दैनिक भास्कर ब्यूरो
फतेहपुर । भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सिंह 2014 में चुनाव बूथ में मारपीट के कथित मामले में जिला जज की अदालत से बाइज्जत बरी हो गए हैं। निचली अदालत द्वारा मामले में दो साल नौ माह की सजा सुनाए जाने के बाद पूर्व विधायक ने फैसले के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में अपील दाखिल की थी। जिला जज रणंजय कुमार वर्मा की कोर्ट ने शनिवार को मामले में फैसला सुनाते हुए पूर्व भाजपा विधायक विक्रम सिंह को बाइज्जत बरी कर दिया है। पूर्व विधायक के बरी होते ही उनके हजारों समर्थकों में जश्न का माहौल रहा।
पूर्व विधायक विक्रम सिंह ने बताया कि 2014 में सपा सरकार के दौरान उन पर एक फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया था उन पर आरोप था कि उन्होंने हुसेनगंज क्षेत्र के एक बूथ में जाकर बदसलूकी की। जबकि वह उस बूथ में गए ही नही थे। उन्हें फर्जी तरीके से सपा के नेताओ के दबाव में फंसाया गया था। उन्होंने न्यायालय को धन्यवाद देते हुए कहा कि न्याय पालिका की वजह से ही उन्हें न्याय मिल पाया।
जिला जज रणंजय कुमार वर्मा ने दिया बड़ा फैसला
निचली अदालत से सजा होने के बाद जिला जज की कोर्ट में अपील करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश वर्मा ने बताया कि जिस बूथ पर पहुंचकर पूर्व विधायक पर गाली गलौज करके सरकारी कार्य मे बाधा पहुंचाने का आरोप लगा था। वहां तैनात रहे सिपाही ने गवाही देकर बताया कि ऐसी कोई घटना उनके बूथ में नहीं हुई। अगर ऐसी घटना होती तो पीठासीन अधिकारी को जानकारी होती। दूसरा पहलू यह भी रहा कि एफआईआर करने वाले सिपाही ने बयान दिया था कि वह ड्यूटी पूरी करके गया तब शाम को तहरीर दी जबकि एफआईआर एंटी टाइम तीन बजे ही दर्ज हो गई थी। ऐसे में बयानों में भिन्नता मिलने व गवाहों के बयानों के आधार पर जिला जज रणंजय कुमार वर्मा ने पूर्व विधायक विक्रम सिंह को दो वर्ष नौ माह की सजा से मुक्त करते हुए उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया।
क्या था पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि विक्रम सिंह समेत चार लोगों के विरुद्ध एक पुलिस कर्मी के साथ मारपीट के मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने दो साल 09 महीने की सजा के साथ एक-एक हजार रुपये अर्थदंड का फैसला सुनाया था। विक्रम सिंह पर आरोप था कि 30 अप्रैल 2014 में हुसैनगंज थाना क्षेत्र के बड़ागांव में मतदान कार्य चल रहा था तभी पूर्व विधायक अपने तीन समर्थकों कमलेश किशोर तिवारी, अमित तिवारी व शंकर दयाल उर्फ बच्चा तिवारी के साथ पोलिंग बूथ पहुंचे। बूथ पर सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मी के साथ मारपीट और गालीगलौज कर बदसलूकी की थी। इस पर वहां तैनात सिपाही ने प्रत्याशी पर मतदान बाधित करने, सरकारी काम में रुकावट डालने, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, सेवन (सीएलए) क्रिमिनल एक्ट के तहत अपराध पंजीकृत कराया गया था।