बेलसर,गोंडा। मानक को दरकिनार कर गैर पंजीकृत आधा दर्जन ,नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे है। वही पैथालॉजी एवं अल्ट्रासाउंड की संख्या एक दर्जन से अधिक है लेकिन विभाग इन पर कार्यवाही करने के बजाय आंख बंद किए हुए है ।हम बात कर रहे है सीएचसी बेलसर मुख्यालय के रगड़ गंज कस्बे की । यहां पर मानकों को विपरीत आधा दर्जन से अधिक नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे है जबकि झोला छाप डॉक्टरों की संख्या दो दर्जन से अधिक है ।
पैथालाजी व अल्ट्रासाउंड में घाल मेल
वही जांच केंद्र के नाम पर कस्बे भर में दर्जनों पैथालॉजी एवं अल्ट्रासाउंड बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे है ।कई तो ऐसे भी है जो बिना बेनामी है जो काम तो जांच का करते है लेकिन उनके कोई बोर्ड नही लगे है ।इनके दलाल सीएचसी व अस्पताल तक सक्रिय रहते है जो जांच की पर्ची लिखते ही सस्ता व अच्छा जांच का प्रलोभन देकर इन बेनामी जांच केंद्रों तक मरीज को बरगला कर ले जाते है ।
सीएचसी अधीक्षक सतपाल सोनकर ने बताया की कस्बा सहित सीएचसी क्षेत्र के सभी कस्बों में झोलाछाप डॉक्टरों ,नर्सिंग होम,एवं पैथलोजी केंद्रों की जांच टीम बनाकर कराई जा रही है जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी । विकास खण्ड मुंजेहना क्षेत्र में जगह.जगह स्थित अवैध क्लीनिक व डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित होने की खबर प्रकाशित होने के बाद बग्गी रोड बाजार से कर्मडीह जाने वाले मार्ग पर स्थित एक अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर पर छापा मारा।बताया जाता है कि विकासखण्ड मुंजेहना अंतर्गत बाबागंज बाजार से इटियाथोक जाने वाली मार्ग पर स्थित वन्दना डायग्नोस्टिक सेंटर व बाबागंज बाजार में यूनिटी डायग्नोस्टिक सेंटर व रामनगर बाजार में मॉडर्न पैथालॉजी अवैध रूप से संचालित हो रहा है। जिसकी खबर बार.बार प्रकाशित होने के बाद भी उस पर कार्यवाही न होने से विभागीय संरक्षण की बू आ रही है।
क्षेत्रवासियों के अनुसार एसीएमओ नोडल अधिकारी डॉण् आदित्य वर्मा व जिला प्रशासनिक अधिकारी द्वारा करीब एक माह पहले किए गए निरीक्षण के दौरान अवैध पाए जाने के बावजूद भी वंदना डायग्नोस्टिक सेंटर को जीवनदान दिया जा रहा है। इन अवैध डायग्नोस्टिक सेंटरों में गैर डिग्रीधारकों द्वारा किए जा रहे जांच के चलते मरीजों का भरपूर शोषण हो रहा है।
इन सभी अवैध डायग्नोस्टिक सेंटरों की खबर बार.बार समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के बाद सीएमओ सहित एसीएमओ नोडल अधिकारी के संज्ञान में लाया गया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सूचना विभाग द्वारा खबर की कटिंग करके जिलाधिकारी के पास भी भेजा जाता है परन्तु न जाने किस लगाव अथवा दबाव के चलते इन अवैध डायग्नोस्टिक सेंण्टरों पर कार्यवाही करने के बजाय जीवनदान दिया जा रहा है जो विभागीय कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहे हैं।