पढ़ाई ढेड लाख की, नौकरी में महज पांच हजार

इस पैरामेडिकल संस्थान के स्टूडेंट्स को कोई 5 हजार की नौकरी देने को तैयार नहीं!

  • पैरामेडिकल कालेजों में कोर्सों में पढ़ाई का दयनीय स्तर
  • ना फैकल्टी ना प्रैक्टिकल ट्रेनिंग
  • स्टेट मेडिकल फैकल्टी पर भी उठ रही उंगलियां
  • पैनेशिया फीस का मानक तय नहीं, एक ही कोर्स में स्टूडेंट्स से अलग अलग फीस!

कानपुर। लखनपुर स्थित ‘दि पैनेशिया पैरामेडिकल साइंस एंड नर्सिंग इंस्टीट्यूट’ में सीटी टेक्नीशियन और एमआरआई टेक्नीशियन जैसे प्रेक्टिकल ओरिएंटेड डिप्लोमा कोर्सों के पासआउट स्टूडेंट्स तक को आईसीयू, एनआईसीयू, ओटी आदि का काम कतई नहीं आता। उन्हें फार्सेप, कैंची या ब्लेड पकड़ना तक नहीं बताया जाता। पैनेशिया सेे ईटीसीटी और ओटी टेक्नीशियन आदि दो वर्ष के कोर्स करने के बाद भी स्टूडेंट्स को एमआरआई मशीन तो छोड़िये, एक्सरे मशीन तक आपरेट करना नहीं आती। यही कारण है कि इन कोर्सों पर एक से डेढ़ लाख की फीस खर्चने के बावजूद यहां के स्टूडेंट्स को कोई 5 हजार रूपये मासिक से अधिक वेतन पर रखने को तैयार नहीं होता। दाखिले के समय तो पासआउट होने पर 15 से 20 हजार रूपये प्रतिमाह की नौकरी देने का फर्जी वादा किया जाता है। खुद पैनेशिया हाॅस्पीटल प्रबंधन तक अपने ही स्टूडेंट्स को बमुश्किल पांच हजार की जाॅब देता है।

ये आरोप हमने नहीं, खुद पैनेशिया इंस्टीट्यूट के वर्तमान और पूर्व छात्रों ने लगाये हैं। संस्थान में दो साल से एमआरआई टेक्नीशियन का कोर्स कर रहे स्टूडेंट्स गरिमा पांडे और आशुुतोष दीक्षित ने बताया उनको दो साल में बमुश्किल तीन से चार बार ही एमआरआई मशीन के ‘दर्शन’ कराये गये, लेकिन कभी आपरेट नहीं करवाया गया। स्टूडेंट्स का आरोप है कि इस कोर्स में रेडियोलाॅजी एक महत्वपूर्ण विषय है, लेकिन उसकी तो एक अदद क्लास भी उन्हें नहीं करवायी गई। पूरे कोर्स में केवल एनाटमी के दो अदद शिक्षकों ने थोड़ा बहुत पढ़ाकर खानापूरी कर दी। कोर्स के विषयों से संबंधित एक भी टीचर संस्थान में कभी रखा या बुलाया ही नहीं गया। पैनेशिया इंस्टीट्यूट का फीस के नाम पर ‘धर्म-ईमान’ नहीं। किसी से 54 हजार प्रतिवर्ष, तो किसी का दाखिला 35 हजार रूपये में ही कर लेते हैं।

इस काॅलेज के ही दो वर्षीय ओटी टेक्नीशीयन कोर्स में दाखिला लेने वाले हंसपुरम, नौबस्ता निवासी दीपक राजपूत से संस्थान प्रबंधन ने ट्रेनिंग देने के वादे किये थे। लेकिन दीपक का आरोप है कि आपरेशन थियेटर में ले जाकर एक भी दिन ढंग से फार्सेप, कैंची या ब्लेड पकड़ना तक नहीं सिखाया गया। कोर्स पूरा हो चुकने के बाद भी उन्हें ओटी टेक्नीशियन का ए-बी-सी-डी तक नहीं आता। चार से 5 हजार रूपये सैलरी से अधिक कोई देने को तैयार नहीं। लाखों फीस के बदले स्टूडेंट्स को केवल एक कागज के टूकड़े रूपी डिप्लोमा मिला। दीपक के अनुसार पैनेशिया ने स्टूडेंट्स से फ्राॅड किया है।

पैनेशिया से ‘ईटीसीटी’ यानि इमरजेंसी ट्रामा केयर टेक्नीशियन डिप्लोमा कोर्स कर रहीं दो छात्रायें, राय बरेली की प्रिया और शहर की प्राची सिंह कहती हैं कि ट्रेनिंग के दौरान प्रैक्टिकल पर प्रबंधन ने कोई घ्यान नहीं दिया, ट्रेनर के तौर पर किसी ने छात्र-छात्राओं को कभी अटेंड नहीं किया। ट्रेनिंग के दौरान हाॅस्पीटल के आईसीयू, एनआईसीयू या ओटी में तीन से पांच घंटे की ड्यूटी लगाकर सिखाया जाना चाहिये, जो कभी नहीं किया गया। काॅलेज में टीचर्स और ट्रेनर हैं ही नहीं। प्रिया के पिता राय बरेली में चाय की दुकान चलाते हैं। वहीं प्राची सिंह के पिता चंद बीघा खेती से परिवार पालते हैं। प्राची ओर प्रिया जैसे कई के अभिभावकों ने पेट काट कर उनकी फीस भरी। लेकिन पैनेशिया ने उनकी मेहनत की कमाई और अरमानों पर पानी फेर दिया।
स्टूडेंट्स के अनुसार पैनेशिया पैरामेडिकल की पूर्व कार्यवाहक प्रिंसिपल सुजाता सिंह सैनी ने तो संस्थान प्रबंधन पर आर्थिक अनियमितताओं, हेराफेरी और टैक्स चोरी के गंभीर आरोप लगाते हुए ये हैं। लिखित शिकायत स्टेट मेडिकल फैकल्टी में भी की थी। बाद में संस्थान ने उनको निकाल दिया और उनपर मुकदमे कर डाले।

खुद नहीं पढ़नेनाते स्टूडेंट्स

दि पैनेशिया संस्थान के सचिव, न्यूरो सर्जन डाॅ. विकास शुक्ला इन आरोपों को बिल्कुल असत्य व निराधार करार देते हैं। डाॅ शुक्ला के अनुसार स्टूडेंट्स खुद पढ़ना नहीं चाहते। अधिकांश दूसरी जगहों पर नौकरी करते रहते हैं और बहुत जोर देने पर भी क्लासों में नहीं आते। वो फीस के बदले केवल सर्टिफिकेट चाहते हैं, पढ़ाई नहीं। उनके अनुसार पैनेशिया में फैकल्टी पूरी है, वो खुद भी कई बार क्लासें लेते हैं। रेडियोलाॅजी के दो शिक्षक हैं। स्टूडेंट्स को समस्या है तो वो सीधे उनसे मिलकर कहें। संस्थान में लगी शिकायत पेटियों में अपनी शिकायत भी डाल सकते हैं। उनके अस्पताल में खुद सीटी स्कैन व एमआरआई मशीनें हैं। उन्हें तो कम खर्च में अपने ही स्टूडेंट्स के रूप में टेक्नीशियन मिलें, इसलिये वो बेहतर पढ़ाई करवाते हैं। एक पूर्व कार्यवाहक प्रिंसिपल, जिनपर उन्होंने करप्शन के आरोप में एफआईआर करके निकाला था, वही उनके संस्थान को बदनाम करने की साजिश कर रही हैं।

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