
भास्कर समाचार सेवा
नई दिल्ली। पेशेवर मुक्केबाज़ी के क्षेत्र में, जहां लड़ाके अपनी अनूठी शैली और तकनीकों के साथ एक अमित छाप छोड़ने का प्रयास करते हैं, वहीं गगनप्रीत शर्मा एक सच्चे व असाधारण मुक्केबाज़ के रूप में उभरे हैं। सीजर सोरियानो बेरुमेन के खिलाफ प्यूर्टो रिको में उनकी हालिया जीत ने उन्हेंमुक्केबाजी की दुनिया में एक उभरते हुए सितारे और भारत के गौरव की पद्वति दिलवाई। भीड़ में चमकने के लिए उन्होंने विशिष्ट पीक-ए-बू बॉक्सिंग शैली में विशेषज्ञता हासिल की। इस अनूठी तकनीक को अपने प्रदर्शन में शामिल करके उन्होंने रिंग में खुद को माना जाने वाला एक बल बना लिया। ऐमेच्योर मुक्काबाज़ी सर्किट में पूर्व राज्य स्तरीय चैंपियन रह चुके गगनप्रीत वर्तमान में भारत में अपने भार वर्ग में दूसरी रैंक रखते हैं। अपने ऐमेच्योर करियर के दौरान, शर्मा ने राज्य और क्षेत्रीय चैंपियनशिप में कई कांस्य और रजत पदक जीतने सहित उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं। वह इंटर कॉलेज चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी जीत चुके हैं। एमेच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन के कथित पूर्वाग्रह के कारण, गगनप्रीत ने निष्पक्ष अवसरों की तलाश में पेशेवर मुक्केबाजी में भाग लेने का निर्णय लिया। अपने स्कूल के दिनों में बदमाशी के शिकार के रूप में गगनप्रीत ने अपार पीड़ा और चुनौतियों का अनुभव किया। एक अंतर्मुखी व्यक्ति होने के नाते, वह लगातार उपहास और अकेलेपन को सहते रहे। फिर भी अंधेरे के सामने गगनप्रीत ने टूटने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, उन्होंने अपने बॉक्सिंग रिंग के भीतर सांत्वना और शक्ति पाई। अनुशासन, अथक प्रशिक्षण और अटूट दृढ़ संकल्प के माध्यम से, उन्होंने खुद को फिर से आकार दिया। गगनप्रीत की प्रेरणादायी यात्रा को उनके गुरु जो क्लो के मार्गदर्शन ने आगे बढ़ाया। पुणे में एक मुक्केबाज़ी के परीक्षण के दौरान उनकी असाधारण प्रतिभा को पहचानते हुए, क्लो ने उन्हें अपने प्रशिक्षु के रूप में चुना। क्लो के विशेषज्ञ संरक्षण के तहत, गगनप्रीत ने पीक-ए-बू शैली सीखी व उसका उपयोग किया। 2015 में पेशेवर क्षेत्र में कदम रखते ही गगनप्रीत ने बॉक्सिंग रिंग में खुद की उपस्थिति दर्ज करवाई। केवल एक हार के साथ 11 जीत का उनका रिकॉर्ड उनकी प्रतिभा बखूबी दर्शाता है।