डा. नवनीत गर्ग को नहीं मिल रही राहत, अभी तक की जांच में दोषी

लियाकत मंसूरी
मेरठ। एसएम अस्पताल के मालिक और जनरल सर्जन डा. नवनीत गर्ग को अभी तक राहत मिलती नजर नहीं आ रही। मेडिकल थाने में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। सीएमओ और अपर निदेशक द्वारा कराई गई जांच में वे दोषी ठहराए जा चुके हैं। हालांकि, डा. नवनीत गर्ग ने गलत ऑप्रेशन करने से इंकार किया है। उनका कहना है, ऑप्रेशन अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट के आधार पर हुआ। वे टीयूआरपी की पात्रता रखते हैं, यूरोलॉजी सोसाएटी ऑफ इंडिया के सदस्य है। मरीज अगर परेशान है तो आकर मिले, इलाज में जो भी खर्च आएगा वे खुद उठाने को तैयार हैं। पीड़ित का कहना है, जो मेरे साथ हुआ है और किसी के साथ न हो, इसलिए वे लड़ाई लड़ रहे हैं। गौरतलब है, नेहरू नगर निवासी मुनीश कुमार गुप्ता पेट दर्द की शिकायत होने पर 16 सितम्बर 2020 को गढ़ रोड स्थित एसएम अस्पताल के मालिक डा. नवनीत गर्ग के पास गए थे। टेस्ट होने के बाद डा. नवनीत ने हार्निया बताया और 18 सितम्बर 2020 को ऑप्रेशन कर दिया। आरोप है, इस दौरान डा. नवनीत ने गदूद का भी ऑप्रेशन कर दिया, जबकि गदूद की परेशानी उन्हें नहीं थी। डिस्चार्ज होने के बाद मुनीश जब घर गए तो पेशाब आने की परेशानी बढ़ गई। इस पर डा. नवनीत ने आश्वासन दिया कि 15 से 20 दिन में पेशाब की समस्या दूर हो जाएगी। नौ नवम्बर 2020 को इसकी शिकायत जब डा. नवनीत से की तो उन्होंने गलती को स्वीकार कर लिया, लिखकर दिया कि जो खर्च आएगा उसे देने का भरोसा दिया। पीड़ित ने गलत ऑप्रेशन की शिकायत सीएमओ से कर दी। सीएमओ द्वारा गठित तीन सदस्य टीम ने प्रथम दृष्टया डा. नवनीत गर्ग को दोषी ठहराया। इसके बाद अपर निदेशक द्वारा जांच कराई गयी, इस जांच कमेटी ने भी डा. नवनीत की परेशानी को बढ़ा दिया।

‘दैनिक भास्कर’ ने प्रमुखता से उठाई पीड़ित की आवाज
पूरा मामला ‘दैनिक भास्कर’ के संज्ञान में आया तो प्रमुखता से समाचार को प्रकाशित किया गया। खबर छपने के बाद सोमवार को डा. नवनीत गर्ग ने मीडिया में अपना बयान जारी किया। डा. नवनीत ने अपर निदेशक की रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े कर दिए। विश्वस्त सूत्रों के हवाले से डा. नवनीत ने आरोप लगाया, अपर निदेशक राजनैतिक दबाव में रिपोर्ट बदलवा रही है, अगर ऐसा होता है तो वे कानूनी कार्रवाई करेंगे।

पीड़ित आकर मिले, फ्री इलाज को तैयार: डा. नवनीत गर्ग
डा. नवनीत का कहना है, सीएमओ द्वारा गठित बोर्ड द्वारा टीयूआरपी करने की पात्रता को अस्वीकार किया गया है, जबकि वे पात्रता रखते हैं। बोर्ड के सामने सभी प्रपत्र प्रस्तुत किए गए, लेकिन बोर्ड में यूरोलॉजिस्ट सर्जन न होने के कारण प्रपत्रों की जांच सही तरीके से नहीं हुई। वे रामा मेडिकल कॉलेज पिलुखवा हापुड़ में 2012 से आचार्य जनरल सर्जन यूरोलॉजी संकाय में कार्यरत है। डा. गर्ग ने कहा, मरीज अगर परेशान है तो वे उसका इलाज उच्च स्तर पर अपने खर्च पर करवा सकते है, इसके लिए उन्होंने लिखकर भी दे दिया है, लेकिन पीड़ित उनसे आकर नहीं मिल रहा। उन्होंने धमकी जैसे आरोपों से साफ इंकार कर दिया।

रुपये मांगने के आरोप निराधार: मनोज गुप्ता
पीड़ित के भाई मनोज गुप्ता का कहना है, डा. गर्ग ने इलाज कराने के लिए लिखकर दिया था, हम दस बार मिल चुके, लेकिन डाक्टर के पास समय ही नहीं है। रुपये मांगने के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा, डा. गर्ग झूठ बोल रहे हैं। हमें कानूनी लड़ाई नहीं लड़नी, पीड़ित को न्याय मिलना चाहिए। उसकी बीमारी सही होनी चाहिए। इस मामले में अब वे एसएसपी से मिलेंगे और चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कराने की मांग करेंगे।

सीएमओ की रिपोर्ट को नहीं किया जा सकता चैलेंज
इस बारे में अपर निदेशक डा. संगीता गुप्ता ने कहा, सीएमओ द्वारा जो रिपोर्ट तैयार की गई है, उसे अब चैलेंज नहीं किया जा सकता। अपर निदेशक द्वारा किसी भी जांच में डा. गर्ग को क्लीन चिट नहीं दी गई। डा. नवनीत गर्ग के पत्र को संज्ञान में लिया जा रहा है, जिसकी जांच नेशनल कमिशन द्वारा की जा रही है।

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