गोरखपुर: बदमाशों की नकेल कसने में अव्वल रही गोरखपुर पुलिस

गोरखपुर। जिले में साल 2022 माफियाओं और बदमाशों के लिए बेहद खौफनाक साबित हुआ। पूरे साल माफियाओं की अवैध संपत्तियों पर चले बुलडोजर ने उनके काले कारनामें का पूरा साम्रराज्य ध्वस्त कर दिया। हालांकि, यह कार्रवाई गोरखपुर समेत पूरे यूपी में अभी भी जारी है।यूपी के 62 माफियाओं की 26 सौ करोड़ से अधिक की संपत्तियों को जब्त और ध्वस्त कर दिया गया। इनमें 33 माफिया अकेले गोरखपुर के शामिल हैं। जिनकी करीब 2.67 अरब रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है। हालांकि, अभी सपा नेता के पिता जवाहिर यादव के करीब 400 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियों को चिन्हित कर पुलिस जल्द ही उसे भी जब्त कर लिए जाने का दावा कर रही है।पुलिस और प्रशासन की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई से विपक्ष भी सकते में आ गया है।

पुलिस की यह कार्रवाई देख सपा प्रमुख अखिलेश यादव को अपनी ‘स्पेशल-8’ टीम गोरखपुर भेजनी पड़ गई। जोकि सपा नेताओं और यादवों से जुड़ी कार्रवाई की जांच कर सपा सुप्रीमों को रिपोर्ट पेश करेगा।वहीं, साल 2022 में प्रदेश भर में गैंग बनाकर क्राइम करने वाले बदमाशों के खिलाफ भी पुलिस ने ताबड़ोड़ कार्रवाई की। यूपी के 75 जिलों में मिलाकर कुल 884 बदमाशों पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई।

जिनमें अकेले सिर्फ गोरखपुर में 402 बदमाश गोरखपुर के शामिल हैं। साल 2022 में गोरखपुर में 402 बदमाशों के खिलाफ कुल 100 मुकदमें दर्ज हुए हैं।जबकि, इस बार गोरखपुर समेत पूरे यूपी में बदमाशों पर रासुका के तहत कार्रवाई कम हुई। इस बार पूरे प्रदेश में सिर्फ 13 लोगों पर ही NSA के तहत कार्रवाई हुई। जिसमें गोरखपुर में 3 लोगों पर रासुका लगाया गया।NSA की कार्रवाई कम होने के पीछे भी एक बड़ी वजह सामने आई है। साल 2021 में NSA के यूपी भर में कुल 123 मामले दर्ज हुए थे।

इनमें 15 लोगों पर सिर्फ अकेले गोरखपुर में NSA की कार्रवाई की गई थी। हालांकि, 102 मामले बाद में कोर्ट से खारिज हो गए थे। ऐसे में इस साल पुलिस बदमाशों पर सिर्फ गोरखपुर में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में कार्रवाई करने से बचती नजर आई।वहीं, माफिया और उनके गैंग के सहयोगियों के असलहों के लाइसेंस भी ताबड़तोड़ सस्पेंड किए गए। साल 2022 में प्रदेश भर में 310 से अधिक शस्त्र लाइसेंस इस साल सस्पेंड कर दिए गए। इनमें 131 शस्त्र लाइसेंस सिर्फ अकेले गोरखपुर में सस्पेंड किए गए हैं।जबकि, अभी 138 और शस्त्र लाइसेंसों को सस्पेंड करने के लिए उनकी लिस्ट बनाकर डीएम को भेजी जा चुकी है। जिसे डीएम की अनुमति मिलते ही सस्पेंड किया जाएगा।यूपी पुलिस की पैरवी से कोर्ट ने महिला एवं बाल अपराध के मामले में 36 अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई गई।

जबकि, 1296 को आजीवन कारावास, 1263 को 10 साल या उससे अधिक की सजा और 3676 को 10 वर्ष से कम की सजा सुनाई।जबकि, गोरखपुर पुलिस की पैरवी से इस साल कुल 278 मुदकमों में 473 लोगों को कोर्ट से सजा सुनाई गई। जिसमें, 49 मामलों में 127 आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जबकि, 229 मुकदमों में 346 को 10 साल या उससे अधिक की सजा सुनाई गई।प्रदेश में ड्रग माफिया और अवैध नशे के सौदागरों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया गया। साथ ही प्रदेश में ड्रग माफिया और अवैध नशे के सौदागरों की कमर तोड़ने के लिए पहली बार एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया गया। पहले चरण में दो थानों गाजीपुर और बाराबंकी में एएनटीएफ थाना खोला गया और तीन क्षेत्रीय शाखा मेरठ, लखनऊ और गोरखपुर जोन की स्थापना की गई है।

ड्रग माफिया के खिलाफ 24 अगस्त से 8 सितंबर तक चले अभियान में पुलिस ने 2833 संदिग्ध आरोपियों को चिह्नित कर 2479 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की और 2277 मुकदमे दर्ज किए। इन आरोपियों से पुलिस ने 39 करोड़ 68 लाख रुपए की बरामदगी की।लेकिन, गोरखपुर पुलिस इस मामले में पूरी तरह फेल नजर आई। गोरखपुर में पकड़ी गई नशीली दवाओं की खेप के बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए एएनटीएफ का गठन किया।लेकिन, गोरखपुर में नशे के सौदागरों पर पुलिस की शुरू से ही मेहरबानी साफ दिखाई दी।

ड्रग डिपार्टमेंट की ओर से इस मामले में मुदकमा दर्ज कराए जाने के बाद भी न ही पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी की और न ही उनके बचने का कोर्ट में कोई विरोध किया।जिसका नतीजा यह रहा है कि पूरे प्रदेश में ड्रग माफियाओं के खिलाफ अभियान चलता रहा और गोरखपुर के आरोपी पहले तो शहर में घुमते रहे और बाद में वे हाईकोर्ट से पुलिस कार्रवाई के खिलाफ अरेस्ट स्टे लेकर आ गए। इसके बाद हर मामले की तरह पुलिस ने इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया।

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