पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अग्रवाल दामोदर दास पंचतत्व में विलीन

भास्कर समाचार सेवा

मुरादनगर ।नगर को विकास के मार्ग पर अग्रसर करने वाले पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अग्रवाल दामोदरदास पंचतत्व में विलीन हो गए ।कौन कितने लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे यह कहना ऐसे ही मुश्किल है जैसे सूर्य को दीपक दिखाना। अंतिम विदाई देने वालों में आम और खास की इतनी संख्या थी कि उनके निवास स्थान से लगभग 2 ,किलोमीटर दूरी पर रावली रोड स्थित श्मशान घाट तक नरमुंड ही नजर आ रहे थे। हर कोई अपने नेता को श्रद्धा सुमन अर्पित करना चाहता था लेकिन उमड़े जनसैलाब के कारण बहुत से लोग अपने प्रिय नेता को नम आंखों से दूर से ही नमन कर सके। उनके बड़े पुत्र सतीश ने उन्हें मुखाग्नि दी।वर्ष 19 71, से 77, व 88, 94, तक दो बार नगर पालिका अध्यक्ष रहे स्वर्गीय अग्रवाल दामोदरदास के अथक प्रयासों से ही मुरादनगर नगर पंचायत से पालिका की श्रेणी में पहुंचा तथा उन्हीं के प्रयासों से नगर का सीमा विस्तार भी हुआ था ।श्री अग्रवाल के 3 ,पुत्र सतीश, कुंज बिहारी, देवेंद्र, थे कुंज बिहारी का पहले ही निधन हो गया था। 85 वर्ष की आयु में भी वह सामाजिक रुप से सक्रिय थे और दिन में अधिकांश समय वह मेन रोड पर स्थित फैक्टरी पर ही मौजूद रहते थे। उन्होंने अपने पुत्रों को राजनीतिक विरासत नहीं सौंपी लेकिन उनके बड़े भाई स्वर्गीय राजे लाल, के पुत्र उनके भतीजे भाजपा महानगर महासचिव गोपाल अग्रवाल, ने उन्हीं से राजनीति का ककहरा सीखा और वही राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं । गोपाल अग्रवाल के स्वर्गवास की सूचना का सहसा लोगों को विश्वास नहीं हुआ लेकिन गोपाल अग्रवाल, द्वारा सूचना प्रसारित करने के बाद उनके निवास स्थान पर समाज के हर जाति धर्म वर्ग के लोगों का पहुंचना प्रारंभ हुआ। और लोगों की संख्या इतनी अधिक हो गई जिसके कारण सरना वाली गली स्थित उनके आवास की ओर जाने वाला हर मार्ग अवरुद्ध हो गया। अपने कार्यकाल में उन्होंने विकास कार्यों की गुणवत्ता से कभी कोई समझौता नहीं किया कार्यस्थल पर खुद खड़े होकर कार्य कराते थे समाज के हर वर्ग में उनका सम्मान रहा। और अपने राजनीतिक कार्यकाल में उन्होंने भी सभी जाति धर्म के लोगों को साथ लेकर चले जिसके कारण सभी उन्हें अपना हितेषी मानते थे। मुरादनगर की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले गोपाल अग्रवाल का सभी पार्टियों के वरिष्ठ कनिष्ठ नेता सम्मान करते थे और यहां की राजनीति उनकी सलाह के बिना अधूरी रहती थी। यहां तक की प्रतिद्वंदी भी उनसे सलाह लेते थे ।लंबा कार्यकाल पालिका अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पूरा किया लेकिन भ्रष्टाचार अनियमितता के आरोप तक उनके विरोधी भी नहीं लगा पाए। जिन लोगों को उनके स्वर्गवास की सूचना देरी से मिल पाई उनके अंतिम संस्कार के बाद भी बड़ी संख्या में राजनीतिक व्यापारिक सामाजिक लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने परिवार को सांत्वना देने के लिए पहुंच रहे हैं।

Back to top button