फतेहपुर : जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते बदहाली पर आंसू बहा रहा रजबहा

  • दो दशकों से पानी के लिए तरस रहा है रजबहा
  • जनप्रतिनिधियों द्वारा रजबहे में पानी लाने का आश्वासन देकर वोट तो लिया जाता है
  • किसानों को इस समस्या से निजात मिल जाएगी लेकिन यह लिखित आश्वासन भी कागजों तक सीमित रहा

दैनिक भास्कर ब्यूरो ,

जहानाबाद, फतेहपुर । दो दशकों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी रजबहे में पानी के स्थान पर धूल एवं कटीली झाड़ियों का कब्जा है। जिसकी मार झेल रहे कृषकों को परिवार के जीवकोपार्जन हेतु विभिन्न शहरों में जाकर मेहनत मजदूरी करना पड़ रही है। 

बता दें कि कानपुर प्रखंड से निकली गंगा नहर से निकलकर जनपद के मकरौली गांव होते हुए ग्राम कुल्लीहार, कोड़ा जहानाबाद, गोकुलपुर, सैकापुर, मिर्जापुर मकरंदपुर, मंगलपुर टकौली, लहुरी सरांय, नोनारा, अमौली, बिजौली, सिजौली आदि लगभग आधा सैकड़ा से अधिक गांव की कृषि योग्य भूमि को सिंचित करने वाले रजबहे को घाटमपुर रजबहा के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1995 में तत्कालीन विधायक प्रकाश नारायण अवस्थी एवं विद्युत परियोजना एनटीपीसी दिबियापुर औरैया के बीच समझौता हुआ कि रजबहे का 100 क्यूसेक पानी मुझे दे दो और इसके बदले में राजबहे के किनारे पर्याप्त मात्रा में नलकूप लगवाकर किसानों को कृषि भूमि की सिंचाई हेतु पानी लगातार दिया जाता रहेगा।

यह समझौता केवल कागजों तक सीमित रहा और एनटीपीसी द्वारा नलकूप नहीं लगवाए गए। परिणाम स्वरूप घाटमपुर राजबहे के शीर्ष पर परिकल्पनिक क्षमता 579 से घटकर 479 क्यूसेक निर्धारित कर दी गई जिसके चलते अमौली, बिजौली एवं सिजौली रजबहा प्रणाली कमांड क्षेत्र से बाहर कर नलकूप विभाग के कमांड में शामिल कर दिया गया और धीरे-धीरे रजबहे में पानी की जगह धूल उड़ने लगी तथा क्षेत्र की हरियाली और किसानों की खुशहाली को ग्रहण लग गया।

कुछ वर्षों तक क्षेत्रीय कृषकों ने निजी नलकूपों के सहारे खेती की लेकिन जब परिवार के पालन पोषण हेतु परेशानियां ने घेर लिया तो दूसरे शहरों में जाकर मेहनत मजदूरी कर बच्चों का पालन पोषण करना उनकी मजबूरी बन गयी। गौरतलब यह है कि विधानसभा एवं लोक सभा चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों द्वारा रजबहे में पानी लाने का आश्वासन देकर वोट तो लिया जाता है लेकिन जीतने के बाद इस और ना देखना और किसानों को बड़ी समस्या से निजात न दिलाना चर्चा का विषय बना हुआ है।

किसानों की समस्या को देखते हुए क्षेत्रीय कृषक सरकार आलम द्वारा वर्ष 2016 में सहायक अभियंता तृतीय कानपुर प्रखंड निचली गंगा नहर को एक पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की गई थी लेकिन लिखित जवाब में उन्होंने श्री आलम को आश्वस्त किया था कि रजबहे के पुनर्स्थापना हेतु 7 करोड़ 11 लाख 37 हजार रु0 जन संसाधन लखनऊ के मुख्य अभियंता द्वारा अनुमोदित कर दिए गए हैं। शीघ्र ही किसानों को इस समस्या से निजात मिल जाएगी लेकिन यह लिखित आश्वासन भी कागजों तक सीमित रहा और आज भी रजबहे में पानी की जगह घास, फूस कटीली झाड़ियों सहित धूल उड़ती दिखाई दे रही है।

क्षेत्रीय कृषक मौजीलाल यादव, माहेर रज़ा, रामऔतार, जय सिंह सेंगर, जगरूप सिंह, शानदार नक़वी, मोहम्मद रहीम, शिवपूजन सिंह आदि ने विभागीय अधिकारियों से रजबहे में पानी की मांग की है।

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