पणजी: मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की तबीयत खराब होने के बाद से गोवा में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। गोवा कांग्रेस ने सोमवार को प्रदेश में सरकार बनाने का दावा किया है। कांग्रेस के पास गोवा में 14 विधायक हैं। कांग्रेस ने राजभवन जाकर पत्र सौंप दिया है लेकिन उनकी मुलाकात राज्यपाल से नहीं हुई है। उधर खबर है कि बीजेपी केंद्रीय टीम ने पर्रिकर की जगह नए नेतृत्व की तलाश शुरू कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक
केंद्रीय टीम ने एक होटल में सोमवार को गोवा के पूर्व विधायकों से मुलाकात की। इस बैठक की अध्यक्षता बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) राम लाल और उनके सहयोगी बीएल संतोष और विजय पुराणिक ने की। ऐसा कहा जा रहा है कि रामलाल और उनकी टीम ने रविवार को पार्टी के मौजूदा विधायकों से पर्रिकर के नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती होने के बाद राज्य की राजनीतिक दिशा तय करने के लिए मुलाकात की थी। रामलाल ने सोमवार की बैठक से पहले इस बात को इनकार दिया कि बैठक में नेतृत्व बदलाव को लेकर चर्चा होगी, बल्कि कहा कि बैठक में लोकसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर चर्चा होगी।
बीजेपी के सभी विधायकों और गठबंधन के साथी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने पर्रिकर के मुख्यमंत्री के तौर पर बने रहने की वकालत की थी, जबकि गठबंधन के अन्य साथी गोवा फॉरवर्ड और तीन स्वतंत्र विधायकों ने मौजूदा नेतृत्व संकट के स्थाई व्यवस्था करने की मांग की थी। पूर्व ऊर्जा मंत्री महादेव नाईक ने कहा, ‘हमने कहा है कि मुख्यमंत्री को अपने पद पर बने रहना चाहिए। यह अच्छे के लिए होगा। वह अपना इलाज करा रहे हैं और जल्दी या बाद में स्वस्थ हो जाएंगे। इस बात पर कोई चर्चा नहीं हुई कि क्या किसी को प्रभारी बनाया जाएगा। हाई कमांड इस पर निर्णय लेंगे।’
Goa Congress, along with its 14 MLAs, have staked claim to form govt in the state. They have submitted a letter before the Raj Bhavan but there has not been a meeting between the Governor and them. Congress party has 16 MLAs in the state. pic.twitter.com/P1bqdwT5oG
— ANI (@ANI) September 17, 2018
We're single largest party,should've been given the chance earlier.See how govt is functioning today.Govt hote huye bhi na ke barabar hai.We have numbers so we're staking claim. Guv will be here tomorrow. We'll request him for it: C Kavlekar, Congress Legislature Party Chief #Goa pic.twitter.com/g4X5tgwA6I
— ANI (@ANI) September 17, 2018
राजभवन पहुंचे 14 विधायक
कांग्रेस के 14 विधायकों ने राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। हालांकि गवर्नर से मुलाकात नहीं हो सकी और सरकार बनाने के दावे वाले पत्र को छोड़कर वे वापस लौट आए। सूबे में कांग्रेस के कुल 16 विधायक हैं। कांग्रेस का कहना है कि उसके पास एक एनसीपी विधायक समेत 17 विधायकों का समर्थन है। सूत्रों के मुताबिक सूबे की गवर्नर मृदुला सिन्हा राजभवन में मौजूद नहीं थीं
गोवा में कांग्रेस के विधायक दल के नेता सी. कावलेकर ने कहा, ‘हम सूबे में सबसे बड़ी पार्टी हैं, हमें पहले ही मौका दिया जाना चाहिए था। देखें आज सरकार किस तरह से काम कर रही है। सरकार होते हुए भी न करे बराबर है। हमारे पास संख्याबल है, इसलिए हम सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। गवर्नर कल यहां पणजी में होंगी। हमने उनसे सरकार गठन के निमंत्रण के लिए अनुरोध करेंगे।’
कांग्रेस विधायकों ने कहा कि सुबह पार्टी विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें दो फैसले किए गए। कांग्रेस ने कहा कि गवर्नर को विधानसभा भंग करने का अधिकार नहीं है। हमारी गवर्नर से मांग है कि हमें सरकार बनाने का मौका दिया जाए। कांग्रेस के एक विधायक ने कहा कि हमने मीटिंग करके फैसला लिया कि गवर्नर विधानसभा को भंग नहीं कर सकती हैं।
बीजेपी का दावा, सहयोगी हमारे साथ
उधर, पर्रिकर के अस्वस्थ होने के मद्देनजर राजनीतिक हालात का जायजा लेने के लिए सोमवार को सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा बुलाई गई बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता राम लाल ने कहा कि गोवा सरकार स्थिर है और नेतृत्व में परिवर्तन की कोई मांग नहीं उठी। बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में यह बैठक बुलाई गई। राज्य सरकार के स्थिर होने की बात करते हुए राम लाल ने कहा कि सहयोगी पार्टियों ने बैठक में बीजेपी के लिए अपने समर्थन को दोहराया। उन्होंने कहा कि बैठक में विभिन्न नेताओं द्वारा जाहिर की गई राय से पार्टी आलाकमान को अवगत कराया जाएगा, जो राज्य के हित में फैसला करेगा।
जानें, क्या है गोवा का सियासी समीकरण
40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में बीजेपी के पास फिलहाल 14 विधायक हैं। इसके अलावा उसे महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) के 3, गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के 3 और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। वहीं, कांग्रेस और एनसीपी के पास 17 विधायक हैं। राज्य में जिस तरह के समीकरण है, उसे देखते हुए दोनों पार्टियों (एमजीपी व जीएफपी) और निर्दलीय विधायक का रोल काफी अहम माना जा रहा है।