
आज कुछ खास है, दरअसल दिग्गज गामा पहलवान का आज 144वां जन्मदिन है। और इस खास मौके पर तेज तड़ाके के साथ हर बात का फटाक से जवाज देने वाला गूगल ने खास डूडल बनाया है। लेकिन डूडल को अभी तक आप पूरा समझ नही पाये होंगे। आपको बता दें डूडल में गामा को गदा के साथ दिखाया गया है।
गामा पहलवान को सिर्फ इन्हीं नामों से नहीं बल्कि रुस्तम-ए-हिंद के नाम से भी जाना जाता है। 22 मई 1878 को उनका जन्म अमृतसर में हुआ था। गामा पहलवान ने अपने करियर में जो कारनामे किए वो शायद कोई दूसरा नहीं कर सकता है। बस यहीं कारण है कि आज भी फैंस उन्हें बड़े ही सिद्दत के साथ याद करते हैं।
आखिर कौन थे गामा पहलवान?
जानकारी के मुताबिक गामा पहलवान का असली नाम गुलाम मोहम्मद बख्श बट था। गामा पहलवान ने 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी। पंजाब के मशहूर पहलवान माधो सिंह से उन्होंने शुरूआत में कुश्ती सीखी। गामा ने इसके बाद अपने हुनर से पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। कहा जाता है कि गामा एक दिन में 5000 बैठक और 1000 से ज्यादा पुशअप लगा लेते थे। गामा पहलवान ने एक बार 1200 किलो के पत्थर को उठाकर कुछ दूर चलने का कारनामा कर दिखाया था। गामा पहलवान ने अपने करियर के दौरान कई खिताब हासिल किए। इसमें 1910 में वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप का इंडियन वर्जन और 1927 में वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप शामिल हैं। आपको बता दें कि वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप के बाद उन्हें टाइगर की उपाधि से भी नवाजा गया था।
बिना मुर्गे की गामा पहलवान की डाइट रहती अधूरी
गामा पहलवान पूरा देसी था और उनका खानपान भी कुछ ऐसा ही था। इस वजह से ही उनका शरीर काफी मजबूत बना हुआ था। कई रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी डाइट बहुत ज्यादा थी। गामा हर रोज 10 लीटर दूध पीते थे। इसके अलावा ये भी बताया जाता है कि 6 देसी मुर्गे भी उनकी डाइट में शामिल थे। गामा एक खास ड्रिंक भी बनाते थे, जिसमें लगभग 200 ग्राम बादाम डालते थे।
गामा ने 50 से अधिक कुश्ती लड़ी थी
गामा पहलवान ने अपने जीवन की आखिरी कुश्ती 1927 में स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन के खिलाफ लड़ी थी। गामा ने अपने जीवन में 50 से अधिक कुश्ती लड़ी थी और एक में भी उन्हें हार का सामना नहीं करना पड़ा था। सन 1960 में 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था।