गोंडा : स्वास्थ्य विभाग की ओर से कराए गए सर्वे में खुलासा, कुपोषण के शिकार हजार बच्चे

गोंडा। जिले के आंगनवाड़ी केंद्रों पर शून्य से 6 वर्ष के बच्चों का वजन एवं लम्बाई माप कर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया गया। जिले में 30 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार पाये गये हैं। इनमें कुपोषित और अति कुपोषित बच्चे शामिल हैं। कुपोषण मुक्त समाज निर्माण के उद्देश्य से जनपद में 21 मार्च से चल रहे पोषण पखवाड़े का सोमवार 04 अप्रैल को समापन हो गया। इस मौके पर शहर परियोजना के अंतर्गत सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया।

शून्य से 6 वर्ष तक के बच्चों का कराया गया सर्वे

इसमें बच्चों को स्वास्थ्य, पोषण, साफ.सफाई, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण एवं अपने पास.पड़ोस में स्वच्छता बनाए रखने के प्रति जागरूक किया गया तथा लैंगिक समानता पर चर्चा की गयी। इस मौके पर जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि 21 मार्च से 04 अप्रैल तक चलाये गए पखवाड़े के दौरान सही पोषण, देश रोशन अभियान को बढ़ावा देने के लिए लोगों को सही पोषण एवं मानव जीवन के लिए पोषण की महत्ता की जानकारी दी गयी।

खासकर महिलाओं को विशेष रूप से जागरुक करने का प्रयास किया गया, जिसमें उचित पोषण की महत्ता की जानकारी देते हुए बताया गया कि समय पर खाना खाएं, स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें, पुराने ख्यालात से बाहर आकर खुद के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। खुद के साथ छोटे बच्चों के खान.पान को लेकर भी आमजन जागरुक बनें। इसके साथ ही कुपोषित बच्चों को एनआरसी पर भेजने के लिए प्रेरित किया गया। वर्तमान समय में एनआरसी में सभी बेड फुल हैं ।

कार्यक्रम अधिकारी ने कहा कि पखवाड़े के दौरान जनपद के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर शून्य से 6 वर्ष के बच्चों का वजन एवं लम्बाई माप गया एवं कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया गया। इसमें जिले भर के सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत कुल बच्चों में से लगभग 4 फीसदी बच्चे सैम ;अति गंभीर कुपोषितद्ध एवं लगभग 8 फीसदी बच्चे मैम ;अल्प कुपोषितद्ध पाए गए द्य वहीं कंपोजिट विद्यालय पंतनगर के आंगनवाड़ी केंद्र पर आयोजित पोषण पखवाड़े के समापन समारोह में जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने अपनी उपस्थिति में बच्चों की लम्बाई और वजन का माप करवाया।

पोषण के पाँच सूत्र की जानकारी देकर लोगों को किया गया जागरूक . शहर परियोजना के सीडीपीओ अभिषेक दूबे ने बताया कि पखवाड़े के दौरान गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को पोषण के पांच सूत्र. पहले एक हजार दिन, एनीमिया, डायरिया से बचाव, स्वच्छता, हाथों की सफाई और पौष्टिक आहार के बारे में जागरुक किया गया। प्रत्येक लाभार्थी गर्भवती महिला और 6 वर्ष तक के बच्चों का वजन लेने के साथ ही पोषण सम्बन्धी आवश्यक परामर्श दिये गए।

किशोरियों, महिलाओं में एनीमिया प्रबंधन संबंधित सभी जानकारी दी गई। इस प्रकार विभिन्न कार्यक्रमों को करके पोषण पखवाड़ा मनाया गया। शहर परियोजना की आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों द्वारा पोषण पखवाड़े को एक उत्सव के रूप में सफलतापूर्वक मनाया गया। समापन समारोह आयोजित कराने में यूनिसेफ के मंडलीय कोआर्डिनेटर संतोष कुमार व शहर परियोजना की मुख्य सेविका ममता सिंह ने सक्रिय भूमिका निभाई।

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