
राधा रानी मंदिर में आयोजित हुई द्वापरकालीन लड्डू लीला
भास्कर समाचार सेवा
बरसाना । वैसे तो होली की शुरुआत बसंत पंचमी से हो जाती है। मंदिर परिसर में गुलाल बरसने लगता है और श्रद्धालु भी एक दूसरे को गुलाल लगाकर मस्ती करते हैं। ब्रज की होलियों में बरसाना की लठ्ठामार होली और एक दिन पहले होने वाली लड्डू होली भी देखने लायक है । श्रीजी मंदिर में बड़े ही धूम-धाम से लड्डू होली का आयोजन हुआ। बरसाना की लट्ठमार होली से ठीक एक दिन पहले खेली जाने वाली इस लड्डू होली का बृज में विशेष महत्त्व है। इस दिन नंदगांव के हुरियारों को न्यौता देकर पांडा बरसाना लौटता है, जिसका सभी लड्डू फेंककर स्वागत करते हैं। राधा रानी और कान्हा का लड्डू का प्रसाद रूपी करुणा पाकर श्रद्धालु होली की मस्ती में चूर है।
वैसे तो ब्रज होली के लिए विख्यात है और होली की प्राचीन परंपराओं में लड्डू होली की परम्परा भी बेहद प्राचीन है और लाडली के बरसाना को इसका केंद्र माना जाता है । राधा की नगरी में लड्डू होली के विश्व प्रसिद्ध होने की वजह है इसका परंपरागत स्वरूप का होना। द्वापरकालीन लड्डू होली को देखने के लिए लाखों श्रद्धालु टकटकी लगाए नज़र आये। अबीर और गुलाल के साथ लड्डुओं की बरसात होने लगी और भक्तों के जयकारों के मध्य लड्डुओं को पाने की चाहत दिखाई देने लगी हर कोई इस लड्डू को पाने की चाह में दिखाई दिया । सोमवार की शाम को हर वर्ष की भांति राधा रानी मंदिर में लड्डू लीला का आयोजन किया गया । लड्डू लीला में पाण्डा पर लड्डू लुटाकर इस लीला को किया जाता है । सुबह करीब 10 बजे बरसाना से पाण्डा मंगलवार को आयोजित लठामार होली का निमंत्रण देने ढोल नगाड़ों के साथ गाते बजाते हुए नंदगॉव जाता है। नंदगॉव में बरसाना के पाण्डा का स्वागत सत्कार किया जाता है। शाम को करीब 4 बजे के बाद सेवायत बरसाना मंदिर पहुंचता है और वहां समाज गायन का आयोजन किया जाता है और जब ये पांडा नंदगॉव से शाम को लौटकर बरसाने के प्रमुख श्रीजी मंदिर पहुंचता है तो यहां मंदिर में सभी गोस्वामी और श्रद्धालु मिलकर उसका स्वागत करते है और बधाई स्वरूप पांडा पर लड्डू फेंकते हैं। इसके बाद मंदिर प्रांगण में मौजूद भक्त भी पांडा के ऊपर लड्डू फेंकते हैं और पाण्डा होली की मस्ती में बेसुध होकर नाचने लगता है और लड्डू लीला शुरू हो जाती है जिसे हम सभी लड्डू होली के नाम से जानते हैं । इस होली में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से भक्त बरसाना पहुंचे और लड्डू होली का आनंद ले रहे हैं। इसके बाद श्रद्धालु अपने साथ लाए लड्डू एक-दूसरे पर लुटा कर होली का आनंद लेते हैं और नाचते-गाते गुलाल उड़ाते होली के रंग में रंग जाते हैं।देश विदेश में अपनी विलक्षण शैली के लिए जानी जाने वाली लठामार होली का आयोजन किया जाएगा। लठामार होली खेलने के लिए नंदगांव के हुरियारे दोपहर दो बजे प्रिया कुंड पर पहुंचेंगे जहां बरसाना वासियों द्वारा उनका स्वागत सत्कार किया जाएगा। इस मौके पर उनको स्वागत में भांग ठंडाई पिलाई जाएगी। भांग की मस्ती में झूमते हुरियारे यहां पर अपनी पाग बांध कर खुद को लठामार की मार झेलने के लिए तैयार करते है। हुरियारे यहां से सीधे लाडिली जी मंदिर में पंहुचेंगे जहां बरसाना और नंदगांव के गोस्वामियों का संयुक्त समाज गायन होगा। समाज गायन के दौरान दोनों पक्ष एक दूसरे पर प्यार भरे कटाक्ष करेंगें। समाज गायन के उपरांत हुरियारे रंगीली गली में उतरेंगे। जहां हुरियारिनें हाथ में लाठियां लिए उनके स्वागत को तैयार मिलेंगी। रंगीली गली से हुरियारिनों द्वारा हुरियारों पर लाठियां बरसानी शुरु कर दी जाएंगी और हुरियारे बडी कुशलता से खुद को बचाते हुए लाठी प्रहारों को अपनी ढालों पर झेलेंगे। इस सुंदर नजारे को देखने के लिए लाखों श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमडेगा ।