चीन के HMPV से डरो मत! कानपुर के GSVM ने बताया – पुराना है वायरस

चीन में फैले ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) की दहशत से कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉक्टर संजय काला ने बताया कि इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। HMPV कोई नया वायरस नहीं है, यह वायरस पहली बार नीदरलैंड (यूरोप) में 28 छोटे बच्चों के रेस्पेटरी सीक्रेशन्स में सन 2001 में पहली बार डिटेक्ट हुआ था।

वायरस एक नेगेटिव सेंस, सिंगल स्टैंडर्ड आरनए वायरस है ,जो कि फैमिली न्यूमोविरडी से संबंध रखता है, वर्ष 2022 के डेटा के अनुसार, यह दूसरा सबसे कॉमन वायरस है जो विंटर और स्प्रिंग सीजन में Acute Respiratory Tract Illness, Community में फैलाता है, मुख्यतः 5 वर्ष से छोटे बच्चों में, बुजुर्गों (65 वर्ष से ऊपर ) में, एवं इम्यूनिटी के कमजोर मरीज को ज्यादा इन्फेक्शन करता है।
ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस, कम्यूनिटी में मुख्यतः कामन कोल्ड (Upper Respiratory Tract Infection) करता है, किंतु प्रीमैच्योर नवजात बच्चों, 65 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों एवं इम्युनो कॉम्प्रोमाइज्ड व्यक्तियों में निमोनिया का रिस्क बढ़ जाता है, जिसकी वजह से इन लोगों को हॉस्पिटलाइजेशन की भी जरूरत पड़ सकती है।

ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस नाक एवं फेफड़ों के एपिथेलियल सेल्स को इन्फेक्ट करता है जिसकी वजह से श्वांस तंत्र में प्रियवैस्कुलर इनफील्ट्रेशन I इन्फ्लेमेशन करता है I
इंफेक्टेड मरीज के रेस्पिरेटरी सेक्रेशन के द्वारा, इस वायरस का संचार- एरोसॉल, ड्रॉपलेट एवं कॉन्टेक्ट ट्रांसमिशन के द्वारा होता है, जो कि मुख्यतः विंटर और स्प्रिंग सीजन में होता है।

HMPV के लक्षण
वायरस से सम्पर्क में आने के 3 से 6 दिन में होते है जिसमें मुख्यतः बुखार , खांसी, नाक बहना, गले में खराश, थकान, सिरदर्द, एवं मांसपेशियों में दर्द होता है, जबकि गंभीर मरीजों में घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ एवं निमोनिया के लक्षण आते हैं।

HMPV वायरस की रोकधाम के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरते:-

  1. भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाएं I
  2. पब्लिक प्लेसेस में मास्क पहन कर रखें I
  3. खांसने अथवा छींकने वालें व्यक्तियों से उचित दूरी बना कर रखें I
  4. अपने आंख, नाक, मुंह को बगैर हाथ धोए न छुएं I
  5. अक्सर छुई जाने वाली सतहों को नियमित सेनेटाइज करें I
  6. साबुन और पानी से नियमित हाथ धोएं I
  7. अन्य साफ सफाई बरतें I
  8. पौष्टिक आहार लें और बाहर की तथा ठंडी चीजों से परहेज करें I

इस वायरस का कोई स्पेसिफिक इलाज एवं बचाव हेतु वैक्सीन भी नहीं है।

संक्रमित होने पर अपने आप को आइसोलेट करें एवं लक्षण अनुसार इलाज किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर से ही कराए और अपने शरीर को हाइड्रेट रखें।

प्राचार्य डॉक्टर संजय काला ने बताया आम जनमानस से अनुरोध है कि घबराएं नहीं यह वायरस सीजनल फ्लू की तरह ही होता है और 9 से 10 दिनों में ज्यादातर मरीज अपने आप ठीक हो जाते है।

इस वायरस की डायग्नोसिस के लिये, श्वास तंत्र के सेक्रेशनको आरटीपीसी आर विधि से प्रमाणित किया जा सकता है एवम अन्य विधि जैसे:-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपिक इम्यूनो फ्लोरेंस, सेल कल्चर से इत्यादि से भी किया जा सकता है

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