सत्ता के वास्ते कांग्रेस भी चली राम के रास्ते…

योगेश श्रीवास्तव 
लखनऊ। भगवान राम और उनका मंदिर चुनाव जीतने और सरकार बनने का जरिया बन गया हंै। अभी तक  इस काम के लिए केवल भारतीय जनता पार्टी ही जानी जाती  थी लेकिन अब इस दिशा में कांग्रेस ने भी दस्तक दे दी है। गुजरात के चुनाव में जहां राहुल गांधी मंदिर-मंदिर भटके, वहीं अब मध्यप्रदेश के इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना चुनावी आगाज रामगमन पथ यात्रा से करने का निर्णय लिया है। उसके इस पैतरें से सबसे ज्यादा हैरानी परेशानी भारतीय जनता पार्टी को है जो मध्य प्रदेश में पिछले पन्द्रह सालों से सत्तारूढ़ है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस पिछले डेढ़ दशकों से राजनीतिक वनवास भोग रही है।
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एक के बाद एक राज्य हांथ से निकलने के बाद उसने इस बार चुनावी अभियान की शुरूआत रामगगन पथ यात्रा से शुरू करने का निर्णय लिया है। राममंदिर के मुद्दे  पर भाजपा को उलाहना देने वाली कांग्रेस इसी नाम से यह यात्रा क्यों शुरू कर रही है इसका कोई ठोस जवाब उसके नेताओं के पास नहीं है। मध्यप्रदेश में इसी साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने को है। कांग्रेस को इस बार जहां माहौल अपने अनुकूल लग रहा है तो भाजपा को लगता है यूपी की अन्य राज्यों की तरह कांग्रेस का यहां सत्ता में लौटना उसके लिए दिवास्वप्न साबित होगा।
कांग्रेस ने आगामी २१ सितंबर से चित्रकूट से रामगमन पथयात्रा शुरू करने का निर्णय लिया है यह यात्रा लगभग तीन दर्जन विधानसभाओं से होकर गुजरेगी। पन्द्रह दिनों चलने वाली इस यात्रा में मध्यप्रदेश के साथ ही केन्द्र के भी कई नेताओं के हिस्सा लेने की संभावना है,हालांकि भारतीय जनता पार्टी की तरफ से वहां के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले से ही जनआर्शीवाद यात्रा पर है उनकों यात्रा के दौरान जहां काले झंडे दिखाए जा रहे है उनके रथ पर पथराव हो रहा है वहीं कई स्थानों पर उन्हे व्यापाक समर्थन भी मिल रहा है। मध्यप्रदेश के साथ ही राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी इसी साल चुनाव होने है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधराराजे सिंधिया भी इस समय गौरव यात्रा करके अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने में लगी है। चुनाव जीतने और सरकार बनाने के लिए यात्राएं निकालना भाजपा का पुराना टोटका है। पार्टी के कई शीर्ष नेता देशव्यापी यात्राएं कर चुके हैं। ऐसा नहीं कांग्रेस मध्यप्रदेश में पहली बार यात्रा निकाल रही है। यात्राएं उसने कई निकाली लेकिन कोई यात्रा उसकी ऐसी नहीं रही जिसमें केन्द्रबिन्दु राम रहे हो। २०१२ के विधानसभा से पहले राहुल गांधी के निर्देश पर प्रदेश भर में अंबेडकर जयंती के मौके पर दस संदेश यात्राओ को दो चरणों निकाला गया था। इससे पूर्व भी राहुल गांधी किसान संदेश यात्रा निकाल चुके थे।
राष्टï्रीय अध्यक्ष बनने से पहले राहुल गांधी बलिया से गाजियाबाद तक किसान बचाओं यात्रा निकाल चुके हंै। कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष रह चुकी डा.रीता बहुगुणा जोशी भी भूमि अधिगृहण के विरोध में कचरी से कचहरी तक पदयात्रा कर चुकी है।  सत्ता की  खातिर और सत्ता के विरोध में माहौल बनाने के लिए हमेशा से ही पदयात्राएं राजनीतिक दलों का प्रमुख हथियार रही है। रथयात्राएं निकालने का सबक सभी दलों ने एक दूसरे से सीखा। हालांकि इस मामले में भाजपा अव्वल रही। भाजपा अब तक एकता यात्रा, किसान जागरण यात्रा,जनजागरण यात्रा,ग्राम सुराज यात्रा,सांस्कृतिक राष्टï्रवाद जागरण यात्रा,परिवर्तन यात्रा निकाल चुकी है।

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