उत्तर प्रदेश में गांवों के विकास के लिए मूलभूत बदलाव की जरूरत !

अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधानों के चुनाव संपन्न हुए है एक नए जोश और उत्साह के साथ आम जन में विकास की उम्मीद जग चुकी है पर यह इतनी आसान भी नहीं आइये जानने का प्रयास करते है की प्रदेश के गावों का विकास ग्राम पंचायत के माध्यम से कैसे हो क्योंकि अनेकों सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पारदर्शी रूप में पहुचाने की जिम्मेदारी इन्ही ग्राम प्रधानों की है | सामान्य जन से आप यदि सबसे महत्वपूर्ण चुनाव के बारे में जानना चाहेगे तो वह निसंदेह ग्राम पंचायत चुनाव को ही बताएगा | वजह यह नहीं है की वह सीधे तौर से उनसे सम्बंधित है बल्कि वजह यह है की एक पंचायत चुनाव में राजनीति के न केवल सारे दावं पेंच आजमाए जाते है बल्कि एक प्रत्याशी की कई पीढ़ियों को देखकर लोग वोट करते है | मात्र यह एक ऐसा चुनाव है जिसमे प्रत्याशी की योग्यता और ईमानदारी का शायद कोई मूल्य नहीं है | अधिकांश लोग आर्थिक लालच, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भेदभाव, रंजिश के दायरे से बाहर ही नहीं आ पाते जबकि अनेकों लोग ऐसे है जिन्हें इसका महत्व ही नहीं पता और वो लोग अपने वोटों का खुला क्रय – विक्रय करते है | जनसँख्या के आधार पर देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है और हाल ही में न केवल चुनाव संपन्न हुए है बल्कि विजेता प्रत्याशियों ने शपथ भी ग्रहण करके कार्यभार सम्हाल लिया है | प्रदेश में कुल 75 जिलों में 59163 ग्राम पंचायतें है जिनके जरिये गावों का विकास विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सरकार द्वारा किया जाता है | इन गावों में तकरीबन 16 करोड़ लोग रहते है | पर यदि आप ग्राम सभा की कार्यवाही और जमीनी हकीकत का मूल्यांकन करेगे तो अधिकांश गावों की वास्तविकता आप को कई प्रश्नों को सोचने के लिए विवश कर देगी की आखिर गावों का अपेक्षित विकास कैसे हो ?

एक ग्राम पंचायत के कई काम होते है जिसका सीधा सम्बन्ध आम जन से होता है | सरकारी योजनाओं का पारदर्शी तरीके से क्रियान्यवन करना प्राथमिकता होती है पर अधिकांश ग्राम पंचायतों में इसका व्यापक आभाव है | मुख्य कार्यो की बात करें तो एक ग्राम पंचायत की प्रमुख कार्यो में शामिल है – गाँव की सड़क पक्की हो और उसका नियमित तौर पर रखरखाव होता रहे, मनरेगा के जरिये सही व्यक्ति को रोजगार देना, गाँव के पशुओं के लिए पिने के पानी की व्यवस्था करना, पशु पालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, दूध डेयरी और बिक्री केन्द्रों की व्यवस्था करना, सिचाई के साधनों की व्यवस्था करना और साधनों का समुचित रखरखाव करना, ग्रामीण क्षेत्र मंे नालियों की साफ-सफाई, गाँव में दवाइयों का छिड़काव, एएनएम, आशा बहु के कार्यो पर निगरानी रखना, ग्राम पंचायत के सार्वजनिक स्थानो, जैसे मंदिर, मस्जिद, सार्वजानिक बैठको की जगह आदि स्थानों पर लाइट की व्यवस्था करना, दाह संस्कार और कब्रिस्तानों का रख-रखाव करना, कृषि के विकास के लिए संगोष्ठियो का आयोजन करना और लोगो में नवीनतम जानकारी को बढ़ाना, प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना और गरीब लोगो के लिए निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराना, सार्वजानिक स्थानों पर वृक्षा-रोपण कराना, जन्म मृत्यु का रिकॉर्ड रखना, आंगनबाड़ी केंद्र को सुचारू रूप से चलने में सक्रीय भूमिका निभाना, मछली पालन को बढ़ावा देना, गरीबो के लिए आवास और शिक्षा का प्रबंध करने के साथ – साथ गाँव में किसी धर्म या समुदाय में आपसी लड़ाई-झगड़े न हो ऐसा माहौल बनाना, झगड़ों को सुलझाना व दोस्ताना माहौल बनाये रखना है | परन्तु क्या यह पारदर्शी तरह से हो रहा है यह एक बड़ा प्रश्न है |

अधिकांश गावों में आज भी पीने के पानी की समस्या, नाले की समस्या, सार्वजानिक स्थानों पर बिजली की समस्या, सड़क की समस्या, पशुओं सम्बंधित समस्या, गरीबों के लिए शिक्षा, खाद्य और आवास की समस्या जस की तस बनी हुई है | आज भी जरुरतमंदो की अपेक्षा ताकतवर और समाज में अपनी पैठ रखने वाले लोगों तक ही सरकारी व्यवस्थाएं पहुँच पा रही है अधिकांश ग्राम पंचायतों में सरकारी योजनाओं के जरिये लूट की जा रही है शायद इसके पीछे मुख्य वजह यह है की लाखों रूपये चुनाव में खर्च करके आने वाला व्यक्ति पहले अपनी जेब भरना चाहता है आज भी अधिकांश लोग चुनाव इसलिए लड़ते है की अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर सके | ऐसे लोगों का व्यापक आभाव है जो समाज सेवा के उद्देश्य से चुनाव में आयें और जो ईमानदार लोग आना चाहते है पैसे के आभाव में चुनाव नहीं जीत पातें | जबकि जमीनी सच्चाई यह है की जिस भी ग्राम पंचायत में सेवा भाव के व्यक्ति को नेता चुना गया है उसने ग्राम पंचायत की छवि बदल कर रख दिया है |

ग्राम पंचायतों में पारदर्शित का व्यापक आभाव है सरकारी योजनायें सिर्फ कुछ लोगों तक ही सीमित रहती है, कार्यो की गुणवत्ता में कमी करके, उच्च गुणवत्ता का कार्य बता कर अपना जेब भरा जाता है | अनेको जगह पर सम्बंधित लोगों की आपसी मिलीभगत से घोटालों को जन्म दिया जाता है | सामाजिक सहौर्द बनाने के बजाय कई मौकों पर पक्षपात किया जाता है | चूँकि गाँव देश की आत्मा है ऐसे में विकास की धारा को सही रूप देने और पारदर्शी रूप से योजनाओं का क्रियान्यवन होने के लिए यह अति आवश्यक है की ग्राम पंचायत की सभी योजनाओं का सम्पूर्ण विवरण ग्राम सभा में उपलब्ध हो जिसे कोई भी व्यक्ति जाकर उन योजनाओं में शामिल होने की योग्यता के बारे में जान सके | किये जा रहें कार्यो का भी प्रमाणित विवरण ग्राम सभा में उपलब्ध हो जिसे आम जन आसानी से देख सके | कम से कम 5 ग्राम सभा स्तर पर एक पर्वेक्षक की नियुक्ति की जाए जो न केवल चल रहे कार्यो का आकस्मिक निरक्षण कर सकें बल्कि आम जन के प्रश्नों का लिखित जबाब दे सकें | किसी भी परिस्थिति में भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए ग्राम प्रधानों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान किया जाए | इस तरह के विकल्पों पर कार्य करने से न केवल गावों का समुचित विकास होगा बल्कि बेईमान और लूट करने वाले लोग डर की वजह से सही कार्य करने के लिए बाध्य होगे | साथ ही गावों में लोगों को भी जागरूक होना होगा जो न केवल कार्यो की समीक्षा कर सकें बल्कि सूचना के अधिकार के प्रयोग से पारदर्शिता के लिए बाध्य कर सकें | राईट टू रिकाल का भी प्रयोग भ्रष्ट लोगों के खिलाफ करके गावों का वास्तविक विकास सुनिश्चित किया जा सकता है | इतना सब कुछ इसलियी भी जरुरी है की देश की आत्मा गाँव है और गावों के विकास से ही देश का विकास संभव है | आखिर बात आपकी अपनी और अपनों की है जो सिर्फ उनकी नहीं बल्कि देश की बात भी है |

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक क्या बेहतर – नौकरी या फिर बिजनेस पेट्स के साथ डेजी का डे आउट