शर्मनाक : क्या फीस के बदले काॅलेज न आने और नकल की छूट देता है ये संस्थान!

  • कई नाराज रूटूडेंट्स छोड़ रहे परीक्षा, नही दिया प्रैक्टिकल!

कानपुर। लखनपुर स्थित ‘दि पैनेशिया पैरामेडिकल साइंस एंड नर्सिंग इंस्टीट्यूट’ की लापरवाही से नाराज यहां के स्टूडेंट्स ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। आरोप है कि बिना पढाये और बिना क्लासें लगवाये ही स्टूडेंट्स को परीक्षायें देने को मजबूर किया जा रहा था। इससे नाराज कई स्टूडेंट्स ने तीन दिन पूूर्व काॅलेज में हुई प्रेक्टिल परीक्षा का वहिष्कार कर दिया है।
अब आशंका पैदा हो गई है कि संस्थान के चार कोर्सों में पढ़ रहे लगभग डेढ़ सौ स्टूडेंट्स में से आधे लिखित परीक्षाओं का वहिष्कार कर सकते हैं। ऐसे में संस्थान में बवाल की आशंका दिख रही है। एडमीशन के समय काॅलेज ना आने, कहीं भी नौकरी करते रहने या आराम से घर बैठे रहने, परीक्षा के दौरान ‘मदद’ देकर पास करवाने का ‘लाॅलीपाॅप’ दिया जाता है। दूरदराज के स्टूडेंट्स को बिना पढ़े लिखे, यूं ही पास होने का ‘ऑफर’ बेहद लुभावना लगता है। कभी संस्थान के स्टाफ द्वारा इशारों में, तो कभी एडमीशन दलालों के माध्यम से ‘बिना क्लासें अटेंड करे ही परीक्षा में पास होने’ की गारंटी दी जाती है। लेकिन इस बार पैनेशिया समेत ऐसे ऑफर देने वाले तमाम संस्थानों और ऐसे प्रपोजल स्वीकार करने वाले स्टूडेंट्स की उम्मीदों पर ‘स्टेट मेडिकल फैकल्टी’ ने पानी फेर दिया है। मेडिकल फैकल्टी ने इस साल से सेल्फ सेंटर की व्यवस्था खत्म करके, संस्थानों का परीक्षा केंद्र दूसरे काॅलेजों में डाल दिया गया है। पैनेशिया के स्टूडेंट्स का सेंटर तो जीएसवीएम मेडिकल काॅलेज में डाल दिया गया है। जून के प्रथम सप्ताह से शुरू हो रही पैरामेडिकल कोर्सेज की परीक्षा देने जा रहे स्टूडेंट्स परेशान हैं। कई लोगों ने ऑफ दि रिकार्ड बताया कि असल में उनको फीरस के बदले नकल का ऑफर रहता है। पर सेल्फ सेंटर खत्म होने से पास होने की उम्मीदें खत्म हो गईं।

मीडिया को भेजी गई लिखित शिकायत में एमआरआई टेक्नीशियन जैसे महत्वपूर्ण कोर्स के स्टूडेंट्स विवेक कुमार, आशुतोष, गरिमा पांडे आदि ने बतताया कि वो सब 2019-20 बैच के छात्र हैं। आरोप लगाया है कि पनेशिया में उनके प्रवेश बाद से लेकर दो साल का कोर्स खत्म होने तक संस्थान ने एमआरआई और रेडियोलाॅजी का कोइ भी टीचर उपलब्ध नहीं करवाया। अब अचानक 25 मई को फाईनल परीक्षा की सूचना दे दी गई। अब वो सभी स्टूडेंट्स बिना पढ़ाई और बिना क्लासें किये परीक्षा देने में असमर्थ हैं। इन परेशान स्टूडेंट्स का कहना है कि एक लाख रूपये फीस, कानपुर में फूडिंग-लाॅजिंग मिलाकर पनेशिया में इस कोर्स पर कुुल डेढ़ लाख रूपये खर्च हो गया। फिर भी पनेशिया संस्थान ने उनका भविष्य अंधेरे में डाल दिया। आरोप है कि पूरा कालेज और चार डिप्लोमा कोर्स केवल एनाटमी के दो अध्यापकों से चलाया जा रहा है। इस सबके बावजूद दबाव बनाकर बकाया फीस वसूली के लिये पनेशिया इंस्टीट्यूट द्वारा स्टूडेंट्स के हाईस्कूल इंटर के सर्टिफिकेट और मार्कशीटें बंधक बना ली जाती हैं।

काॅलेज प्रबंधन के अनुसार परीक्षा छोड़नेे वाले स्टूडेंट्स के बारे में कोई जानकारी नहीं। वहीं पनेशिया इंस्टीट्यूट के सचिव डाॅ. विकास शुक्ला इन आरोपों का खंडन करते हैं। वो कहते हैं कि फैकल्टी हर कोर्स में पूरी है। पूरे साल सभी क्लासें लगती हैं। स्टूडेंट्स खुद कलासों में नहीं आते हैं। वो दूूसरी जगह नौकरी करते रहते हैं। नकल जैसी चीज उनके यहां कोई स्कोप नहीं। पूर्व कार्यवाहक प्रिंसिपल ने फीस के बदले काॅलेज नहीं आने के असंवैधनिक वादे कई छात्रों से किये होंगे। उसी से माहौल बिगड़ने लगा था। वो अब काॅलेज में नहीं हैैं।

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