गोंडा। राम लला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे, जय श्रीराम जय श्री राम नारे से अस्थायी जेल गुंजार रहा। जिस हिंदु का खून खौले, खून नहीं वह पानी है, राम मंदिर के काम न आये वह बेकार जवानी है। यह दृष्य शाहजहांपुर जिले के अस्थायी जेल खादय निगम गोदाम का था जहां पर लखनउ के छात्र व गोंडा के लाल डॉ शैलेंद्र नाथ मिश्र निरूद्ध रहे। श्री मिश्र एलयू के उस समय जूनियर रिसर्च फेलोषिप के अध्यक्ष थे। उनके साथ 125 सदस्यों की टीम रही।
कारसेवकों के हौसले इस कदर अटूट रहे कि लखनउ से अयोध्या के लिए रवाना हुए डॉ शैलेंद्र नाथ मिश्र को हलवासिया मार्केट रैपिड एक्षन फोर्स ने गिरफतार कर लिया। यहां से इनकी टीम को सीतापुर जेल भेजा गया जहां पर जेल फुल थी। यहां से इन लोगों को शाहजहांपुर ले गए जहां जेल में जगह नहीं मिली तो खाद्य निगम गोदाम को अस्थायी जेल बनाकर कारसेवकों को रखा गया। वर्तमान में श्री लाल बहादुर पीजी कालेज के हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ शैलेंद्र नाथ मिश्र ने उस समय अस्थायी जेल में कविता लिखकर कार सेवकों को प्रोत्साहित कर रहे थे। जेल तोडकर कारसेवकों बाहर निकलो, सरयू की जलधारा तुम्हें पुकार रही। श्री मिश्र उस समय लखनउ विश्वविद्यालय के मोतीमहल छात्रावास में रह हिंदी में पीएचडी कर रहे थे।
वर्ष 1989 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने घोशणा कि विवादित राममंदिर का ढांचा पर कोई परिंदा पर नहीं मार सकता तो युवाओं की धमनियों में खून गरम हो गया। श्री मिश्र बताते है कि युवा भगवान श्रीराम के जन्म स्थली को मुक्त कराने के लिए कालेज व घरों से निकल पडे। श्री राम के दीवानों की तादाद इतनी रही कि जेलों में जगह कम पड गयी। में शाहजहांपुर खाद्य निगम गोदाम में तत्कालीन एमपी संतोश गंगवार, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिह का बेटा राजवीर सिंह, विधायक ष्याम बिहारी मिश्र आदि इसी अस्थायी जेल में रहे और श्री राम मंदिर के लिए सबकुछ अर्पण करने को तैयार रहे।
डॉ शैलेंद्र नाथ राजनीतिक परिवार से लाल्लुक रखते हैं और गांव बभनान सिसईरानीपुर रहने वाले है, जहां पर उनके बाबा पंडित अमृतनाथ मिश्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व 1952 में विधायक रहे। डा मिश्र के चाचा पंडित देवेेद्र नाथ मिश्र मनकापुर सीट से विधायक रहे जो अब सुरक्षित सीट है।श्री मिश्र की अपील है कि 22 जनवरी को श्री राम ज्योति अपने-अपने घरों में जलाये ओर स्वच्छता अभियान चलाये।