[ ठंड में कोहरे के पीछे साइंस ]
दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
दिल्ली-एनसीआर इन दिनों धुंध की चादर में लिपटा हुआ है. चारों ओर बस धुआं ही धुआं. लेकिन कुछ दिनों बाद जैसे-जैसे सर्दियां गहराती जाएंगी, यह चादर और भी घनी होने लगेगी. क्योंकि तब कोहरा भी इसमें मिल जाएगा. हम सब जानते हैं सर्दी के दिनों में कोहरा आता है जो शहर हो या गांव, चारों ओर ढंक लेता है. लेकिन कभी सोचा कि यह आता कहां से है? उस वक्त तो इतनी बारिश भी नहीं होती कि वाष्पीकरण हो और आसमान में बादल बन जाए. आखिर सर्दी के दिनों में ही कोहरा क्यों आता है? ऑनलाइन प्लेटफार्म कोरा पर यही सवाल पूछा गया. क्या आपको पता है इसका सही जवाब. इसके पीछे का साइंस क्या है? आइए जानते हैं.
सबसे पहली बात, सर्दियों में कोहरा पड़ना आम बात है. इन दिनों कई राज्य इसकी चपेट में हैं. कोरा पर एक यूजर ने इसके बारे में दिलचस्प जानकारी शेयर की. बताया कि ओस, धुंध, कोहरा या फॉग, ये सभी आपस में मिलते जुलते हैं. सर्दियों में मौसम ठंडा होने पर वायु जब पौधों के संपर्क में आती है तो वायु में उपस्थित जल छोटी छोटी बूंदों के रूप में पत्तों पर जमा हो जाता है, इसे ओस कहते हैं. हवा में उपस्थित जल वाष्प जब संघनित होकर धुएं के रूप में हवा में तैरते रहते हैं तो इसे धुंध कहते हैं. और जब यह धुंध गहरी हो जाती है तो इसे कोहरा या फॉग कहते हैं. जहां शहरों में वायु प्रदूषण अधिक होता है वहां ये फॉग धूएं के साथ चिपक कर और अधिक गहरा हो जाता है. यह जमीन के पास अधिक गहरा होता है इसलिए देखने में कठिनाई होती है. धुएं व कोहरे के इस मिश्रण को स्मोग कहते हैं. ये तो रही पूरी कहानी, लेकिन फिर सवाल वही कि आखिर ओस की यह बूंदें आती कहां से हैं.
ऐसे बनता है कोहरा –
जब पानी से निकली भाप अपने गैस फॉर्म में गाढ़ी हो जाती है तो वह कोहरे की तरह नजर आती है. हवा में पानी की छोटी छोटी बूंदें तैरती रहती हैं. गर्मी के दिनों में तो यह गैस फॉर्म में रहती है और बादल बनकर ऊपर उड़ती रहती है. लेकिन सर्दियों के दिनों में ठंड के कारण यह वाष्प जम जाती है और भारी हो जाती है. इसकी वजह से यह ज्यादा ऊपर नहीं उठ पाती और कोहरे का रूप ले लेती है. नदी, समुद्र जैसे जलस्रोतों के ऊपर जब सर्द हवा हल्की गर्म नमी वाली हवा से मिलती है तब नमी वाली हवा भी ठंडी होने लगती है. तब आर्द्रता 100% तक पहुंच जाती है. इसके बाद ही कोहरा बनने की प्रक्रिया शुरू होती है.
कोहरा और कुहासा में फर्क –
कोहरा और कुहासा में भी फर्क है. देखने में तो दोनों एक जैसे नजर आते हैं क्योंकि दोनों ही हवा के निलंबित कणों पर पानी की सूक्ष्म बूंदों से बने होते हैं. इनमें केवल जल की सूक्ष्म बूंदों के घनत्व के कारण अंतर होता है. कुहासा की तुलना में कोहरे में जल की सूक्ष्म बूंदें ज्यादा होती हैं. साइंस के नजरिए से देखें तो कोहरे में दृश्यता सीमा एक किलोमीटर से कम रह जाती है.
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