Delhi CM Rekha Gupta: सीएम के लिए बीजेपी ने रेखा गुप्ता को क्यों ही चुना?

बीते ढाई दशकों में दिल्ली की राजनीति दो बड़े चेहरों के इर्द-गिर्द घूमती रही हैं- एक पूर्व सीएम स्वर्गीय शीला दीक्षित, जिन्होने वर्ष 2003 से 2014 तक लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली में शासन किया। जबकि दूसरा नाम अरविंद केजरीवाल का है, जिन्होने वर्ष 2014 में न सिर्फ शीला दीक्षित को हटाया बल्कि अगले 11 वर्षों तक मुख्यमंत्री बने रहे। लेकिन बीजेपी का दिल्ली मे 27 वर्षों बाद सूखा खत्म हुआ तो बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए चल रही चर्चाओं को विराम देकर रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगा दी।
दरअसल रेखा गुप्ता का दिल्ली का चौथी महिला मुख्यमंत्री बनना सिर्फ संयोग नहीं है, इसके पीछे BJP की सोची समझी रणनीति है।

महिला-वैश्य कॉम्बिनेशन में शीला-केजरीवाल फ़ैक्टर का काउंटर

गौर से देखें तो दिल्ली की राजनीति में दो फ़ैक्टर बेहद महत्वपूर्ण हैं- पंजाबी और वैश्य। आम तौर पर दिल्ली की राजनीति भी इन्ही दो वर्गों के इर्द गिर्द घूमती रही है, और वैश्य वर्ग बीजेपी का पक्का वोटबैंक रहा है। 1993 जब बीजेपी ने पहली बार दिल्ली में सरकार बनाई तो वैश्य वर्ग से आने वाले मदन लाल खुराना को मुख्यमंत्री भी बनाया। हालांकि बाद में अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक फलक पर उभरने के बाद यही वोटर वर्ग बीजेपी से छिटक कर आम आदमी पार्टी के साथ चला गया, लेकिन अब जब बीजेपी एक बार फिर सत्ता में लौटी, तो उसने रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर अपने परंपरागत मतदाताओं को एक बड़ा संदेश दिया है। यानी रेखा गुप्ता एक साथ कई पहलुओं को एक साथ साध लेती हैं। महिला मुख्यमंत्री के रूप में वो शीला दीक्षित की बनाई लकीर और बड़ी कर सकती हैं, जबकि वैश्य वर्ग से आने की वजह से केजरीवाल का तोड़ भी बन सकती हैं। यानी उनमें 25 से ज्यादा वर्षों तक दिल्ली की सत्ता में बने रहने वाले दोनों नेताओं का संयोजन हैं। 

जिस तरह से देश ही नहीं दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर आधी आबादी ने बीजेपी पर भरोसा जताया है, उसे देखते हुए माना जा रहा था, इस बार बीजेपी दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री बना कर महिलाओं के बीच बड़ा संदेश दे सकती है।दरअसल दिल्ली में अगर बीजेपी का 26 वर्ष बाद सूखा खत्म हुआ है, तो उसकी बड़ी वजह आधी आबादी भी है, क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ जब दिल्ली में पुरुषों से अधिक महिलाओं ने वोटिंग की। बीजेपी ने दिल्ली में महिलाओं को हर महीने 2500 रुपए, जबकि गर्भवती महिलाओं को 21 हजार रुपए देने का वादा किया था, ऐसे में माना गया कि महिलाओं ने बीजेपी के इस वादे पर ऐतबार भी किया, लिहाजा महिला मुख्यमंत्री बना कर दिल्ली ही नहीं देश भर की महिलाओं को एक संदेश देने का भी प्रयास किया गया। वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार राजनीति में महिलाओं और युवाओं को आगे करने की बात करते रहे हैं और रेखा गुप्ता का चुनाव भी इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। वैसे गौर करने वाली बात ये भी है कि मौजूदा सियासी परिदृश्य में वो बीजेपी की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं।

RSS की हरी झंडी मिलते ही बनी बात

रेखा गुप्ता के राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई थी। वो युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष रहीं और फ़िलहाल राष्ट्रीय महिला मोर्चा की भी उपाध्यक्ष हैं। ऐसे में उन्हें न सिर्फ संगठन में काम करने का अच्छा अनुभव है, बल्कि व संघ और संघ की कार्यप्रणाली को भी अच्छी तरह समझती हैं और सूत्रों की मानें तो उनके मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद और समर्थन का भी बड़ा योगदान रहा है। यही नहीं वो संगठन में सक्रिय रहने के साथ दो बार नगर निगम की पार्षद भी रही हैं और उनके इस प्रशासनिक अनुभव को भी तरजीह दी गई।

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