गोंडा : कल मनाया जायेगा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

गोंडा। जनपद के आर्यनगर की निवासी गुड़िया बताती हैं जब मैं छोटी थी, तब मेरी नानी की तबीयत खराब हुई और उन्हें एक स्थानीय प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया , काफी दिनों तक नानी का इलाज चला, फिर भी वह नहीं बच सकीं , मुझे बहुत दुःख हुआ और मन में बार.बार ये ख्याल आता था कि काश मैं कुछ कर पाती, तभी मैंने निश्चय किया कि पढ़ लिखकर मैं नर्स बनूंगी और लोगों की सेवा करूंगी ,

वह बताती हैं कि 12वीं पास करके मैंने विवेकानंद कॉलेज ऑफ नर्सिंग लखनऊ से बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई की और परीक्षा पास कर ट्रेनिंग के बाद पहली तैनाती महराजगंज जिले में नर्स मेंटर के पद पर हुई , उसके बाद मई 2018 से सीएचसी करनैलगंज में अपनी सेवाएं दे रही हूँ ,

सीएचसी करनैलगंज के अधीक्षक डॉ सुरेश चंद्रा का कहना है कि नर्स मेंटर गुड़िया सरकार का काम बहुत ही सराहनीय और प्रशंसनीय है , गुड़िया की लगन और मेहनत सभी के लिए प्रेरणा है , वर्ष 2021 में सीएचसी पर कुल 4799 प्रसव कराये गए तथा 259 जटिल प्रसव वाली महिलाओं को रेफर किया गया , वहीं 01 जनवरी 2022 से अब तक कुल 744 प्रसव कराए गए हैं तथा 50 जटिलता वाली गर्भवती महिलाओं का प्रबंधन कर उच्च स्तरीय इलाज हेतु रेफर किया गया है ,

गुड़िया ने प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं का अपनी संयम, सूझ.बूझ और कुशल मार्गदर्शन से प्रबंधन कर अब तक कई महिलाओं की जान बचायी है , इस काम से उन्हें सीएचसी पर व क्षेत्र के लोगों में एक अलग पहचान मिली है , अस्पताल में आते ही महिलाएं और घर वाले सबसे पहले गुड़िया दीदी को ही पूंछते हैं ,

11 फ़रवरी 2022 को सुबह साढ़े नौ बजे 24 वर्षीय संगीता को प्रसव के लिए सीएचसी में भर्ती कराया गया , संगीता घबराहट की वजह से जोर.जोर से चिल्ला रही थी, उसके सिर और पेट में तेज दर्द और आँखों के सामने धुंधुलापन था , वह बहुत बेचैनी महसूस कर रही थी , स्टाफ नर्स ने जब जाँच की, तो पता चला कि संगीता को प्री.एक्लेमप्सिया ;प्रसव पूर्व झटके आनाद्ध है , संगीता की यह हालत देख नर्स बहुत घबरा गयी ,

गुड़िया बताती हैं कि इसकी जानकारी मुझे मिली, तो मैं तुरंत संगीता के पास वहां पहुंची और मनोबल बढ़ाया कि घबराने की जरूरत नहीं है , एक्लेमप्सिया मैनेजमेंट उपचार से थोड़ी देर में आराम मिल जाएगा , एक्लेमप्सिया मैनेजमेंट उपचार शुरु किया और 10 मिनट बाद संगीता सामान्य स्थिति में आ गयी, फिर हमने उसे 108 एम्बुलेंस से संगीता को जिला महिला अस्पताल भेजा, जहाँ सुरक्षित प्रसव हुआ और फॉलोअप पर चला कि जच्चा.बच्चा दोनों स्वस्थ हैं , संगीता से बात हुयी तो उसने कहा कि गुड़िया दीदी ने समय से सही उपचार और प्रबंध करके मुझे रेफर कर दिया वरना मैं नहीं बचती और फिर मेरे बच्चे अनाथ हो जाते , गुड़िया बताती हैं कि जब मेरे प्रयास से माँ.बच्चे की जान बच जाती है और वह हंसी.ख़ुशी से घर वापस जाते हैं, तो मेरा बचपन का सपना साकार होता दिखता है, जिससे मन में बहुत ख़ुशी, आत्मसंतुष्टि और आत्मसम्मान महसूस करती हूं ,

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक क्या बेहतर – नौकरी या फिर बिजनेस पेट्स के साथ डेजी का डे आउट