दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
जहानाबाद, फतेहपुर । दीवाली का त्यौहार आते ही देश भर में तैयारियां शुरू हो जाती है हो भी क्यो न, हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार जो है। कुम्हार महीनों पहले इसकी तैयारी करना शुरू कर देता है लेकिन आधुनिकता की चकाचौध में कुम्हार द्वारा बनाई गई दिलारी कि पूछ कम होती जा रही है उसकी जगह बड़े बड़े कारखाने में बनने वाली रंगीन पक्की दिलारी, मोमबत्ती, लाइट, चाइना झालर, चाइना बल्ब आदि ने ले ली है। जिससे साल भर दीपावली का इंतजार करने वाला कुम्हार ज्यादा बिक्री न होने पर मायूस हो जाता है।
कस्बे के मलिकपुर, पाटी गली आदि मोहल्लों में रहने वाले कुम्हार जोर शोर से इस आशा के साथ दिलारी बना रहे है कि शायद इस वर्ष ठीक ठाक बिक्री हो जाये। सोमवार की सुबह जहानाबाद कस्बे के पाटी गली निवासी श्रीपाल पत्नी गिरिजा देवी के साथ दिलारी बनाते हुए मिले। पूछने पर बोले कि साहब मिट्टी बहुत महंगी हुईगे है, बाप दादा के समय से बना रहेन, तब बिक्री भी खूब रहै।
करवा, दिलारी पकावे खातिर कंडा भी 120-150 रुपये सैकड़ा मा मिलत है, करवा भी ज्यादा नही बिकान, अब दिलारी बना रहेन। राजकुमार ने बताया कि कबहु कबहु माल बन तो जात है लेकिन मोमबत्तिन के मारे बहुत कम बिकत है। दिलारी का रेट पूछने पर बताया कि 50 रुपये से 60 रुपये सैकड़ा तक बिकती है। बहुत कुछ बचत तो नही आये लेकिन बप्पा केर काम आए यही के मारे पकड़े हन।
गिरिजा देवी बोलीं कि अब बड़े लोग लाइट से रोशनी करे लाग है यही के मारे दिलारी कम बिकाति है। अब सवाल ये है कि अगर हम आप ही आधुनिकता की चकाचौंध में खो जाएंगे तो हमारी संस्कृति आने वाले समय में खो जाएगी। आईये आगे बढ़कर प्राचीन परम्पराओ के साथ दीवाली मनाये अपने देश, देश की संस्कृति परम्पराओ को आने वाली पीढ़ी तक पहुचाने में मददगार बने।
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