Seema Pal
उत्तर प्रदेश का संभल जिला आज संवाद केंद्र बना हुआ है। संभल की भूमि जो आज मुस्लिम बहुल क्षेत्र के नाम से पहचानी जाती है, वहां आज प्राचीन मंदिरों की खोज हो रही है। 77.67 प्रतिशत मुस्लिम आबादी के बीच मंदिरों की खोज अचानक शुरू नहीं, संभल की मिट्टी में कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो यहां मंदिर छिपे होने की गवाही दे रहें। हाल ही में 1978 से बंद पड़े मकान में हनुमान मंदिर का मिलना, कुओं की खुदाई में खंडित मूर्तियों का पाया जाना, ये सभी संभल में हिंदुओं के बड़े पलायन का संकेत दे रहे हैं।
संभल में चार दिनों के अंदर दो प्राचीन मंदिर मिल चुके हैं। 14 सितंबर को जामा मस्जिद से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर खग्गूसराय में पहला मंदिर कार्तिकेश्वर मिला। दो दिन बाद हयात नगर के सरायतरीन में एक और मंदिर बंद मिला। दोनों मंदिरों की दूरी महज दो किलोमीटर है। प्रशासन ने इन दोनों मंदिरों की सर्वे जांच शुरू की तो कई और खुलासे हुएं। मंदिर व मस्जिद के पास खुदाई में कुएं मिले हैं, जिन्हें पाट कर इनके ऊपर मार्बल का पत्थर लगा दिया था।
संभल में मिलें मंदिरों की सर्वे जांच कर रही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने शुक्रवार को प्राचीन हनुमान मंदिर जिसे कार्तिकेय मंदिर का नाम दिया है, का निरीक्षण कार्य संपन्न कर लिया है। एएसआई ने मंदिर की कार्बन डेटिंग का कार्य पूरा कर लिया। एएसआई टीम ने सर्वे के दौरान पांच तीर्थ और उन्नीस कूपों का निरीक्षण किया, जिसमें भद्रकाश्रम, स्वर्गदीप, चक्रपाणि, प्राचीन तीर्थ श्मशान मंदिर शामिल हैं। इससे संभल में मंदिर के इतिहास को जानने का प्रयास किया जाएगा।
संभल में मंदिर खोजने का तात्पर्य केवल इतना ही है कि आखिर मंदिर मस्जिद में कैसे बदल गए। संभल से बड़ी हिंदुओं की आबादी क्यों पलायन कर गई। संभल की मिट्टी में दबे इतिहास के पन्ने कब खुलेंगे?