जिला जज ने बड़े भाई के हत्यारे छोटे भाई को सुनाई आजीवन कारावास की सजा


छोटे भाई ने 7 अप्रैल 2016 की रात में सोते हुए फावड़े से की थी बड़े भाई की हत्या

भास्कर समाचार सेवा
हापुड़।
जिला जज रविंद्र कुमार प्रथम ने बड़े भाई के हत्यारे हत्यारोपी छोटे भाई को हत्या का दोषी ठहराते हुए बुधवार को कठोर आजीवन कारावास व 25 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) कृष्ण कान्त गुप्ता ने बताया कि 7 अप्रैल 2016 की रात पौने दस बजे अभियुक्त गजेंद्र उर्फ़ गज्जू ने अपने बड़े भाई महेन्द्र पुत्र धूम सिंह निवासी गांव नंदपुर थाना धोलाना जनपद हापुड़ की चारपाई पर सोते हुए फावड़े से गर्दन व मुंह पर प्रहार कर नृशंस हत्या कर दी थी। गजेन्द्र आये दिन गांव के लोगों के साथ उल्टी सीधी हरकते करता रहता था. जिसकी शिकायत गांव वाले आदि अभियुक्त के बड़े भाई मृतक महेंद्र से करते थे। जिस कारण महेन्द्र अपने छोटे भाई अभियुक्त गजेंद्र को डाटता डपटता था। इसी बात से नाराज होकर अभियुक्त गजेंद्र ने उपरोक्त घटना को अन्जाम दिया और अपने बड़े भाई महेन्द्र की हत्या कर दी। उन्होंने बताया कि घटना के समय मौके पर मृतक का भाई देवेन्द्र, पड़ोसी धीरज तथा मृतक के पुत्र योगी व चमन भी आ गये थे। इन लोगों ने अभियुक्त गजेंद्र का पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन अभियुक्त हमला कर मौके से फरार हो गया।उपरोक्त घटना की रिपोर्ट मृतक महेंद के पुत्र चमन ने थाना धोलाना पर धारा 302 में मुकदमा पंजीकृत कराया। दर्ज करायी थी। उपरोक्त मुकदमें की विवेचना तत्कालीन थानाध्यक्ष संजीव कुमार शुक्ला के द्वारा ग्रहण की गई। विवेचक ने अभियुक्त गजेन्द्र उर्फ़ गज्जू को 8 अप्रैल 2016 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। विवेचक ने समस्त साक्ष्य संकलित कर अभियुक्त गजेन्द्र उर्फ़ गज्जू के विरुद्ध धारा 302 में आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। उपरोक्त मुकदमें का विचारण जनपद न्यायाधीश के न्यायालय में चल रहा था। जिसमें शासन की ओर से प्रबल पैरवी करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) कृष्ण कान्त गुप्ता ने अभियोजन‌ की ओर से 9 साक्षियों को न्यायालय में परीक्षित कराया। जिनके द्वारा अभियोजन कथानक का पूर्व समर्थन किया गया और अभियोजन केस को साबित किया गया। वहीं जिला जज रविन्द्र कुमार प्रथम ने दोनों पक्षों की लंबी बहस सुनने के पश्चात अभियुक्त गजेंद्र उर्फ़ गज्जू को हत्या का दोषी ठहराते हुए अपने 72 पृष्ठीय निर्णय में उसे कठोर आजीवन कारावास व 25,000/- हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित किया। इतना ही नहीं अभियुक्त गजेन्द्र उर्फ़ गज्जू गिरफ्तारी होने के बाद से ही करीब सात वर्षों से जिला कारागार गाजियाबाद में बंद है।

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