गोंडा : स्वालंबन के लिए बनी सरस हाट दुकानों में ग्रामीण रख रहे भूसा

बालपुर,गोंडा। लाखों रुपये से ग्राम सिकरी में बने सरस हाट की 20 दुकानों में ग्रामीण भूसा रख रहे है और इसमें अपने पशुओं को बांध रहे। इससे ग्रामीण युवाओं को गांवों में रोजगार मुहैया कराने को लेकर शुरू की गई यह योजना धड़ाम हो गई लगती है। निर्माण के 14 साल बीतने के बाद ही यहां मार्किट दुर्दशा का शिकार होकर रह गया है।यह योजना कागजों में सीमित होकर रह गई है धरातल पर इसका कोई सदुपयोग नहीं किया जा सका है। स्वर्ण जयन्ती स्वरोजगार योजना के तहत हलधरमऊ विकास क्षेत्र की ग्रामपंचायत सिकरी में चौरी से कटरा बाजार मार्ग पर सरस हाट का निर्माण कराया गया। सरस हाट बनाने का सरकारी उद्देश्य यह बताया गया कि ग्रामीण युवकों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर इसका निर्माण किया गया।

इसके तहत यहां बाजार बनाने के लिए 20 दुकानें बनाई गई। सामानों की खरीदने व बेंचने को लेकर बड़ा सा चबूतरा टिन शेड लगाकर बनाया गया जो बाद में आये आंधी तूफान में टूटकर ढह गया। ऊंची चारदीवारी बनाकर इसको सुरक्षा प्रदान की गई। इसमें प्रवेश व निकास को लेकर दो बड़े बड़े गेट बनवाये गये। इस सरस हाट का शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में 29 दिसंबर 2008 को ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद द्वारा किया गया। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण रोजगार सृजन को लेकर निर्धारित किया गया। 14 साल बीत गये यहां कभी भी बाजार नहीं लगाई जा सकी है और न ही किसी प्रकार की कोई व्यापारिक गतिविधि ही शुरू कराई जा सकी है। इससे ग्रामीण युवाओं को उनके गांवों में ही रोजगार मुहैया कराने का सपना धूल धूसरित होता नजर आ रहा है। यह योजना अपने उद्देश्यों से भटक गई लगती है।विभागीय अधिकारियों की भारी लापरवाही के चलते हलधरमऊ विकास क्षेत्र में यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है।

68 ग्रामपंचायतों के ग्रामीण युवाओं को रोजगार दिलाने का सपना सपना बनकर रह गया है। क्षेत्रीय ग्रमीण यहां बनी दुकानों में भूसा रख रहे है और इसके परिसर में पशुओं को बांध रहे है। इससे यह सरस हाट पशुओं का अड्डा बनकर रह गया है। इसके दोनों बड़े गेट तोड़कर चोरी किये जा चुके है। देखरेख के अभाव में इसका भवन जर्जर होता जा रहा है और बदहाली का शिकार है। यहां कोई इसकी देखरेख करने वाला नहीं है यह भारी उपेक्षा व उदासीनता का शिकार होकर रह गया है।
हलधरमऊ विकास क्षेत्र के खण्ड विकास अधिकारी राजेन्द्र यादव से इस बावत जानकारी करने का प्रयास किया गया लेकिन उनके सीयूजी नंबर पर बार बार काल करने के बावजूद सम्पर्क नहीं हो पाया है।

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