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Seema Pal
Earthquake : दिल्ली में आज सुबह 5:36 बजे रिक्टर स्केल पर 4.0 तीव्रता के साथ भूकंप आया। भूकंप के तेज झटकों से दिल्ली एक बार फिर कांप उठी। दहशत में लोग घरों से निकल बाहर आ गए। भूकंप का केंद्र नई दिल्ली था, जो जमीन से लगभग 5 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। इसलिए झटकों का असर नोएडा तक रहा। यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली की धरती डोली और लोग कांप उठे। इससे पहले भूकंप के झटकों से दिल्ली कई बार कराह चुकी है।
1960 में भूकंप से कराह उठी थी दिल्ली
दिल्ली में 1960 के भूकंप को आज भी लोग याद करते हैं, जब शहर में भूकंप के कारण कई इमारतें डोलने लगीं और भारी नुकसान हुआ था। उस समय, दिल्ली एक बड़े पैमाने पर भूकंप की चपेट में आई थी, जिसने नागरिकों में डर और चिंता का माहौल पैदा कर दिया था।
हालाँकि 1960 के भूकंप के दौरान बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचा था और कई जगहों पर दरारें आ गई थीं। भूकंप के झटके इतने तीव्र थे कि कई पुराने और कमजोर ढांचे में संरचनात्मक कमजोरी सामने आई, और इमारतों में हलचल हुई। इस घटना ने दिल्ली में भूकंप से निपटने के लिए बेहतर उपायों की आवश्यकता को और अधिक स्पष्ट कर दिया था।
आजकल दिल्ली में भूकंप से बचाव के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं, लेकिन 1960 के भूकंप ने इस विषय पर लोगों के बीच चेतना बढ़ाई और भूकंप प्रतिरोधक इमारतों और संरचनाओं के निर्माण की दिशा में कई कदम उठाए गए।
दिल्ली में कई बार आ चकुा है भूकंप
- 27 जुलाई 1960: 5.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप, कई इमारतों को आंशिक नुकसान
- 5 मार्च 2012: 4.9 मैग्नीट्यूड का भूकंप
- 12 नवंबर 2022: 5.4 मैग्नीट्यूड का भूकंप
- 23 जनवरी 2023: 5.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप
- 21 मार्च 2023: 6.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप
- 5 अगस्त 2023: 5.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप
भूकंप के समय कैसे करें बचाव
भूकंप के दौरान सुरक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:
- नीचे बैठना: भूकंप के समय अपने घुटनों और हाथों के बल नीचे बैठें।
- छिपना: किसी मजबूत टेबल या डेस्क के नीचे छिप जाएं।
- पकड़ना: किसी वस्तु को पकड़ते हुए, अपने सिर और गर्दन को सुरक्षित रखें।
अगर आप घर के बाहर हैं, तो जमीन पर लेटकर सुरक्षित स्थान की ओर रेंगते हुए जाएं और इमारतों, बिजली के तारों, पेड़ों से दूर रहें। यदि आप वाहन में हैं, तो गाड़ी रोककर उसमें ही रहें, और किसी इमारत या ओवरपास के पास रुकनेसे बचें। अगर आप बिस्तर पर हैं, तो वही रहें और तकिये से अपने सिर और गर्दन को ढक लें।