कोरोना ने भक्त और भगवान को किया दूर! मानसरोवर यात्रा पर लगी रोक

बांके का होटल व्यवसाय व धार्मिक पर्यटन धराशयी

 नबी अहमद

रूपईडीहा/बहराइच। चीन के तिब्बत मे हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक स्थल कैलाश मानसरोवर है। जहां भारत ही नही विश्व के हिन्दू धर्मावलम्बी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर इसी सीजन पर निकलते है। मानसरोवर चीन के तिब्बत मे होने के कारण यहां पहुंचने के लिए लोग नेपाल होकर ही निकलते है। भारत के गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश व पंजाब तक के आस्थावान लोग रूपईडीहा नेपालगंज के रास्ते वर्षो से कैलाश मानसरोवर दर्शन के लिए जाते रहे है। इस वर्ष भी ये लोग भारतीय मानसरोवर तीर्थयात्रियों की प्रतिक्षा कर रहे थे। परन्तु कोरोना ने इनकी आशाओं पर कुषारापात कर दिया। इन दिनों नेपालगंज के होटल व्यवसाईयों पर महादेव की कृपा बरसती थी व इनका भाग्य चमकने लगता था। कैलाश पर्वत समुद्री सतह से लगभग 06 हजार 05 सौ मीटर की ऊंचाई पर है। इसी की तलहटी मे मानसरोवर स्थित है। कैलाश की पर्वत की प्रक्रिमा मे ढाई दिन का समय लगता है। कैलाश मानसरोवर जाने वाले अधिकांश पर्यटक नेपाल होकर मानसरोवर जाते है और उनका 90 प्रतिशत धन नेपाल मे ही खर्च होता है।


होटल व्यवसाई महासंघ प्रदेश नं. 5 के अध्यक्ष भास्कर काफ्ले ने बताया कि मानसरोवर जाने वाले 10 हजार तीर्थ यात्रियों की बुकिंग रद्द हो चुकी है। मानसरोवर तीर्थ यात्रा का सीजन मई से सितंबर तक होता है। नेपालगंज इस समय सुनसान पड़ा है। होटल व्यवसाय ध्वस्त हो चुका है। काफ्ले ने यह भी कहा कि नेपालगंज को ही ट्राजिंट प्वाइंट बनाकर पर्यटक कैलाश मानसरोवर, बांके व बर्दिया राष्ट्रीय निकुन्ज, प्यूठान के स्वर्गद्वारा, मुगु के रारा ताल व डोल्पा जिले के शेफोक्सुण्डो ताल की यात्रा करते थे। नेपाली, भारतीय, तीसरे देशों के पर्यटकों को लक्षित कर बांके जिले मे एक के बाद एक तारांकित होटल खुलते गये। उन्होने बताया कि नेपालगंज मे दो फाइव स्टार, तीन फोर स्टार, तीन थ्री स्टार, सात डिलेक्स व लगभग 150 छोटे बड़े होटल खुल गये। आज सभी मे सन्नाटा है। होटल व्यवसाईयों ने तत्काल राहत देने की घोषणा की है।

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