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Delhi Election 2025 : दिल्ली में कांग्रेस के खाता शून्य होने और चुनावों में लगातार हार के साथ, पार्टी का भविष्य गंभीर सवालों से घिरा हुआ है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की स्थिति और भी कमजोर होती जा रही है, जहां पार्टी ने अब तक एक भी सीट नहीं जीती है और उसकी पकड़ धीरे-धीरे कमजोर हो रही है। यह स्थिति उस पार्टी के लिए बेहद चिंताजनक है जो कभी दिल्ली की राजनीति में एक ताकतवर पार्टी मानी जाती थी।
आज दिल्ली विधानसभा चुनाव-2025 में हुए मतदान की मतगणना हो रही है। जिसमें कांग्रेस (Congress) को खाता शून्य (0 सीटें) मिलने की स्थिति में कांग्रेस के भविष्य को लेकर कई संभावनाएं हो सकती हैं, लेकिन इसका पूरी तरह से पूर्वानुमान करना मुश्किल है।
2013 से दिल्ली का रास्ता भटकी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के लिए दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों में स्थिति बिगड़ी है। जब दिल्ली में कांग्रेस ने 2008 से लेकर 2013 तक सत्ता संभाली थी, तब पार्टी की राजनीति का दबदबा था। लेकिन 2013 के बाद से, दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की एंट्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संगठनात्मक विस्तार ने कांग्रेस के लिए रास्ते बेहद कठिन बना दिए। खासतौर पर 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन पूरी तरह से खराब रहा था, जहां उसे ना तो मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी मिली, और ना ही कोई महत्वपूर्ण सीटें।
2025 के चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन कुछ अलग नहीं रहा। चौथे राउंड के वोटों की गिनती में, पार्टी का खाता शून्य (0 सीट) दिखाना इस बात का संकेत है कि पार्टी ने जनता के बीच अपनी पकड़ खो दी है। खासतौर पर ऐसे समय में, जब AAP और BJP के बीच टक्कर बढ़ती जा रही है, कांग्रेस कहीं से भी चुनावी राजनीति में अपनी जगह बनाने में सफल नहीं हो पा रही।
दिल्ली में कांग्रेस की राजनीति पर उठें सवाल
कांग्रेस की गिरती हुई स्थिति के कई कारण हैं, जिनमें से प्रमुख है पार्टी की राजनीतिक रणनीति का न होना। पिछले कुछ वर्षों में, कांग्रेस ने दिल्ली में एक मजबूत और स्पष्ट नेता नहीं उभारा। जबकि AAP ने अरविंद केजरीवाल को अपना चेहरा बनाया और BJP ने दिल्ली में बीजेपी नेताओं की ताकत को मजबूती से पेश किया, कांग्रेस के पास एक मजबूत चेहरा नहीं था। इसके साथ ही, पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी और नेतृत्व संकट भी पार्टी के लिए एक बड़ा मुद्दा साबित हो रहा है।
इसके अलावा, कांग्रेस ने जनता से जुड़ने के लिए कोई ठोस योजनाएं नहीं बनाई हैं। जहां AAP ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी जैसे मुद्दों पर काम करके दिल्लीवासियों के बीच अपनी छवि बनाई है, वहीं बीजेपी ने भी दिल्ली के राष्ट्रीय मुद्दों को अपनी राजनीतिक चालों में समेट लिया है। कांग्रेस को ना तो स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया है, और न ही वह राष्ट्रीय राजनीति में अपना पक्ष मजबूती से रख पाई है।
क्या कांग्रेस अपना ‘नेशनल पार्टी’ का दर्जा खो देगी?
अगर कांग्रेस की यही स्थिति रही, तो यह सवाल उठ सकता है कि क्या वह “नेशनल पार्टी” का दर्जा भी खो देगी? भारतीय चुनाव आयोग के अनुसार, किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देने के लिए उसे कम से कम 4 राज्यों में प्रभावी रूप से सीटें जीतनी होती हैं। यदि कांग्रेस दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत पाती और यदि वह आगामी राज्यों में भी अपनी स्थिति नहीं सुधारती, तो कांग्रेस के लिए यह “नेशनल पार्टी” के दर्जे को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
वर्तमान में, कांग्रेस को अपनी राष्ट्रीय राजनीति की पहचान बनाए रखने के लिए कई बड़े बदलाव करने होंगे। उसे अपनी चुनावी रणनीति में नए दृष्टिकोण, नई नीतियां और नेताओं की पहचान बनानी होगी, जिससे पार्टी का विश्वास जनता में वापस लौट सके। इसके साथ ही, कांग्रेस को यह भी समझना होगा कि दिल्ली जैसे केंद्रित राज्य में वह केवल राष्ट्रीय मुद्दों पर ही नहीं, बल्कि स्थानीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी ध्यान दे, ताकि उसकी साख और स्थिति में सुधार हो सके।
क्या फिर से वापसी कर पाएगी कांग्रेस?
कांग्रेस की स्थिति यदि ऐसी ही बनी रहती है, तो आगामी चुनावों में पार्टी के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता है और परिस्थितियां बदल सकती हैं। कांग्रेस के पास अभी भी एक बड़ा संगठन है और इसके पास मजबूत कार्यकर्ता हैं। यदि पार्टी अपने नेतृत्व को मजबूत करती है, और नई रणनीतियों को अपनाती है, तो भविष्य में उसकी वापसी संभव है।
विशेषकर यदि कांग्रेस किसी नए चेहरों को नेतृत्व में लाती है और पार्टी की छवि को सुधारने के लिए सकारात्मक कदम उठाती है, तो यह संभावना बनी रहती है कि वह दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर अपनी खोई हुई जगह पा सकती है।
दिल्ली में क्या होगा कांग्रेस का भविष्य?
- राजनीतिक रणनीतियाँ और नेतृत्व : यदि कांग्रेस नेतृत्व नई और प्रभावी रणनीतियाँ अपनाती है, और पार्टी का नेतृत्व मजबूती से उभरता है, तो आगामी चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन सुधार सकता है। यह रणनीतियाँ पार्टी के सिद्धांतों को जनता तक पहुंचाने, जनता से जुड़ने और सटीक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की हो सकती हैं।
- आप और बीजेपी के मुकाबले : दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच कड़ा मुकाबला है। अगर कांग्रेस इन दोनों पार्टियों के मुकाबले अपना जनाधार पुनः बनाने में सफल नहीं होती, तो उसका प्रभाव सीमित हो सकता है।
- जनता का विश्वास और मुद्दे : कांग्रेस को जनता का विश्वास फिर से जीतने के लिए, उसे उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जो दिल्लीवासियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और महंगाई। कांग्रेस को यह समझना होगा कि वह क्या नया और अलग कर सकती है जो अन्य दल नहीं कर पा रहे हैं।
- समाज में बदलाव : यदि समाज में बदलाव आता है, जैसे नए राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे उभरते हैं, तो कांग्रेस के लिए अवसर हो सकते हैं। खासकर युवाओं और अन्य समूहों के बीच अपनी पकड़ बनाने के लिए कांग्रेस को नए तरीकों से काम करना होगा।
कांग्रेस का भविष्य दिल्ली में इस बात पर निर्भर करेगा कि वह अपनी रणनीतियों को कैसे सुधारती है और किस प्रकार से जनता से जुड़ने का प्रयास करती है। यदि पार्टी ने अच्छा काम किया, तो वह फिर से दिल्ली की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।