चीन में सांस के जरिये ली जाने वाली कोरोना वायरस वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू हो गया है। यह सांस के जरिये ली जाने वाली दुनिया की संभवत: पहली वैक्सीन है।इसका इस्तेमाल वैक्सीन की दो खुराकें ले चुके लोगों को बूस्टर खुराक देने के लिए हो रहा है।इसे चीनी बायोफार्मा कंपनी केनसिनो बायोलॉजिक्स ने तैयार किया है और यह कंपनी की एक खुराक वाली एडिनोवायरस वैक्सीन का एयरोसोल वर्जन है।
कैसे ली जाती है यह वैक्सीन?
वैक्सीन एक धुएं की तरह है, जिसे मुंह के जरिये अंदर खिंचा जाता है। एक सफेद कप पर लगी छोटी नॉजल के जरिये इसे मुंह में दिया जाता है।धीरे-धीरे वैक्सीन अंदर लेने के बाद पांच सेकंड तक सांस को रोके रखना होता है। वैक्सीन लेने की यह पूरी प्रक्रिया 20 सेकंड की होती है।शंघाई के एक नागरिक ने बताया कि यह दूध वाली चाय पीने जैसा है और इसका स्वाद थोड़ा मीठा होता है।
इस वैक्सीन के क्या फायदे हैं?
सांस या नाक के जरिये ली जाने वाली वैक्सीनों के कई फायदे होते हैं।इनका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इनकी खुराक देना आसान होता है और इसके लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत नहीं पड़ती। इससे गरीब और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था वाले देशों में भी वैक्सीनेशन आसान हो जाता है।साथ ही जिन लोगों को इंजेक्शन लेने से डर लगता हैं, वैसे लोग भी बिना सुई लगने वाली इस वैक्सीन को लेने के लिए आगे आते हैं।
ऐसी वैक्सीन के सामने क्या चुनौतियां हैं?
दुनियाभर में सांस या नाक के जरिये ली जाने वाली दर्जनों वैक्सीन टेस्ट का जा रही हैं। हालांकि, इनकी प्रभावकारिता अभी साबित नहीं हुई है। इनके मुकाबले इंजेक्शन के जरिये ली जाने वाली वैक्सीन ज्यादा प्रभावी होती हैं।
भारत में नाक से दी जाने वाली वैक्सीन को मिल चुकी मंजूरी
भारत में भी पिछले महीने नाक से दी जाने वाली वैक्सीन को आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी।फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने BBV154 वैक्सीन को वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की मदद से विकसित किया है।इस वैक्सीन को एडिनोवायरल से बनाया गया है जिसमें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन को जोड़ा गया। इसे इस तरह से विकसित किया गया है कि इसे नाक के जरिए दिया जा सके।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस वैक्सीन को सराहा था।
कैसे काम करती है BBV154 वैक्सीन?
कोरोना वायरस समेत कई वायरस म्यूकोसा (नाक, मुंह और फेफड़ों को जोड़ने वाले टिश्यू) के जरिये इंसानी शरीर में प्रवेश करते हैं।नाक के जरिए दी जाने वाली BBV154 वैक्सीन या अन्य कोई नेजल वैक्सीन सीधे म्यूकोसा के पास जाती है, जिससे वायरस के प्रवेश करने की जगह पर ही एक तरह की सुरक्षा परत बन जाती है।खास बात यह है कि यह कोरोना वायरस के संक्रमण और उसके प्रसार दोनों को रोकने में कारगर है।