फतेहपुर : भूमाफियाओं पर राजस्व प्रशासन मेहरबान, डीएम के नाम की बिकी भूमि

दैनिक भास्कर ब्यूरो

फतेहपुर । योगी सरकार भले ही भूमाफ़ियाओ पर सख्त कार्रवाई कर रही हो मगर फतेहपुर में भूमाफियाओं और राजस्व प्रशासन की दांतो काटी दोस्ती है ! शहर में लेखपालो की मदद से भूमाफिया आधे से अधिक तालाबो को समाप्त कर प्लाटिंग कर चुके हैं। शहर क्षेत्र के मलाका में पशुचर का बड़ा एरिया प्लाटिंग होकर बिक गया। तेलियानी ब्लॉक के सामने पशुचर बिक गया। हाइवे पर नौआबाग में पशुचर में निर्माण हो गया। लखनऊ बाई पास चौराहे स्थित सरकारी जमीन बिक गई, आज वहां मकान खड़े हैं।

बिना आवासीय, बिना ले आउट हरे बाग में चल रही प्लाटिंग

ज्वालागंज का तालाब बिक गया। राजस्व प्रशासन कई वर्षों से नोटिस नोटिस खेल रहा है। शांति नगर स्थित शिव विराजमान मन्दिर से जुड़े 9 बीघे के तालाब में आधा कब्जा हो गया। सड़क पर स्थित तालाब के रकबे का बैनामा हो गया। जिस बांके बिहारी मंदिर व उसके परिसर को प्रशासन जन सहयोग से बेहतर बना रहा है उसी के आगे के फ्रंट को जो डीएम के नाम है उसको एक जनप्रतिनिधि ने बैनामा करा लिया ! शहर के बीचोबीच स्थित कई तालाबो का अस्तित्व आज समाप्त हो चुका है। दर्जनों मामलो में सख्त कार्रवाई के बजाय राजस्व प्रशासन मामलो को टरकाता रहता है तभी मामलो में लिप्त रहे तत्कालीन राजस्व कर्मियों, अधिकारियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।

इस बार भूमाफियाओं की नज़र शहर के सबसे बड़े बाग पर है। बताते हैं वहां का बैनामा बिना बाग दिखाए करा लिया गया है और प्लाटिंग कर दी गई है। कई महीने से चोरी छिपे वीआईपी रोड/जेल रोड स्थित इस बाग से सैकड़ों पेड़ काटे जा चुके हैं। अगर भूमाफियाओं पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो इस बाग को नष्ट करने का ताना बाना बुना चुका है और अगर बाग पूरा कट गया तो शहर के पर्यावरण को प्रभावित होने से कोई नहीं बचा सकता। आश्चर्य यह है कि यह बाग वन विभाग के मुख्यालय स्थित दफ्तर से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित है। एसडीएम, डीएम के कार्यालय व आवास भी समीप पर ही हैं मगर इस मामले में प्रशासन की चुप्पी समझ से परे है।

हालांकि दैनिक भास्कर में शीर्षक “वन विभाग के समीप काटा जा रहा शहर का सबसे पुराना बाग” खबर प्रकाशित हुई थी जिसको संज्ञान में लेकर एसडीएम सदर अवधेश निगम ने प्रभागीय निदेशक को जांच कर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया था। जिस पर क्षेत्रीय वन अधिकारी ने जो रिपोर्ट और फ़ोटो भेजी वो चौकाने वाली थी। क्षेत्रीय वन अधिकारी ने मौके पर कोई भी प्रतिबंधित पेड़ का न काटा जाना बताया। उन्होंने यह भी लिखा कि मौके पर किसी बड़े वृक्ष के काटे जाने के भी निशान नहीं मिले जिससे पर्यावरण का कोई नुकसान हो। हालांकि इस रिपोर्ट के साथ भेजी गई फ़ोटो स्वयं पूरे खेल को स्पष्ट बयां कर रही थी। फ़ोटो में स्पष्ट नज़र आ रहा है कि बाग के अंदर प्लाटिंग चल रही है।

हजारों पेड़ों की जिंदगी खतरे में, क्या बिना पेड़ कटे लोग बनवा लेंगे मकान

बाग के बीच मे पक्के रास्ते बनाये जा रहे हैं जिसमे आम आदि कई तरह के प्रतिबंधित पेड़ खड़े नजऱ आ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रशासन के अधिकारियों को बिना आवासीय, बिना ले आउट की प्लाटिंग क्यों नहीं नज़र आई। सीधी बात है अगर जमीन को आवासीय बनाएंगे तो पेड़ कटवाने पड़ेंगे और हजारों की संख्या में खड़े पेड़ो को काटने की अनुमति मिलना असम्भव है। इसलिए चोरी छिपे प्लाटिंग चल रही है ताकि जिन लोगों के नाम बैनामे होंगे उन्हें घर बनवाने पर प्लाट से एक दो पेड़ कटवाने की अनुमति आसानी से मिल जाएगी। लेकिन आश्चर्य यह है कि जिस बाग में हजारों की संख्या में पेड़ खड़े हों वहां पर प्लाट के रूप में बैनामा कैसे हो रहे हैं और प्लाटों में पेड़ का जिक्र क्यों नहीं किया जा रहा। क्या प्लाट बैनामा होने के बाद विक्रेता यह लिखकर दे रहा है कि इस जमीन पर क्रेता मकान नहीं बनवायेगा और पेड़ को नहीं कटने देगा !

आपको बता दें कि नियमतः किसी को भी प्लाट बिक्री करने से पहले जमीन का आवासीय होना आवश्यक है। बिना ले आउट की जितनी भी प्लाटिंग चल रही हैं उन सभी भूमाफियाओं पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन फतेहपुर में भूमाफ़ियाओ ने राजस्व सिस्टम को हाईजैक कर रखा है। शहर में तैनात किसी भी राजस्वकर्मी की जांच करा ली जाए करोड़पति निकलेंगे। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि योगी सरकार भले ही भ्रष्टाचारियो पर कड़ी कार्यवाही व नकेल कसने की बात करती हो मगर फतेहपुर में भूमाफियाओं और राजस्व प्रशासन की पौ बारह है। यहां भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान ठंडा पड़ा है। अफसर भी गोल मोल जवाब देकर मामले से पल्ला झाड़ लेते हैं। सरकारी जमीनों से कब्जा छुड़वाने की कोई जहमत नहीं उठाना चाहता। इस बाबत एसडीएम अवधेश निगम ने कहा कि भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। पूरे प्रकरण की जांच करवाई जाएगी। पेड़ो को कटने नहीं देंगे।

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