अपराध के नये तरीकों के कारण फारेंसिक साइन्स का दायित्व और भी बढ़ गया है: न्यायमूर्ति  राजीव सिंह

जरूरी नहीं कि जो हम सच मानते हैं वह सच हो: प्रो0 राबर्ट ग्रीन ‘ओबे’ केन्ट विश्वविद्यालय (यू0के0)

फारेंसिक विज्ञान न केवल दोषियों को सजा दिलाने में सक्षम है बल्कि निर्दोष को सजा से बचाने में भी उतना ही उपयोगी है: डॉ0 जीके गोस्वामी

लखनऊ.  उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस लखनऊ में आज विशेष व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मा0 न्यायमूर्ति श्री राजीव सिंह, इलाहाबाद हाईकोर्ट, लखनऊ बेन्च, लखनऊ तथा विशिष्ट अतिथि प्रो0 राबर्ट ग्रीन ‘ओबे’, केन्ट विश्वविद्यालय, यू0के0 रहे । कार्यक्रम का शुभारम्भ यूपीएसआईएफएस, लखनऊ के ऑडिटोरियम में आमंत्रित अतिथियों के साथ संस्थान के निदेशक डॉ0 जी0के0 गोस्वामी, आईपीएस द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया । 

व्याख्यान के अवसर पर  न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने संस्थान के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पहले फॉरेंसिक साइन्स पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता था लेकिन अब अपराध के नये तरीकों के कारण फारेंसिक साइन्स का दायित्व और भी बढ़ गया है । अपराधियों को सजा दिलाने के लिए साक्ष्य को सही ढंग से देखने की आवश्यकता है । उन्होंने इस संस्थान के प्रति प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यहाँ छात्रों का भविष्य एक जिम्मेदार एवं योग्य संस्थापक के हाथों में है।

इस अवसर पर इग्लैंण्ड से आये विशिष्ट अतिथि वक्ता राबर्ट ग्रीन “ओबे”, केन्ट विश्वविद्यालय (यू0के0) ने छात्रों को लॉ, लैब और जस्टिस के बारे में विस्तार से बताया । उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक विज्ञान में मूल्यांकन, विचार, और आलोचनात्मक सोच का महत्वपूर्ण योगदान है । उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर फोरेंसिक विज्ञान में वर्ष 1995 में सबसे बड़ा उछाल आया था। उन्होंने कहा कि 95 प्रतिशत केसेज में फारेंसिक विज्ञान को महत्व नहीं दिया जाता था, लेकिन समय के साथ फोरेंसिक विज्ञान का विस्तार हुआ है जिससे इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं अधिक बढ़ी हैं। उन्होंने फोरेंसिक विज्ञान में अच्छे विज्ञान के लिए अच्छी नीतियाँ, दूरदर्शी नेतृत्व और आपराधिक न्याय प्रक्रिया में जागरूकता की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया । उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक विज्ञान में गुणवत्ता का होना अत्यन्त आवश्यक है ताकि पीड़ित को उचित न्याय दिलाया जा सके और किसी निर्दोष को सजा न मिल सके। उन्होंने फॉरेंसिक विज्ञान के संबंध में कहा कि जरूरी नहीं कि जो हम सच मानते हैं वह सच हो। प्रो0 राबर्ट ग्रीन ने छात्रों को बहुत सारे केस स्टडी को विस्तार से बताया । प्रो0 राबर्ट को फॉरेंसिक विज्ञान में कार्य के लिए वर्ष 2008 में ‘ओबे’ (आफीसर आफ द आर्डर ऑफ द ब्रिटीश इम्पायर) अवार्ड दिया गया था ।

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ0 जीके गोस्वामी ने कहा कि यह संस्थान मा0 मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ जी के ड्रीम प्रोजेक्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, हम इस संस्थान को विश्वस्तरीय बना रहे हैं ताकि यहाँ के छात्रों का भविष्य उज्जवल हो सके । उन्होंने कहा कि हम जीवन में जो भी निर्णय लेते हैं उसका प्रभाव हम पर हमेशा रहता है। उन्होंने अनोखी लाल केस का जिक्र करते हुए कहा कि साक्ष्य के अभाव में इस केस में निर्दोष को दोषी साबित किया गया था, लेकिन फॉरेंसिक डीएनए साक्ष्य के आधार पर ही सजा पाये व्यक्ति को कोर्ट ने बरी कर दिया । इस प्रकार हम देख सकते हैं कि फॉरेंसिक विज्ञान न केवल दोषियों को सजा दिलाने में सक्षम है, बल्कि निर्दोष को सजा से बचाने में भी उतना ही उपयोगी है।

इस अवसर पर डॉ0 सतीश कुमार, आईपीएस ने संस्थान में आये सभी अतिथि एवं वक्ताओं का मंच से आभार प्रकट किया।

इस अवसर पर निदेशक डॉ0 गोस्वामी ने संस्थान में आये समस्त वक्तागण-अतिथियों को स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम मे उपनिदेशक श्री चिरन्जीव मुखर्जी, श्री सीएम सिंह, डॉ0 विवेक कुमार एवं जन संपर्क अधिकारी श्री संतोष तिवारी,प्रतिसार निरीक्षक श्री बृजेश सिंह सहित संस्थान के शैक्षणिक संवर्ग के संकाय डॉ सौरभ सिंह, डॉ0 अरूण खत्री, डॉ0 अजीत कुमार, डॉ0 आशीष राज, डा0 सपना शर्मा, डा0 पौरवी, डा0 रोशन, डा0 अभिषेक एवं राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ विश्वविद्यालय लखनऊ से भी छात्र छात्रायें उपस्थित रहें ।