चंबल नदी में छोडे गए साल प्रजाति के दर्जनो कछुए।

भास्कर समाचार सेवा इटावा। पछायागांव के ग्राम गढ़ायता स्थित चम्बल कछुआ सरंक्षण केंद्र पर सरंक्षित साल प्रजाति के आधा सैकड़ा कछुओं को चम्बल नदी में छोड़ा गया। उक्त केंद्र पर टर्टल सर्वाइवल एलाइंस (टी एस ए) इंडिया एवं उत्तरप्रदेश वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से जल जीव संरक्षण परियोजना के अंतर्गत चम्बल नदी में पाए जाने बाले विभिन्न प्रजाति के कछुओं के संरक्षण व सुरक्षा का काम किया जाता है। जल प्रदूषण संपादन में कछुओं का अतिमहत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।
राष्ट्रीय चम्बल पशु विहार परियोजना के प्रभारी उप वन सरंक्षक दिवाकर श्रीवास्तव के दिशा निर्देशन में चम्बल सेंचुरी क्षेत्र बढ़पुरा के रेंज प्रभारी हरिकिशोर शुक्ला एवं टर्टल सर्वाइवल एलाइंस के प्रोजेक्ट ऑफिसर पवन पारीख के नेतृत्व में गढ़ायता केंद्र पर सरंक्षित दो वर्षीय पचास कछुओं को गुरुवार चम्बल नदी में छोड़ा गया।
प्रोजेक्ट ऑफिसर श्री पारीख ने बताया चम्बल नदी से प्रजनन के बाद कछुओं के बच्चों को उपरोक्त केंद्र पर संरक्षित किये जाते हैं। बच्चों के सेल काफी कमजोर होते है जिससे यह अन्य जल जीवों आदि का आसानी से शिकार हो जाते है।केंद्र पर रखकर इनका सरंक्षण किया जाता है।सेल मजबूत होने के बाद इन्हें पुनः नदी में छोड़ा जाता हैं। उपरोक्त सभी कछुओं को दो वर्ष तक केंद्र पर सरंक्षित रखने के बाद आज छोड़ा गया है। सेंचुरी रेंज प्रभारी श्री शुक्ला ने कहा कि कछुओं का जल प्रदूषण को नष्ट करने में भारी योगदान होता है। इनके संरक्षण को लेकर टी एस ए इंडिया काम कर रहा है इनका ग्राम गढ़ायता के केंद्र स्थापित है जहाँ पर सरंक्षण का काम होता है। चम्बल में जलजीवों की गणना के सवाल पर कहा कि काउंटिंग रिपोर्ट की पूरी सही जानकारी तो हमारे डी एफ ओ साहब के पास ही मिल सकती है। और अभी पूरी काउंटिंग भी नहीं हो सकी है जल्द ही अभियान चलाकर गणना पूरी होने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।
चम्बल नदी में कछुओं को छोड़ने के अवसर पर उपरोक्त के अलावा टी एस ए इंडिया के फील्ड असिस्टेंट शिशु भान सिंह, सेंचुरी वन रक्षक अंकित कुमार,संतराम ,राजू सिंह मौजूद रहे।

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