दैनिक भास्कर ब्यूरो
फतेहपुर । 2012 में फ़तेहपुर से सपा सांसद रहे राकेश सचान ने दो औद्योगिक क्षेत्रों के 72 प्लाट अपनी दो संस्थाओं के नाम करवा लिए थे। जिसकी शर्तों का पालन न करके लगभग 10 वर्ष से सरकारी संपत्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं। राकेश सचान ने आवंटन के समय जमा की जाने वाली दस प्रतिशत धनराशि भी 10 वर्षों से नहीं जमा कराई। हाल ही में सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का कार्यक्रम करवाया जिसमे देश विदेश के बड़े बड़े उद्योगपति यूपी में इन्वेस्ट करने के लिए आये। फ़तेहपुर में भी उद्योगों के लिए भूखंड खोजे गए तो पता चला कि मंत्री स्वयं नियमविरुद्ध तरीके से 72 प्लाट कब्जा किये बैठे हैं। मामला मीडिया की सुर्खियां बना तो जिला उद्योग तथा उद्यमिता विकास केंद्र के उपायुक्त अंजनीष सिंह ने राकेश सचान की दोनो संस्था को नोटिस जारी की और 15 दिन में जवाब की अपेक्षा की। जवाबी पत्र में मंत्री राकेश सचान के पिता उदय नारायण सचान की तरफ से विभाग को ही दोषी ठहरा दिया गया और प्लाट विभाग को समर्पित करने की बात कही गई।
कहा 10 वर्षों से उन्हें नहीं है आवंटन की जानकारी
आपको बता दें कि एमएसएमई के मिनिस्टर राकेश सचान का पूर्व से विवादों से नाता रहा है कुछ माह पूर्व वह कानपुर की एक कोर्ट से आर्म्स एक्ट के एक मामले में सजा होने के बाद फरार होने के प्रकरण में सुर्खियों में आये थे। तब नेशनल मीडिया का मुद्दा बना था। कुछ माह बाद अब राकेश सचान 72 प्लाट के आवंटन के मामले में सुर्खियों में हैं। राकेश सचान पुत्र उदय नारायण सचान प्रबंधक मेसर्स सीमा शिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान व अभिनव शिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान से उपायुक्त एमएसएमई ने दो नोटिस भेजकर 72 प्लाट के मामले में जवाब मांगा है नोटिस में मिनी औद्योगिक क्षेत्र सधुवापुर पौली में 40 भूखंड व मिनी औद्योगिक आस्थान चकहाता फ़तेहपुर में 32 भूखंड की शर्तों के अनुसार लीज डीड न पंजीकृत कराये जाने के सम्बंध में व 10 प्रतिशत राशि न जमा के सम्बंध में 15 दिन के अंदर जवाब मांगा गया। दोनो पत्रों का जवाब विभाग को मंत्री के पिता संस्था के अध्यक्ष उदयनारायण सचान की तरफ से अजीबोगरीब आया।
बिना दस फीसदी जमा किये समर्पित किये विभाग को 72 भूखंड
7 बिंदुओं में आये जवाब ने सकते में डाल दिया। नोटिस के जवाब में संस्था के अध्यक्ष उदय नारायण सचान ने उपायुक्त को जवाब दिया कि हमारी दोनो संस्था ने मिनी औद्योगिक क्षेत्र सधुवापुर पौली और चकहाता में बालिकाओं के लिए शैक्षणिक संस्थान खोलने के लिए भूखंडों के आवंटन के लिए दस वर्ष पूर्व आवेदन किया था परंतु आप द्वारा दस वर्ष के उपरांत भूखंड आवंटन करने की जानकारी 15 फरवरी 2023 को दी जा रही है और शर्तों के अनुसार 10 फीसदी धनराशि न जमा करने व डीड प्रस्तुत करने हेतु प्रस्ताव भेजा गया है जिसमे संस्था को आपत्ति है। संस्था के अध्यक्ष ने विभाग को ही छह बिंदुओं में दोषी ठहराया है। संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि भूखंड आवंटन हेतु 26 अप्रैल 2012 को आवेदन किया गया था जिसकी जानकारी उन्हें दस वर्ष के उपरांत 15 फरवरी 2023 को हुई है। संस्था के अनुसार आवंटन की प्रथम शर्त के अनुसार आवंटन के 15 दिन अंदर 91 रुपये की दर से रुपया जमाकर निर्माण शुरू करना था जो विभाग की जानकारी न देने की वजह से नहीं हो सका ऐसे में अब नए शिक्षण संस्थान की उपयोगिता प्रतीत नहीं होती। संस्था ने जवाब दिया कि विभाग द्वारा जानकारी न देने की वजह से वह 15 दिन में सब रजिस्ट्रार के यहां लीज डीड नहीं करवा पाया।
संस्था ने चौथी शर्त की आपत्ति बताई कि विभाग ने जानकारी नहीं दी इसलिए वह निश्चित तीन माह के समय के अंदर शिक्षण संस्थान का निर्माण नहीं करा पाया। संस्था ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब भूखंड आवंटन की शर्तों को पूरा न करने पर 15 दिन में आवंटन निरस्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई थी तो 10 वर्ष के उपरांत भूखंड का दस प्रतिशत जमा करने के लिए नोटिस क्यों जारी की गई। संस्था ने पत्र के माध्यम से बताया कि भूखंड आवेदन के समय एक स्थान की निर्धारित दर 91 थी जो बढ़कर 3680 हो गई है इसी प्रकार दूसरी जगह भी रेट में बढ़ोत्तरी हो गई है।
ऐसी दशा में संस्था ने शैक्षणिक संस्थान न खोलने का निर्णय कर भूमि विभाग को समर्पित करने का निर्णय लिया है ताकि दूसरे उद्यमियों को भूमि आवंटन हो सके। नोटिस के जवाब में एमएसएमई के मंत्री राकेश सचान ने पूरा ठीकरा विभाग पर ही फोड़ दिया है। मंत्री की संस्था के अध्यक्ष ने प्रत्येक बिंदु में विभाग को ही दोषी बताया है। ऐसे मे 2012 में हुई भूखंड आवंटन प्रक्रिया बड़े जांच के घेरे में आ गई है। मंत्री राकेश सचान फंसने पर भले ही दानवीर बन गए हों मगर पूरा विभाग सवालों के घेरे में है। 2012 की आवंटन प्रक्रिया का भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद मंत्री बैकफुट पर हैं लेकिन पूरे प्रकरण पर किसी न किसी पर सरकार की गाज गिरना तय माना जा रहा है।
फतेहपुर की राजनीति और राकेश सचान
राकेश सचान 2009 से 2014 तक समाजवादी पार्टी से सांसद रहे फिर 14 के चुनाव में भाजपा की साध्वी निरंजन ज्योति से चुनाव हार गए। 2019 में एमपी के चुनाव में पुनः उनको साध्वी निरंजन ज्योति ने हराया। 2019 में एमपी के चुनाव से पूर्व सपा से टिकट न मिलने पर राकेश सचान ने कांग्रेस का दरवाजा खटखटाया मगर वहां से भी नेता जी की नैय्या पार नहीं लगी। दो बार लगातार हारने के बाद 2022 में विधानसभा चुनाव से पूर्व समीकरण सेट करके राकेश सचान ने भाजपा के गंगाजल में नहा लिया। पार्टी ने उन्हें भोगनीपुर से टिकट दिया जहां से जीतकर वह योगी सरकार की कैबिनेट में मंत्री बने। राकेश सचान के पास एमएसएमई विभाग है।