थाना धामपुर पुलिस ने कल शुक्रवार को गांव मीमला से हुए अपहृत बच्चे को १२ घण्टे के भीतर सकुशल बरामद कर एक सराहनीय कार्य किया है। बच्चों की सकुशल बरामदगी के बाद परिजनों ने राहत की सांस ली है।
पुलिस अधीक्षक ने बरामद करने वाली टीम को २५ हजार इनाम देने की घोषणा की है |
उल्लेखनीय है कि १९ जुलाई को धामपुर के शिखर शिशु सदन स्कूल से वैन में अपने गांव लौटने पर लगभग ढाई बजे ११ वर्षीय बच्चे शशांक का अपहरण कर लिया गया था | काफी समय तक घर नहीं पहुंचने पर घरवालों ने खोजबीन की। साथ आये बच्चों ने बताया कि वह सभी एक साथ ही गांव की परचून की दुकान के सामने उतरे थें। खोजबीन करने पर एक गली में शशांक का जूता पड़ा मिला था। जिसके बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मौके पर पहुंच सीसीटीवी कैमरे चैक किए | कैमरे में एक गाड़ी में बच्चा नजर आया| पुलिस की तीन टीमें इस काम पर लगाईं गई थी |पुलिस व सर्विलांस टीम द्वारा की गई विवेचना में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने पर पुलिस ने बच्चें को गाजियाबाद से बरामद कर लिया। जहां से टीम ने अपहरण में शामिल अभियुक्त अर्जुन तोमर पुत्र मानसिंह निवासी मकान नं ६७ विवेकानंद नगर गाजियाबाद मूल निवासी गांव मऊ खास मुडाली जनपद मेरठ को गिरफ्तार किया है |
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस सारे मामले का सूत्रधार शशांक का मौसेरा भाई गौरव है। जिसने पैसे के लिए अपने तीन साथियों के साथ मिलकर गांव से अपहरण कराया था |
अभियुक्त अर्जुन तोमर ने पूछताछ में बताया कि उसने बीसीए तक पढ़ाई की है तथा मेरे साथ गौरव चौहान पुत्र मनोज चौहान निवासी ग्राम मीमला थाना धामपुर जनपद बिजनौर भी पढ़ता था | वहीं से मेरी दोस्ती गौरव से हो गई थी | गौरव ने बताया की जमीन गिरवी रखी है नौकरी भी नहीं लगी है| इसी वजह से सूर्य प्रताप उर्फ सूरज निराला पुत्र दिनेश कुमार निवासी ग्राम मीमला थाना धामपुर, गौरव चौहान पुत्र मनोज कुमार निवासी ग्राम मीमला थाना धामपुर, बाली सिंह पुत्र ना मालूम निवासी कानपुर ने मिलकर गौरव के मौसेरे भाई शशांक की
किडनैपिंग की योजना बनाई | योजना अनुसार मैं अपनी टाटा पंच गाड़ी से अपने साथियों के साथ दोपहर के समय 2:00 बजे गांव में पहुंच गया। जहां सब मिलकर आशुतोष के लड़के शशांक का इंतजार करने लगे। शशांक के छुट्टी पर आने के बाद उसका हमने अपहरण कर लिया। शशांक के अपहरण के बाद सूरज निराला रास्ते में उतर गया था। हम तीनों शशांक को लेकर गाजियाबाद जा रहें थे। गांव दुजाना के जंगल में सड़क के किनारे शशांक को लघुशंका करा रहा था तभी पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। गाड़ी में बैठे मेरे दो साथी बल्ली व गौरव मौके से फरार हो गए| मैंने शशांक के पिता आशुतोष से फेसबुक के माध्यम से काल की थी जिसका कोई जबाब नही मिला| मेरा फ़ोन गाड़ी में था जिसे मेरे साथी लें गये है |अभियुक्त ने बताया कि शशांक का अपहरण फिरौती के लिए किया गया था। जिसमें गौरव ने एक लाख मुझे देने को कहां था |
बाकी अभियुक्तों की पुलिस तलाश में लगी है।
माना जा रहा है कि अपहृत शशांक को फिरौती लेकर जीवित शायद ही छोड़ते क्योकि गौरव को वह जानता था। बच्चे शशांक के सकुशल लौटने पर परिजनों ने राहत की सांस ली है ।वही उन्होंने पुलिस का भी आभार व्यक्त किया है |