गोंडा। छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में रामजन्म भूमि पर कारसेवा पूरी करने के बाद बनगांव पूरे कालिका गांव निवासी पंडित जगदीश प्रसाद शुक्ल आर्यसमाजी अपने घर वापस लौटे। दूसरे दिन रामापुर बाजार में उन्हें सूचना मिली कि पुलिस कारसेवकों कों पकड़कर उन्हें जबरन जेल भेज रही है।
पंडित जी के पुत्र राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल कहते हैं कि बिना घर में किसी सदस्य को बतायें व सूचना दिए ही पिता जी कौडिया थाने पहुंच गये। थानाध्यक्ष से कहा कि मुझे जेल भेजिए मैं भी कारसेवा में अयोध्या गया था। थानाध्यक्ष ने पिता जी को गौर से देखा फिर पास रखी कुर्सी की ओर इशारा करते हूं कहा बैठ जाइए। दारोगा ने कहा पंडित हमने ऐसा ब्यक्ति पहली बार देखा है जो पुलिस से स्वयं कह रहा है कि हमें जेल भेजिए।
यहां दबिश देने के बाद भी कारसेवक नहीं मिल रहे हैं। इसी बीच रामापुर बाजार से ही पुलिस बाजार डीहा पूरेबदल गांव निवासी शिक्षक राम नरेश पांडे को भगवान राम का गुणगान करने के आरोप में गिरफ्तार कर थाने पहुंची। अभी कुछ ही समय बीता था कि पुलिस दूसरी टीम छिरास गांव निवासी राम बिहारी शुक्ल को भी लेकर पहुंच गई। तीनों लोगों ने थाने में राम व कारसेवा की चर्चा करते हुए जय श्रीराम के नारे लगाने शुरु कर दिए।
पुलिस ने परेशान होकर तीन राम भक्तों को तुरंत न्यायालय भेज दिया। न्यायालय से कन्हैया इंटर कालेज कर्नलगंज के अस्थाई जेल पहुंचे गये। वहां सैकड़ों कारसेवकों से भेंट हो गई। फिर देर रात सभी कार सेवकों को बाराबंकी जेल स्थानांतरित कर दिया गया। जेल में कारसेवकों को दो दिन तक भोजन नहीं दिया गया।
दूसरे दिन बाराबंकी जेल में पूर्व डीजीपी व राम भक्त एससी दीक्षित भी निरुद्ध होकर जेल आ गये। जेल में मौजूद पूर्व विधायक तुलसीदास राय चंदानी व राम प्रताप सिंह सहित अन्य कारसेवकों ने पूर्व डीजीपी दीक्षित जी का स्वागत किया। उनके आने के बाद ही सभी कारसेवकों को भोजन मिल सका। तक कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार में पिता जी 56 दिन तक जेल में रहे। उसके बाद जेल से छूटने पर बाहर कर्नलगंज में कारसेवकों को छोड़ दिया।
वहां से पिता व अन्य साथी 20 किलोमीटर पैदल चलकर रात नौ बजे घर पहुंचे। सुबह नाई बुलाकर बढ़े दाढ़ी व बालों कटवाया फिर हम लोगों आपबीती कहानी सुनाई और कहा हमें राम भक्त होने पर गर्व है। आज राम मंदिर बनने पर हमारा पूरा परिवार दादा जी के द्वारा काटे गये जेल की सुखद अनुभूति हो रही है। पंडित जगदीश प्रसाद शुक्लए राम बिहारी शुक्लए भवानी भीख शुक्ल व सत्यदेव मिश्र तीन दिसंबर 1992 ही अयोध्या कारसेवा के लिए चले गये थे।
छह दिसंबर को कारसेवा पूरी होने के बाद सभी लोग छिपते छिपाते नाव से सरयू नदी पार करने के बाद पैदल नवाबगंज बाजार में सांसद बृजभूषण शरण के घर पहुंचे। उन्हें जगाकर कहा हम लोगों को घर भेजेए। सांसद उस समय बनाये गये हनुमान रथ वाहन से डीजल निकलवा दूसरे वाहन में डलवाया। फिर देर रात को पिता जी घर पहुंचे। छिरास गांव के राम बिहारी शुक्ल कारसेवा के बाद एक ईंट प्रसाद रूप में लायें थे। उस ईंट को देखने के लिए आस पास के राम भक्त जाया करते थे।