पटना में गिग वर्कर्स का विरोध-प्रदर्शन: वाजिब शिकायत या चुनिंदा आन्दोलन?

भास्कर समाचार सेवा
नई दिल्ली। अमेजन इंडिया वर्कर्स यूनियन (एआईडब्लूयू) एक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने जा रहा है। इस प्रदर्शन का उद्देश्य स्विगी, अमेजन और जोमैटो जैसे प्लैटफॉर्म्स से जुड़े गिग वर्कर्म की कामकाजी परिस्थितियों पर ध्यान आकर्षित करना है। लेकिन इस आगामी विरोध के चुनिंदा निशाने को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं, क्योंकि इसमें बड़ी कंपनियों, जैसे कि बाल्मार्ट के फ्लिपकार्ट और मीशो को बाहर रखा गया है. जिनकी विहार में महत्वपूर्ण मौजूदगी है। तर्क दिया जा रहा है कि बाग कंपनियों पर ध्यान केन्द्रित करने और दूसरी कंपनियों को छोड़ देने से इस आन्दोलन की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है। ऐसा लगता है कि अभी तक, इस विरोध आन्दोलन में कंपनियों के नाम चुनकर दिए जा रहे हैं और दूसरी ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे कि स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, नायका या मीशी आदि की चर्चा नहीं है। उदाहरण के लिए, फ्लिपकार्ट बिहार में अपनी मास्ट माइन डिलीवरी ऑपरेशन के लिए बड़े पैमाने पर गिग चर्कर्स पर आथित्त है और वर्ष 2021 से बिहार में इसकी होनसेत यूनिट की डिजिटल मौजूदगी है। दिलचस्प है कि बिहार जैसे राज्य मीशो के लिए वृद्धि के अग्रणी राज्यों के रूप में उभर चुके हैं। मीत्रो का लगभग 50% यूजरवेस विहार में शेरघाटी जैसे टियर-4 शहरों में स्थित है। लेकिन लगता है कि आन्दोलनकारियों ने उन्हें अपने मुद्दे से छोड़ रखा है। इससे यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या इस प्रदर्शन का वाजिब लक्ष्य सम्पूर्ण गिग इकॉनमी में व्यवस्थागत समस्याओं को हल करना एवं गिंग वर्कर्स की समस्याओं को दूर करना है या यह राजनीति से प्रेरित है अथवा कुछ चुनिंदा कॉरिट्स के निहित हितों में संचालित है, जिनका नाम आन्दोलनकारियों द्वारा नहीं बताया जा रहा है।

भारत के विकास में गिग वर्कर्स की भूमिका

गिग इकॉनमी की बदौलत भारत के धम बाजार में बदलाव आया है और नौकरी के सृजन तथा आर्थिक वृद्धि में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। 17% के अनुमानित चक्रित वार्षिक वृद्धि दर (सीए‌जीआर) के साथ यह सेक्टर वर्ष 2024 तक सफल परिमाण में $455 बिलियन तक पहुँच सकता है और अनुमानित 90 मिलियन नौकरियों पैदा कर सकता है।

सरकार और कॉरपोरेट के प्रयास

जहों कम वेतन और नौकरी की असुरक्षा जैसी चुनौतियों बनी हुई हैं, वहीं सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाए हैं। सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स को परिभाषित करती है और जीवन और विकलांगता बीमा, स्वास्थ्य लाभ और वृद्धावस्था मुरक्षा सहित सामाजिक सुरक्षा संबंधी उपायों के लिए आधार तैयार करती है।

इस बीच, अनेक कंपनियों ने कामकाजी परिस्थितियों और मुरक्षा प्रोटोकोल में सुधार की पहल लागू की है जिनमें इन कर्मचारियों को लाभ होगा। जोमैटो विवाम स्थलों के निर्माण के लिए तेजी में काम कर रहा है। जोमैटो के शेल्टर प्रोजेक्ट के तहत स्वच्छ पेयजल, प्राथमिक चिकित्सा, फोन चार्जिंग स्टेशन, वॉशरूम और हाई

संतुलित सक्रियता की जरूरत

गिग इकॉनमी से बहुत सारे लोगों को काम मिलता है. वे नए-नए तरीके से काम करते हैं और इससे देश की अर्थव्यवस्था भी बढ़ती है। सरकार, कारोबारी और कामगार संगठन आपस में मिलकर काम करे तो भारत एक ऐसा गिग इकोसिस्टम खड़ा कर सकता है जिसमें कामगारों के अधिकारों की रक्षा के साथ ही कारोबार के फलने-फूलने का माहौल भी बनेगा। हालाँकि, विरोध करना जरूरी है ताकि लोगों की आवाज सुनी जाए। लेकिन साथ ही, सभी को मिलकर बातचीत करनी चाहिए और समस्याओं का हल ढूंढना बाहिए। गिग इकॉनमी को लंबे समय तक बलाने के लिए हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी गिग वर्कर्स को न्याय मिले और उन्हें किसी तरह का नुकसान न हो ताकि उनका भरोसा बना रहे, इसके लिए हमें सभी को साथ लेकर चलना होगा और सभी की समस्याओं का समाधान निकालना होगा।

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