डीएम के आदेश भी हुआ बेअसर, कुर्सी छोडने को तैयार नही नगर पंचायत बढापुर का चर्चित बाबू..

शहजाद अंसारी

बिजनौर। बढ़ापुर नगर पंचायत में विकास के लिए आये करोड़ो रूपये का खेल करने के मामले को दबाने के लिए नगर पंचायत का बाबू सुनील कुमार जिलाधिकारी द्वारा हटाये जाने के बावजूद कुर्सी पर कुंडली मारकर बैठा है इतना ही नही चर्चित बाबू सुनील कुमार रात के अंधेरे में पंचायत कार्यालय खोलकर फाइलों को खुर्द बुर्द करके चेयरमैन और अपने काले कारनामे छुपाने की फिराक में लगा है। हैरत की बात यह है अधिकारियों को सबकुछ पता होने के बावजूद बाबू सुनील द्वारा चार्ज न छोड़ने पर उसपर कोई कार्यवाही अमल में न लाये जाना अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।

  मालूम हो कि जहां प्रदेश की योगी सरकार जहां भ्रष्टचार को हटाने में लगी है वही विकास से कोसो दूर हो चुके बढ़ापुर नगर पंचायत में चर्चित बाबू सुनील कुमार व चेयरमैन आबिद अंसारी करोड़ो की बंदरबांट को डकारने में लगे थे। जब लोगो द्वारा इनके काले कारनामों की शिकायत आलाधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक की गई तो जिलाधिकारी अटल कुमार राय ने बीती 11 जनवरी को बाबू सुनिल कुमार को नगर पंचायत बढापुर से तत्काल हटाए जाने के आदेश दिए थे। लेकिन यह शातिर बाबू सुनिल कुमार डीएम के आदेश को धता बताकर चार्ज से हटने के बावजूद आज भी अपनी कुर्सी पर कुंडली मारे बैठा है। इस चर्चित बाबू सुनील कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान व चेयरमैन आबिद अंसारी के साथ मिलकर नगर पंचायत बढ़ापुर के लिए आए विकास के करोड़ो रूपये की बंदरबांट करली। इतना ही नही इस चर्चित बाबू सुनिल कुमार ने चार्ज से हटने के बावजूद आजी भी पंचायत कार्यालय को शराब, कबाब का अड्डा बना रखा है। चर्चित बाबू सुनील कुमार रात के अंधेरे में पंचायत कार्यालय खोलकर फाइलों को खुर्द बुर्द करके चेयरमैन आबिद अंसारी और अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने की फिराक में लगा है।

इसी कारण यह चर्चित बाबू फाइलों में दबे अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए चार्ज तक नहीं छोड़ रहा है। बाबू सुनि कुमार व चेयरमैन आबिद अंसारी को डर है कि यदि चार्ज बाबू से ले लिया जाता है तो विकास कार्यों में किये गए करोड़ो रूपये के घोटाले की पोल खुल सकती है और वह जेल की हवा खा सकते है। हैरत की बात यह है अधिकारियों को सब कुछ पता होने के बावजूद बाबू सुनील द्वारा चार्ज न छोड़ने पर उसपर कोई कार्यवाही अमल में न लाये जाना अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह बना हुआ है।

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