इस भौतिक युग में प्रत्येक मनुष्य का सपना होता है, कि उसका जीवन अत्यंत सुखमय व खुशहाल रहे। इसके लिए नियमित रूप से मेहनत भी करता है। लेकिन कभी कभी मेहनत का पूर्ण परिणाम ना मिलने से परेशान भी हो जाता है। जीवन के इस काल चक्र में सुख दुःख एक क्रम की तरह कार्य करते है। मनुष्य के जीवन में भाग्य एक ऐसा हिस्सा होता है, जिसके बिना सभी कार्य अधूरे होते है। साफ़ शब्दों में कहे तो, जब तक किसमत अच्छी ना हो तो चाहे जितने प्रयत्न कर लो हमेशा निराशा ही हाँथ लगती है। ऐसे में मेहनत के साथ भाग्य का तेज होना भी बेहद जरूरी होता है।
शास्त्रों में वर्णित है, मनुष्य का भाग्य उसके कर्मो पर निर्भर करता है। मनुष्य जैसा करेगा बैसा भरेगा। शास्त्रों में शास्त्रों में माता लक्ष्मी को धन और सुख-समृद्धि की देवी कहा गया है। मान्यता है कि देवी लक्ष्मी जिस किसी पर अपनी कृपा बरसाती हैं उस व्यक्ति का जीवन बहुत आराम और सुख से बीतता है। वहीं कुछ ऐसे कारण भी है जिससे देवी लक्ष्मी नाराज भी हो जाती है और घर का त्याग कर देती हैं। यह संबंध मनसूय के भाग्य और कर्म दोनों पर निर्भर करता है। जातक जैसा प्रयास करेगा, उसे बैसा ही फल मिलेगा। तो आइये जानते है, बह कौन सी गलतियां है, जिनकी बजह से कठिन मेहनत करने के बाद भी निराशा ही हाँथ लगती है।
जिन घर में नियमित रूप से साफ-सफाई नहीं होती हैं वहां पर देवी लक्ष्मी ज्यादा देर तक नहीं टिकती हैं। मान्यताओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी का वास हमेशा साफ़ सुथरे घर में ही होता है। जिस घर में नियमित रूप से साफ़ सफाई होती है, उस घर में माँ लक्ष्मी अपना स्थान अवश्य ग्रहण करती है।
ऐसे घरों में लोग सूर्योदय होने के बाद भी सोते हैं वहां पर देवी लक्ष्मी नहीं रहती हैं। आलस्य असफलता की कुंजी होती है, मतलब जब तक आप मेहनत और प्रयासरत नहीं होंगे सफलता हाँथ नहीं लगने बाली, शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के पश्चात निद्रा(सोना) लेना घर में नकारात्मक शक्तियों को बढ़ावा देता है। ऐसे घरो में अक्सर फूट पड़ी रहती है। शास्त्रों के मुताबिक ऐसे घरो में माँ लक्ष्मी अपना स्थान कभी ग्रहण नहीं करती है।
जिस घर में पति और पत्नी एक-दूसरे का सम्मान नहीं करते हैं, उस घर से देवी लक्ष्मी चली जाती हैं। शास्त्रों में वर्णित है, जिन घरो में हमेशा क्लेश, बात-बात पर झगडे होना और परिवार के सदस्यों के बीच लड़ाई होना नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव दर्शाता है। ऐसे परिवार में माता लक्ष्मी कभी अपना स्थान ग्रहण नहीं करती है। इसलिए हमेशा परिवार में सुख शांति के साथ पति पत्नी व अन्य सदस्यों को मिल जुल कर रहना चाहिए।
जो व्यक्ति बार-बार झूठ बोलता है उसके घर पर देवी लक्ष्मी ज्यादा समय के लिए नहीं टिकती हैं। कहा जाता है, एक झूठ को छुपाने के लिए हजारो झूठ बोलने पड़ते है। यानी एक सत्य बचन एक बचन वंही एक झूठ हजार झूठ का जनक। परत दर परत झूठ में डूबता इंसान व परिवार कभी धनवान नहीं हो सकता, क्यूंकि उसकी नियत में ही खोट होती है। इस लिए जो लोग झूठ बोल कर अपना काम निकाल दूसरो को दुःख देते है, उनके घर कभी माँ लक्ष्मी निवास नहीं करती।शास्त्रों में चोरी को महापाप कहा जाता है। चोरी से ना सिर्फ एक इंसान बल्कि पूरे परिवार की बद्दुआ लगती है। सामने बाले को दुःख पहुंचा कर स्वयं सुख की अभिलाषा करना मूर्खता होती है। चोरी किया धन संचय कभी प्रगति नहीं करता, बल्कि बह काल रूपी स्थान को जन्म देता है। यानी चोरी से धनाजर्न नहीं बल्कि कुल नाश होता है। ऐसे में जिन घरो में चोरी का सामना होता है, उस परिवार में माँ लक्ष्मी कभी भी स्थान ग्रहण नहीं करती है।
जिन घरों में मेहमानों का स्वागत सही ढ़ग से नहीं होता वहां से देवी लक्ष्मी चली जाती हैं। अतिथि देवो भव: अर्थात मेहमान भगवन का रूप होते है। उनकी सेवा और सम्मान करना परिवार का फर्ज होता है। ऐसे में जिन परिवारों में मेहमान का अनादर होता है, उन परिवार में माँ लक्ष्मी कभी अपना स्थान नहीं लेती।
जो व्यक्ति भोजन का अपमान करता है और थाली में अन्न को छोड़कर उठ जाता है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी का अनादर होता है। शास्त्रों में वर्णित है, भोजन का अनादर मतलब भगवन का अनादर करना, भोजन का तृस्कार करना, मतलब भगवान् का तृस्कार करना। जिन परिवार में भोजन का अनादर, दुष्प्रयोग होता है। उन परिवार में माँ लक्ष्मी कभी अपना स्थान ग्रहण नहीं करती है।
जो व्यक्ति माता-पिता और अपने बड़ों का अनादर करता है उससे माता लक्ष्मी हमेशा नाराज रहती हैं। शास्त्रों में कहा गया है, गुरु से पहले माता पिता। यानी जिन परिवार में अपने बड़े बुजुर्ग व माता पिता का सम्मान ना होकर अनादर होता है। ऐसे परिवार में माँ लक्ष्मी कभी अपना स्थान ग्रहण नहीं करती है।