भास्कर ब्यूरो
मलवां/फ़तेहपुर । मौजूदा सरकार गांव-गांव तक नहरों-माइनरों में पानी होने का दावा कर रही है। लेकिन मलवां ब्लाक में एक माइनर ऐसी भी है जहां सालों से इस माइनर में पानी नहीं पहुंचा। किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए दूर-दूर ट्यूबेल से पानी लाना पड़ता है या फिर मौसमी बारिश का सहारा मिल जाता है। पानी न आने से सैकड़ो बीघे उपजाऊ जमीन असिंचित रह जाती है। लेकिन किसानों की इन समस्याओं की ओर किसी सांसद-विधायक या मंत्री का भी ध्यान नहीं है।
1975 में खुदी थी माइनर, 8 वर्ष से पानी को तरसे
किसान शीतला, बुद्धा का कहना है कि 1975 में नहर बनाई गई थी और 1995 तक पानी खेतों तक पहुँचा उसके बाद इस माइनर में पानी नहीं आता है और बीच-बीच कुलाबा काटकर गंगा में उतार दिया गया। इस माइनर से लगभग आठ किलोमीटर तक के आधा सैकड़ा गांव प्रभावित है। बकोली, डुबकी, मीरमऊ, पैगम्बरपुर, चाची खेड़ा, समसेर का पुरवा, गरड़ियापुर सहित कई गांवों से होकर गुजरने वाली इस माइनर की लंबाई लगभग दस किलोमीटर है। वही कुछ किसानों का कहना है कि लगभग छह किलोमीटर तक माइनर में सालों से पानी नहीं आया।
दो दर्जन से अधिक गांवों के किसान प्रभावित
साल में कभी-कभी एक बार पानी आ भी जाता है तो जलस्तर इतना कम रहता है कि खेत मे नहीं पहुँच पाता है और अब तो सहारा ही छोड़ चुके हैं। करीब 45 साल पहले माइनर की खोदाई कराई गई थी। उसके बाद से खोदाई के नाम पर खानापूर्ति हुई और न कभी अंतिम छोर तक पानी पहुंचा। पानी का इंतजार करते-करते निराश हो चुके किसान ने माइनर का सहारा छोड़ दिया। माइनर की सफाई विभाग द्वारा ठेकेदारों के जरिये जेसीबी से कराई गई थी लेकिन सिल्ट सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई और माइनर का किसानों को कोई लाभ न मिला। खोदाई के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।